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Saturday, December 28, 2024
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सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा – काका हाथरसी

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sare jahan se achha india hamara - kaka hathrasi

सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा

काका हाथरसी

सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा
हम भेड़-बकरी इसके यह गड़ेरिया हमारा

सत्ता की खुमारी में, आज़ादी सो रही है
हड़ताल क्यों है इसकी पड़ताल हो रही है
लेकर के कर्ज़ खाओ यह फर्ज़ है तुम्हारा
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा.

चोरों व घूसखोरों पर नोट बरसते हैं
ईमान के मुसाफिर राशन को तरशते हैं
वोटर से वोट लेकर वे कर गए किनारा
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा.

जब अंतरात्मा का मिलता है हुक्म काका
तब राष्ट्रीय पूँजी पर वे डालते हैं डाका
इनकम बहुत ही कम है होता नहीं गुज़ारा
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा.

हिन्दी के भक्त हैं हम, जनता को यह जताते
लेकिन सुपुत्र अपना कांवेंट में पढ़ाते
बन जाएगा कलक्टर देगा हमें सहारा
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा.

फ़िल्मों पे फिदा लड़के, फैशन पे फिदा लड़की
मज़बूर मम्मी-पापा, पॉकिट में भारी कड़की
बॉबी को देखा जबसे बाबू हुए अवारा
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा.

जेवर उड़ा के बेटा, मुम्बई को भागता है
ज़ीरो है किंतु खुद को हीरो से नापता है
स्टूडियो में घुसने पर गोरखा ने मारा
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा.

पिछड़ा आदमी – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

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pichhada aadami hindi kavita

पिछड़ा आदमी

हिंदी कविता – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

 

जब सब बोलते थे
वह चुप रहता था,

जब सब चलते थे
वह पीछे हो जाता था,

जब सब खाने पर टूटते थे
वह अलग बैठा टूँगता रहता था,

जब सब निढाल हो सो जाते थे
वह शून्य में टकटकी लगाए रहता था

लेकिन जब गोली चली
तब सबसे पहले
वही मारा गया।

देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

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desh kagaj par bana naksha nahi hota

देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता

हिंदी कविता – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

 

यदि तुम्हारे घर के
एक कमरे में आग लगी हो
तो क्या तुम
दूसरे कमरे में सो सकते हो?

यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में
लाशें सड़ रहीं हों
तो क्या तुम
दूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो?

यदि हाँ
तो मुझे तुम से
कुछ नहीं कहना है।

 

देश कागज पर बना
नक्शा नहीं होता
कि एक हिस्से के फट जाने पर
बाकी हिस्से उसी तरह साबुत बने रहें

और नदियां, पर्वत, शहर, गांव
वैसे ही अपनी-अपनी जगह दिखें
अनमने रहें।
यदि तुम यह नहीं मानते
तो मुझे तुम्हारे साथ
नहीं रहना है।

इस दुनिया में आदमी की जान से बड़ा
कुछ भी नहीं है
न ईश्वर
न ज्ञान
न चुनाव

कागज पर लिखी कोई भी इबारत
फाड़ी जा सकती है
और जमीन की सात परतों के भीतर
गाड़ी जा सकती है।

जो विवेक
खड़ा हो लाशों को टेक
वह अंधा है
जो शासन
चल रहा हो बंदूक की नली से
हत्यारों का धंधा है

यदि तुम यह नहीं मानते
तो मुझे
अब एक क्षण भी
तुम्हें नहीं सहना है।

याद रखो
एक बच्चे की हत्या
एक औरत की मौत
एक आदमी का
गोलियों से चिथड़ा तन
किसी शासन का ही नहीं
सम्पूर्ण राष्ट्र का है पतन।

ऐसा खून बहकर
धरती में जज्ब नहीं होता
आकाश में फहराते झंडों को
काला करता है।

जिस धरती पर
फौजी बूटों के निशान हों
और उन पर
लाशें गिर रही हों
वह धरती
यदि तुम्हारे खून में
आग बन कर नहीं दौड़ती
तो समझ लो
तुम बंजर हो गये हो-तुम्हें यहां सांस लेने तक का नहीं है अधिकार
तुम्हारे लिए नहीं रहा अब यह संसार।

आखिरी बात
बिल्कुल साफ
किसी हत्यारे को
कभी मत करो माफ
चाहे हो वह तुम्हारा यार
धर्म का ठेकेदार,
चाहे लोकतंत्र का
स्वनामधन्य पहरेदार।

पाँव बढ़ाना चलते जाना – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

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Sarveshwar dayal saxena

पाँव बढ़ाना चलते जाना – हिंदी कविता 

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

 

