कविता

कलम या की तलवार - रामधारी सिंह दिनकर

कलम या कि तलवार – रामधारी सिंह दिनकर

Amit Kumar Sachin

कलम या कि तलवार कुछ ऐसी कविताये होती है जो हमें आंदोलित कर देती है और उसकी गूंज कई सालो ...

pichhada aadami hindi kavita

पिछड़ा आदमी – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

Amit Kumar Sachin

पिछड़ा आदमी हिंदी कविता – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना   जब सब बोलते थे वह चुप रहता था, जब सब चलते ...

desh kagaj par bana naksha nahi hota

देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

Amit Kumar Sachin

देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता हिंदी कविता – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना   यदि तुम्हारे घर के एक कमरे ...

Sarveshwar dayal saxena

पाँव बढ़ाना चलते जाना – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

Amit Kumar Sachin

पाँव बढ़ाना चलते जाना – हिंदी कविता  सर्वेश्वरदयाल सक्सेना   हँसा ज़ोर से जब, तब दुनिया बोली इसका पेट भरा ...

Tu kisi rail si gujarati hai

तू किसी रेल-सी गुज़रती है -दुष्यंत कुमार

Amit Kumar Sachin

तू किसी रेल-सी गुज़रती है दुष्यंत कुमार मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ एक जंगल है तेरी ...

wah kahata tha sharad kokas

वह कहता था, वह सुनती थी – शरद कोकास

Amit Kumar Sachin

वह कहता था, वह सुनती थी शरद कोकास   वह कहता था, वह सुनती थी, जारी था एक खेल कहने-सुनने ...

kya hu mai tumhare liye nirmala putul

क्या हूँ मैं तुम्हारे लिए -निर्मला पुतुल

Amit Kumar Sachin

क्या हूँ मैं तुम्हारे लिए – हिंदी कविता  निर्मला पुतुल  क्या हूँ मैं तुम्हारे लिए…? एक तकिया कि कहीं से ...

हम सब सुमन एक उपवन के – द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

Amit Kumar Sachin

हम सब सुमन एक उपवन के – हिंदी कविता  द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी   हम सब सुमन एक उपवन के एक ...

पुनः नया निर्माण करो- द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

Amit Kumar Sachin

पुनः नया निर्माण करो – हिंदी कविता द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी   उठो धरा के अमर सपूतो पुनः नया निर्माण करो। ...

मूलमंत्र कविता – द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

Amit Kumar Sachin

मूलमंत्र – कविता   द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी केवल मन के चाहे से ही मनचाही होती नहीं किसी की। बिना चले कब ...

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