पिछड़ा आदमी – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

1
2501
pichhada aadami hindi kavita

पिछड़ा आदमी

हिंदी कविता – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

 

जब सब बोलते थे
वह चुप रहता था,

जब सब चलते थे
वह पीछे हो जाता था,

जब सब खाने पर टूटते थे
वह अलग बैठा टूँगता रहता था,

जब सब निढाल हो सो जाते थे
वह शून्य में टकटकी लगाए रहता था

लेकिन जब गोली चली
तब सबसे पहले
वही मारा गया।

1 COMMENT

Leave a Reply