हँसा ज़ोर से जब, तब दुनिया
बोली इसका पेट भरा है

और फूट कर रोया जब
तब बोली नाटक है नखरा है

जब गुमसुम रह गया, लगाई
तब उसने तोहमत घमंड की
कभी नहीं वह समझी इसके
भीतर कितना दर्द भरा है

दोस्त कठिन है यहाँ किसी को भी
अपनी पीड़ा समझाना
दर्द उठे तो, सूने पथ पर
पाँव बढ़ाना, चलते जाना

व्यंग्य मत बोलो – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

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Sarveshwar dayal saxena

व्यंग्य मत बोलो – हिंदी कविता 

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

 

व्यंग्य मत बोलो।
काटता है जूता तो क्या हुआ
पैर में न सही
सिर पर रख डोलो।
व्यंग्य मत बोलो।

अंधों का साथ हो जाये तो
खुद भी आँखें बंद कर लो
जैसे सब टटोलते हैं
राह तुम भी टटोलो।
व्यंग्य मत बोलो।

क्या रखा है कुरेदने में
हर एक का चक्रव्यूह कुरेदने में
सत्य के लिए
निरस्त्र टूटा पहिया ले
लड़ने से बेहतर है
जैसी है दुनिया
उसके साथ होलो
व्यंग्य मत बोलो।

भीतर कौन देखता है
बाहर रहो चिकने
यह मत भूलो
यह बाज़ार है
सभी आए हैं बिकने
राम राम कहो
और माखन मिश्री घोलो।
व्यंग्य मत बोलो।

ARUNIMA SINHA – एक पैर से लिखी कामयाबी की पटकथा

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runima sinha Biography

कहते है की जब इरादे बुलंद हो तो एवेरेस्ट सरीखा चट्टान भी हमारे लक्ष्य को पाने से नहीं रोक सकता है इसकी सबसे बेहतरीन उदहारण है अरुणिमा सिन्हा . उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर की रहने वाली अरुणिमा सिन्हा एक पैर Artificial होने के बावजूद भी दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी-एवरेस्ट को फतह करने वाली विश्व की पहली महिला पर्वतारोही बनी . जो लोग थोड़ी सी कठिन परिस्थितियों के आगे ही घुटने टेक देते है उनके लिए अरुणिमा सिन्हा एक प्रेरणादायक मिसाल है .

क्या आप कल्पना कर सकते है की एक लड़की को चलती ट्रेन से बहार फेंक दिया जाता है और वह वह रात भर अपने कटे हुए पैर के साथ रेलवे ट्रैक पर आते जाते ट्रेन को देखती रहती है . डॉक्टर उन्हें बोलते है की वो दोबारा अपना स्पोर्ट्स कैरियर शुरू नहीं कर सकती . ऐसी कठिन परिस्थितियों में एवेरेस्ट फतह करना तो दूर क्या कोई लड़की उस पर चढ़ने के बारे में भी सोच सकती है . लेकिन इसको सच कर दिखाया अरुणिमा सिन्हा ने जो प्रेरणा की अद्भुत मिसाल है

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अरुणिमा सिन्हा का जन्म और शिक्षा

20 जुलाई 1988 को उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर अरुणिमा सिन्हा का जन्म हुआ था . अपनी शुरूआती पढाई लिखाई उन्होंने उत्तर प्रदेश से ही पूरी की .उसके बाद उन्होंने  नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, उत्तरकाशी से पर्वतारोहण का कोर्स किया। बचपन में , अरुणिमा सिन्हा को वॉलीबॉल और फुटवॉल खेलने में ज्यादा मन लगता था 

runima sinha Biography

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ट्रेन हादसा

CISF की परीक्षा में शामिल होने के लिए अरुणिमा को दिल्ली जाना पड़ा । 21 अप्रैल 2011 को, पद्मावत एक्सप्रेस में यात्रा के दौरान, कुछ बदमाशों ने उनसे  सोने की चेन और बैग छिनने  की कोशिश की। जब अरुणिमा ने इसका विरोध किया, तो बदमाशों नेगुस्से में अरुणिमा सिन्हा  को चलती ट्रेन से नीचे फेंक दिया। जब अरुणिमा नीचे गिरीं तो एक ट्रेन दूसरे ट्रैक से आ रही थी। जब तक अरुणिमा जब तक खुद को पटरी से हटा पाती  तब तक ट्रेन उसके पैर को कुचलती हुई आगे बढ़ गई। बाद में इस दुर्घटना के बारे में लोगों ने बताया की उनके पैरों के ऊपर से लगभग 49 रेलगाड़ियाँ गुजरी थी 

