कविता
कलम या कि तलवार – रामधारी सिंह दिनकर
कलम या कि तलवार कुछ ऐसी कविताये होती है जो हमें आंदोलित कर देती है और उसकी गूंज कई सालो ...
पिछड़ा आदमी – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
पिछड़ा आदमी हिंदी कविता – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जब सब बोलते थे वह चुप रहता था, जब सब चलते ...
देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता हिंदी कविता – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना यदि तुम्हारे घर के एक कमरे ...
पाँव बढ़ाना चलते जाना – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
पाँव बढ़ाना चलते जाना – हिंदी कविता सर्वेश्वरदयाल सक्सेना हँसा ज़ोर से जब, तब दुनिया बोली इसका पेट भरा ...
तू किसी रेल-सी गुज़रती है -दुष्यंत कुमार
तू किसी रेल-सी गुज़रती है दुष्यंत कुमार मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ एक जंगल है तेरी ...
वह कहता था, वह सुनती थी – शरद कोकास
वह कहता था, वह सुनती थी शरद कोकास वह कहता था, वह सुनती थी, जारी था एक खेल कहने-सुनने ...
क्या हूँ मैं तुम्हारे लिए -निर्मला पुतुल
क्या हूँ मैं तुम्हारे लिए – हिंदी कविता निर्मला पुतुल क्या हूँ मैं तुम्हारे लिए…? एक तकिया कि कहीं से ...
हम सब सुमन एक उपवन के – द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
हम सब सुमन एक उपवन के – हिंदी कविता द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी हम सब सुमन एक उपवन के एक ...
पुनः नया निर्माण करो- द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
पुनः नया निर्माण करो – हिंदी कविता द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी उठो धरा के अमर सपूतो पुनः नया निर्माण करो। ...
मूलमंत्र कविता – द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
मूलमंत्र – कविता द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी केवल मन के चाहे से ही मनचाही होती नहीं किसी की। बिना चले कब ...