एक पैर काटना पड़ा 


उसके बाद गाँव के लोगों द्वारा अरुणिमा को अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां डॉक्टरों को  उसकी जान बचाने के लिए उनका एक पैर काटना पड़ा । जिसके कारण अरुणिमा की जान तो बच गई लेकिन उसे अपना एक पैर हमेशा के लिए खो दी । यह एक खिलाड़ी के लिए कितने दुःख की बात है वह खिलाडी ही समझ सकता है खासकर जब वह राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल खिलाड़ी हो  । इस घटना ने अरुणिमा के सारे सपने को एक पल में ही चकनाचूर कर दिया , भाग्य ने अरुणिमा सिन्हा से भारत के लिए वॉलीबॉल खेलने का अवसर छीन लिया था।

बेबसी और लाचारी को नहीं स्वीकारा 

“ट्रेन दुर्घटना में मैंने अपना पैर खो दिया।” अस्पताल में बस बिस्तर पर पड़ी थी। परिवार के लोग, मुझे देखने के बाद,अपने आप में दिन भर रोते रहते थे . हमें एक बच्चे और गरीब के रूप में सहानुभूति की दृष्टि  के साथ देखते या  संबोधित करते थे जो  मुझे स्वीकार्य नहीं था। लेकिन मुझे जीना था, मुझे कुछ करना था। मैंने अपने दिमाग में कुछ अलग करने का फैसला किया, जो दूसरों के लिए एक मिसाल बन सके 

runima sinha Biography

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दुनिया की सबसे ऊंची चोटी  पर चढ़ने का लिया फैसला

अरुणिमा कहती हैं कि कटा हुआ पैर उनकी कमजोरी थी लेकिन उन्होंने इसे अपनी ताकत बना लिया। रेल दुर्घटना और उसके बाद की सभी घटनाओं ने अरुणिमा की आंखों में आंसू ला दिए, लेकिन उन आंसुओं ने उसे कमजोर करने के बजाय उसे साहस दिया और अरुणिमा ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का फैसला किया।

अरुणिमा कहती हैं,

“एम्स से छुटकारा पाने के बाद, दिल्ली के एक संगठन ने मुझे नकली पैर दिए। इसके बाद मैंने पीछे मुड़ कर  नहीं देखा । ट्रेन पकड़ी और सीधे जमशेदपुर पहुंची। वहां मैं बछेंद्री पाल से मिला, जिन्होंने एवरेस्ट को फतह करने के लिए मुझे शिष्य  बनाने का फैसला किया।  फिर, जैसे मुझे पर ही लग गए । उसके बाद मुझे लगने लगा कि अब मेरा सपना पूरा होगा।

बहुत कम लोगो ने प्रोत्साहित किया 

अरुणिमा की शादी हुई और फिर तलाक हो गया, फिर भी उन्होंने  हार नहीं मानी। उनकी  बड़ी बहन और उनकी  मां ने उनका साथ दिया। दुर्घटना के बाद, कई लोग थे जो उनके  घावों को कुरेदने वाले थे, लेकिन बहुत कम ही मरहम लगाने वाले  थे। इस सब के बाद, उन्होंने  अपने लक्ष्य को पाने के लिए अपना सारा प्रयास लगा दिया।

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खुद को साबित करने की थी ललक 

अरुणिमा को पता था कि अगर वह एक नकली पैर के साथ एवरेस्ट को जीतने में सफल रहीं, तो वह ऐसा करने वाली दुनिया की पहली महिला बन जाएंगी। अरुणिमा खुद को साबित करने के साथ-साथ यह साबित करना चाहती थी  कि शारीरिक दुर्बलता किसी के रास्ते में नहीं आ सकती। यदि किसी के पास अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए प्रबल, मानसिक शक्ति और इच्छाशक्ति है, तो कोई भी कमजोरी उसे रोक नहीं सकती है।

अरुणिमा कहती हैं,

“मैं बस इतना ही कहना चाहती हूं कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी  बदल जाए ।” लेकिन हमें अपने लक्ष्य से भटकना नहीं चाहिए बल्कि उनका सम्मान करना चाहिए और उनका सामना करना चाहिए। जब मैं हॉकी स्टिक लेकर खेलने जाता था, तो मोहल्ले के लोग मुझ पर हंसते थे, मेरा मजाक उड़ाते थे।

पाल की देखरेख में प्रशिक्षण पूरा करने के बाद 31 मार्च को अरुणिमा का मिशन एवरेस्ट शुरू हुआ। वह 52 दिन की चढ़ाई में 21 मई को माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर दुनिया की पहली विकलांग महिला पर्वतारोही बन गईं। अरुणिमा कहती हैं, “विकलांगता व्यक्ति की सोच में निहित है

एवरेस्ट के शिखर पर चढ़ने के बाद निकले आँख से आंसू 

हर कोई अपने जीवन में उच्च कठिनाइयों का सामना करता है, जिस दिन वह अपनी कमजोरियों को मजबूत करना शुरू कर देगा, हर ऊंचाई बौनी हो जाएगी। मैं एवरेस्ट के शिखर पर चढ़ने के बाद बहुत रोई लेकिन  मेरे आँसू के अधिकांश अंश ख़ुशी के थे। मैंने दुःख को पीछे छोड़ दिया था और दुनिया के सर्वोच्च शिखर से एक नए तरीके से जीवन को देख रही थी  ”

उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए भारत सरकार ने 2015 में उन्हें चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान- पद्म श्री से सम्मानित किया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणिमा की जीवनी – ‘बॉर्न अगेन इन द माउंटेन‘ का उद्घाटन किया।

इन पर्वत पर भी चढ़ी-:

इंडोनेशिया के कार्स्तेंस्ज़ पर्वत – 4,884 या 16023 फुट
अर्जेंटीना में अकोंकागुआ पर्वत – 6,961 मीटर या 22,838 फुट
यूरोप के एल्ब्रुस पर्वत – 5,621 मीटर या 18,442 फुट
अफ्रीका के किलिमंजारो पर्वत- 5,895 मीटर या 19,341 फ़ुट
माउंट एवेरेस्ट – 8,848 मीटर या 29,029 फुट

 

Sonu sood Biography Hindi – सोनू सूद जीवन परिचय

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दोस्तों आज हम एक ऐसे कलाकार के बारे में बताने वाले है जिन्होंने रील लाइफ में विलेन के रूप में अपना नाम कमाया लेकिन रियल लाइफ में वो गरीबो के मसीहा के रूप में जाने जाते है . जीतनी प्रसिद्धि उन्होंने फोल्मो में अपने अभिनय से नहीं कमाया उससे ज्यादा नाम उन्होंने कोरोना महामारी के समय गरीब मजदूरों की सेवा करके कमाया . जी हाँ मै बात कर रहा हु सोनू सूद के बारे में . जिन्होंने मुंबई के साथ-साथ विभिन्न राज्यों में फंसे हुए लोगों को ट्रेन से और एरोप्लेन से जो भी सुविधा हो पाई घर पहुंचाने का भरपूर कोशिश किया .

सोनू सूद का जन्म पंजाब के मोगा में हुआ था। उनके पिता शक्ति सागर की मोगा में ही साड़ी की दुकान थी जिसका नाम बॉम्बे क्लॉथ हाउस था। वही उनकी मां सरोज सूद एक टीचर थी। सोनू अपने माता पिता दोनों के ही बेहद करीब हैं । फिलहाल अभी दोनों ही इस दुनिया में नहीं है।

सोनू सूद पढ़ाई में काफी अच्छे थे इसलिए उनके माता-पिता उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे। उन्होंने सोनू सूद का एडमिशन नागपुर के यशवंत चौहान कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में कराया था। वे चाहते थे कि उनका बेटा साड़ी की दुकान नहीं चलाये बल्कि एक अच्छी नौकरी करें। लेकिन सोनू सूद शुरू से ही एक्टर बनना चाहते थे। उनकी माता प्रोफ़ेसर थी उनकी इच्छा थी कि बेटे को पढ़ाना है और बड़ा बनाना है।

उन्होंने अपनी माता से एक दिन बोला कि

मैं एक्टर बनना चाहता हूं । मुझे एक साल दीजिए । अगर मैं बन गया तो ठीक है नहीं तो फिर पिताजी की साड़ी की दुकान संभाल लूंगा और उनका बिजनेस पढ़ाऊंगा

उन्होंने मुंबई में कई सालों तक स्ट्रगल किया । इस दौरान वह मुंबई में किराए के मकान में रहते थे। वही काफी स्ट्रगल करने के बाद उन्हें कालिसघर नामक एक तमिल फिल्म में काम मिला लेकिन सोनू को शुरू में कोई खास पहचान नहीं मिली ।एक दिन उन्हें फोन आया कि उन्हें साउथ के एक फ़िल्म के लिए सेलेक्ट कर लिया गया है तो ऑडिशन के लिए आ जाए। सोनू सूद जब ऑडिशन के लिए पहुचे तो उनके साथ एक अजीबोग़रीब घटना हुई। प्रोड्यूसर ने बुलाया उन्होंने उनकी बॉडी देखी और बोला टीशर्ट उतार कर तुम बॉडी दिखा सकते हो । पहले तो सोनू सूद को अजीब लग फिर उन्होंने टी-शर्ट उतार कर अपनी बॉडी दिखाई तो प्रोड्यूसर उनके बॉडी से काफी इंप्रेस हुए और उन्हें उन्होंने उसे उनको फिल्में साइन कर लिया । बॉडी की बदौलत ही उन्हें साउथ इंडियन फ़िल्म कलिसघर के लिए सेलेक्ट कर लिया गया।

साल 2001 में शहीद-ए-आजम फिल्म से उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा जिसे लोगों ने काफी पसंद किया। सोनू सूद ने अपने फिल्मी करियर में युवा से लेकर शूटआउट वडाला और दबंग से लेकर सिंबा के जरिए शोहरत कमाई। वैसे तो उन्होंने कई भाषाओं के फिल्मों में काम किया है पर विलेन के रोल में उन्हें काफी पसंद किया जाता है। दबंग फिल्म में छेदी सिंह के रोल में उन्हें काफी पसंद किया गया। उन्होंने बहुत सारे फिल्मों में विलेन का रोल करके अपनी एक अलग पहचान बनाई है । उन्होंने जैकी चैन के साथ कुंग फू योगा में भी काम किया है। सोनू सूद को अपने फिल्मों के लिए कई अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। उन्हें दबंग के लिए बेस्ट विलन का आइफा अवॉर्ड मिल चुका है । इसके अलावा उन्हें फिल्म अनु अरुंधति के लिए नंदी अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। इतना ही नहीं उन्हें अरुंधति के लिए बेस्ट सर्पोटिंग एक्टर फिल्मफेयर अवार्ड भी मिल चुका है।

साल 1996 में सोनाली के साथ शादी की। सोनू और उनकी वाइफ कॉलेज में एक साथ पढ़ते थे । सोनालि का बॉलीवुड से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। इसलिए वह लाइमलाइट से दूर रहना पसंद करती है । इनके दो बेटे भी हैं जिनका नाम अयान सूद और ईशान सूद है। सोनू सूद बीते कुछ दिनों में जब करोना की महामारी आई तो बहुत सारे मजदूर अपने घर नहीं जा पा रहे थे। इस समय सोनू सूद एक मसीहा के रूप में उभरे और उन्होंने कई हजार मजदूरों को खुद के पैसे से घर भिजवाया । उन्होंने गरीबी और प्रवासी मजदूरों को खाने से लेकर घर पहुंचाने तक हर संभव मदद की।

सोनू ने अपने पिता शक्ति सूद के नाम पर एक स्कीम लॉन्च की। जिसके तहत वह हर रोज 45000 लोगों को खाना खिला रहे है। इसके अलावा उन्होंने स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए मुंबई के जुहू में स्थित अपना शक्ति सागर होटल भी खोल दिया। जिससे सभी स्वास्थ्य कर्मी वहां आकर ठहर सके यही नहीं उन्होंने मुंबई के साथ-साथ विभिन्न राज्यों में फंसे हुए लोगों को ट्रेन से और एरोप्लेन से जो भी सुविधा हो पाई घर पहुंचाने का भरपूर कोशिश किया। वह 1 ट्वीट और मैसेज पर उनके घर पहुंचा रहे हैं।

उनके बॉडी से सलमान खान तक प्रभावित है दबंग में काम करते हुए सलमान खान ने बोला था कि उन्हें सोनू सूद की बॉडी देखकर इंफोर्मलिटी कंपलेक्स होता है

संघर्ष के दिनों को याद करते हुए सोनू सूद कहते हैं कि –

मुझे याद है पहला ऐड मैंने जूतों का किया था । मुझे बोला गया कि ₹3000 एक दिन का मिलेगा। 3 दिन का काम है तो मैंने सोचा अच्छा है 9 से ₹10000 रुपये मिल जाएंगे पूरा महीना आराम से गुजर जाएगा। दो-तीन साल किसी तरह सरवाइव करता रहा।

सोनू सूद अपनी मम्मी को स्कूटर से कॉलेज छोड़ने जाया करते थे और लेकर भी आया करते थे । फिर उसी कॉलेज में उन्होंने पढ़ाई भी की और उनकी मम्मी उनकी टीचर भी थी । उन्होंने सोनू की सोच को काफी इंस्पायर किया। स्ट्रगल के दिनों में उनकी मम्मी उन्हें लेटर लिखा करती थी और उन्हें इंस्पायरर किया करती थी । ताकि वे थक कर हारे नहीं और वे अपने सपना पूरा कर सके।

सोनू सूद बताते हैं कि मैं मम्मी से बोलता था कि जब अपनी बात रोजाना हो ही जाती है तो आप लेटर क्यों लिखती हो। तो उनकी मम्मी बोलती थी कि अभी तो तुमसे बात हो जाया करती है। जब मैं नहीं रहूंगी तो यह लेटर इसका रिकॉर्ड रहेगा। 1992 से लेकर 2007 तक सोनू सूद ने अपने मम्मी का 15 साल के चिट्ठियों को संभाल के रखा है। आज भी मैं पढ़ता हूं तो लगता है जैसे मैं उनसे बात कर रहा हूं।

एक्टिंग से ज्यादा सोनू सूद की तारीफ उनके सोशल वर्क को लेकर हो रही है। पूरा सोशल मीडिया उनका फैन हो गया है क्योंकि जो कोई भी उनसे मदद की गुहार लगा रहा है उसको उसका वह मदद खुले दिल से कर रहे हैं।

Kieron Pollard Biography Hindi – किरोन पोलार्ड का जीवन परिचय

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Kieron Pollard Biography Hindi - किरोन पोलार्ड का जीवन परिचय

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Kieron Pollard Biography Hindi – किरोन पोलार्ड का जीवन परिचय

 

Kieron Pollard जिनका नाम T20 क्रिकेट में बड़े सम्मान से लिया जाता है। वो वेस्टइंडीज टीम के वनडे मैच के कप्तान है । लेकिन आईपीएल में इस खिलाड़ी का अलग ही रुतबा है। फटाफट क्रिकेट में इस खिलाड़ी की ऐसी साख है इनके सामने बड़ा से बड़ा गेंदबाज गेंद डालने से डरता है। इनके पास आज के समय में सब कुछ है दौलत भी है और शोहरत भी। लेकिन क्या आपको पता है एक वक्त ऐसा भी था जब पोलार्ड के पास कुछ भी नहीं था। वे ड्रग्स और जुर्म की ऐसी दुनिया से आते हैं जहां पलने वाले ज्यादातर लोग क्रिमिनल ही बनते हैं।

गरीबी में बिता बचपन 

12 मई 1987 को पोलार्ड का जन्म त्रिनिदाद में हुआ था। पोलार्ड ने अपने बचपन के दिन बहुत ही गरीबी में बिताए थे । उनको पालने का जी जिम्मा उनकी मां पर था । उनके पिता बचपन में बिना बताए उन्हें बेसहारा छोड़ कर चले गए थे। पोलार्ड की 2 बहनें भी थी जिनका ख्याल रखना उनकी मां के लिए काफी मुश्किल था। पोलार्ड की मां बच्चों को पालने के लिए त्रिनिदाद के टूनापूना शहर में आ गई। क्राइम के हिसाब से यह जगह सबसे ऊपर में आती थी। ऐसी जगह जहां ड्रग्स , हत्या, लूट आम बात थी। पोलार्ड ने अपना बचपन ऐसी जगह पर बिताया पोलार्ड ने बचपन से ही खून खराबा और लूटपाट देखा। लेकिन उन्होंने कभी भी जुर्म के रास्ते को अपना सफर नहीं बनाया। क्योंकि पोलार्ड को पता था कि उनके ऊपर उनकी मां और दो बहनों का जिम्मा है। वे सोचते थे कि आगे जाकर उन्हें एक बेहतर जीवन देना है।

पोलार्ड ने एक इंटरव्यू में कहा था कि-

मेरी मां मजदूरी करके पैसे इकट्ठे करती थी तो हमारे परिवार वालों को कभी-कभी एक वक्त का खाना ही मिल पाता था। मैंने बचपन काफी खराब परिस्थितियों में निकाला है।

क्रिकेट को चुना अपना सफ़र 

इसलिए पोलार्ड ने जुर्म की दलदल में फंसने के बजाय क्रिकेट को अपना सफर चुना । बचपन में पोलार्ड को अपनी क्रिकेट की काबिलियत का एहसास हुआ था। पोलार्ड जिस जगह से आते हैं वहां के लोगों की कद काठी एथलेटिक्स के हिसाब से काफी शानदार होती है। यह वही जगह है जहां से Ato Bolton जैसे स्प्रिंटर निकल कर आए हैं ।

वेस्टइंडीज की अंडर-19 टीम में खेलने का मिला मौका

पोलार्ड को एथेलेटिक विरासत में मिला। उनकी शारीरिक बनावट क्रिकेट में लंबे छक्के लगाने में मदद देती थी। जिसको देखकर पोलार्ड को 2006 में वेस्टइंडीज की अंडर-19 टीम में खेलने का मौका मिल गया। पोलार्ड को इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा । उनका इंटरनेशनल डेब्यू 10 अप्रैल 2017 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुआ। जहां वह केवल 17 गेंदों में 10 रन ही बना सके और गेंदबाजी करते हुए उन्हें कोई विकेट भी नहीं मिला।

आईपीएल ने बदली किस्मत 

आईपीएल ने पोलार्ड को हर वो चीज दी जिसके वह हकदार थे। साल 2007 में क्रिकेट में अलग Revolution आया। अब वक्त क्रिकेट में T20 का था। जहां क्रिकेट में पोलार्ड जैसे खिलाड़ी की जरूरत थी। वह कहते हैं ना कि अगर आपके पास काबिलियत है तो तकदीर अपना रास्ता खुद ढूंढ लेती है। एक ऐसा ही किस्सा पोलार्ड के साथ हुआ। यह वक्त आईपीएल का था। जहां फ्रेंचाइजी ने बड़ी-बड़ी बोली लगाकर नए-नए क्रिकेटर्स को रातों-रात करोड़पति बना दिया। पोलार्ड की किस्मत भी एक तरह से आईपीएल में आने के बाद ही बदली।

मुंबई इंडियंस ने 5.50 करोड़ में ख़रीदा 

साल 2009 में न्यू साउथ वेल्स और त्रिनिदाद एंड टोबैगो के बीच मैच हो रहा था । 170 का पीछा करते हुए त्रिनिदाद का 6 विकेट गिर चुका था। टीम हार की तरफ बढ़ रही थी। तभी पोलार्ड नामक ऐसा तूफान आया जिसने 18 गेंदों में 55 रन की पारी खेल टीम को जीत दिला दी। इस पारी में पोलार्ड ने 5 बड़े छक्के जड़े। पोलार्ड की पारी का ही कमाल था की मुंबई इंडियंस ने उन्हें 2010 में 5.50 करोड़ की भारीभरकम बोली लगाकर उनको खरीद लिया

आईपीएल में चुने जाने के बाद पोलार्ड ने बयान देते हुए कहा था-

आईपीएल जैसे लीग में शामिल होना काफी शानदार है । इस लीग में बड़ी कीमत वाले खिलाड़ी खेलते हैं । जिसके साथ खेलना मेरे लिए काफी सम्मान की बात है । अब मैं पहले से ज्यादा प्रोफेशनल रहूंगा और जितने पैसे देकर मुझे खरीदा गया है उसे जिम्मेदारी से निभाऊंगा।

शानदार प्रदर्शन के बल पर मुंबई इंडियंस को दिलाई ट्रॉफी

पोलार्ड 2010 में मुंबई इंडियंस के लिए खेले । उनका प्रदर्शन ठीक-ठाक ही रहा । लेकिन 2013 में उन्होंने जिस तरह का प्रदर्शन दिखाया वह मुंबई इंडियंस के पहले आईपीएल ट्रॉफी जीतने की सबसे बड़ी वजह है। पोलार्ड ने इस सीजन में 18 मैचों में 420 रन बनाए। जहां उन्होंने 150 का स्ट्राइक रेट से कुल 29 छक्के ठोके । पोलार्ड की काबिलियत का सबसे बड़ा प्रमाण इस पूरे सीजन में देखने को मिला। जिसके बाद वह मुंबई इंडियंस का अब तक महत्वपूर्ण हिस्सा है। और यह टीम आईपीएल में सबसे ज्यादा ट्रॉफी भी जीत चुकी है ।

पैसे का महत्त्व 

T20 cricket और पोलार्ड एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। पोलार्ड के अंदर बहुत काबिलियत थी । लेकिन वह कभी भी वेस्टइंडीज के महान खिलाड़ियों में शामिल नहीं हो सके। इसकी सबसे बड़ी वजह उनका दुनिया भर के T20 लीग में खेलना है । वह अपने देश के टीम के बदले T20 में खेल कर पैसा कमाना चाहते थे। इस कारण उन्हें वेस्टइंडीज के पूर्व दिग्गज खिलाड़ियों ने भाड़े का खिलाड़ी तक का डाला था। लेकिन पोलार्ड का इस पर कोई असर नहीं पड़ा । क्योंकि उन्हें पता था कि वह जहां से आए हैं और उनके लिए पैसा कितना महत्व रखता है।

एक बार पोलार्ड ने एक इंटरव्यू में कहा था –

मैं यह नहीं चाहता कि मेरा परिवार भी उसी हालात से गुजरे जिस हालात से मैं गुजरा हूं। इसलिए मैं जब भी मैदान पर उतरता हूं तो उनकी प्रेरणा मुझे परफॉर्म करने का जज्बा देती है।

पोलार्ड ने अब तक दुनिया भर के कई टीमों के साथ T20 मैच खेले चुके है। वह अब तक 500 से ऊपर T20 मैच खेल चुके हैं और 10000 से भी अधिक रन बना चुके हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि क्रिमिनल वाली जगह से निकलकर क्रिकेट की दुनिया में राज करना सिर्फ पोलार्ड जैसा क्रिकेटर ही कर सकता है।

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सोशल मीडिया का मुख्य काम लोगों तक जानकारी पहुंचाना होता है । मगर आजकल अलग-अलग अकाउंट बनाकर लोग न सिर्फ अपने दोस्तों के साथ जुड़ ही रहे हैं, बल्कि उनके इस्तेमाल करने का तरीका भी बदल गया है। लोग सोशल मीडिया मीडिया का उपयोग जानकारी प्राप्त करने ,ऑडियो कॉलिंग, वीडियो कॉलिंग के साथ-साथ अपने प्रोडक्ट का प्रचार करने , विज्ञापन से पैसा कमाने और मार्केटिंग में भी करने लगे हैं । आज हम एक ऐसे ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के बारे में बताएंगे जिसके माध्यम से आप घर बैठे आसानी से पैसे कमा सकते हैं। चलिए हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताते हैं कि इंस्टाग्राम से पैसे कैसे कमा सकते हैं।

इंस्टाग्राम फेसबुक और व्हाट्सएप की तरह ही एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है जिसमें आप अपनी फोटो तथा वीडियो लोग साथ शेयर कर सकते हैं। पर इसका Interface फेसबुक और व्हाट्सएप से काफी अलग है। इस प्लेटफार्म का उपयोग लोग ज्यादातर वीडियो या फोटो डालने के लिए करते हैं। अब इसमें Video Calling की सुविधा भी आ गई है । जिसके माध्यम से आप किसी दूसरे इंस्टाग्राम यूजर के साथ वीडियो कॉलिंग भी कर सकते हैं।

इंस्टाग्राम के Founder का नाम Kevin Systrom है। इसकी स्थापना 2010 में हुई थी और अप्रैल 2012 में इसे फेसबुक ने खरीद लिया। इंस्टाग्राम में Twitter और Facebook जैसे #Hashtag भी जोड़ सकते हैं। साथ ही साथ आप फोटो और वीडियो के अलावा लिखकर भी पोस्ट कर सकते हैं । इंस्टाग्राम स्टोरी फीचर के द्वारा वीडियो और फोटो को Broadcast किया जा सकता है जो इंस्टाग्राम से 24 घंटे के बाद गायब हो जाते हैं।

अब हम आपको बताते हैं कि आप घर बैठे ऑनलाइन इंस्टाग्राम से पैसे कैसे कमा सकते है

किसी Brand को Sponsor करके

हम अपने रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत सारे Brand का उपयोग करते हैं ।जिनमें से बहुत सारे नए Brand होते हैं जो अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए विज्ञापन का सहारा लेते हैं । उनके लिए इंस्टाग्राम एक बढ़िया प्लेटफार्म है। इंस्टाग्राम में कंपनी अपने Brand का प्रचार करने के लिए कुछ व्यक्तियों को चुनती है। जिसके इंस्टाग्राम के अकाउंट में follower ज्यादा होते हैं वह अपने अकाउंट के माध्यम से फोटो या वीडियो ब्रांड का अपलोड कर लोगों को वह ब्रांड यूज़ करने के लिए कहते हैं । जिसके लिए उन्हें कंपनी के द्वारा पैसे दिए जाते हैं। इसी को हम किसी ब्रांड को Sponser करना कहते हैं। अगर आपके भी इंस्टाग्राम अकाउंट में ज्यादा Follower है तो आप भी किसी Brand को Sponser करके काफी पैसे कमा सकते हैं

Affiliate Marketing करके

बहुत सारे E-commerce वेबसाइट है जिनके प्रोडक्ट का प्रचार करके आप उनके माध्यम से कुछ कमीशन पा सकते हैं। जिसे Affiliate Marketing के नाम से जाना जाता है । Flipkart , Amazon जैसे ई-कॉमर्स वेबसाइट पर अकाउंट बनाकर उनके Product का Link अपने इंस्टाग्राम अकाउंट के माध्यम से प्रमोट कर सकते हैं । जैसे ही लोग आपके दिए गए Link पर Click करते हैं और उनका प्रोडक्ट खरीदते हैं तो उसका कुछ Fix Commission आपको दिया जाता है।

कोई Product Sell करके

अगर आपके अकाउंट में काफी ज्यादा Follower है तथा आपके पोस्ट पर बहुत सारे लोगो तक पहुंचता है तो आप खुद की कोई कंपनी या प्रोडक्ट बना लोगो को बेच सकते हैं और इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर अच्छा खासा पैसा कमा सकते हैं। इसके लिए आपको Product का फोटो उसका Price और उसका Details लिखकर अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपलोड करना है। अगर कोई Follower आपका प्रोडक्ट खरीदना चाहता है तो आपके पोस्ट पर कमेंट कर या आपके मैसेज इनबॉक्स के द्वारा आपसे संपर्क कर सकता है।

Photo Sell करके

बहुत से लोगों को नई नई जगह पर जाना और उनकी फोटो खींचना बहुत पसंद होता है। बहुत लोग फोटोग्राफी के इतने शौकीन होते हैं कि अच्छे फोटो की तलाश में देश-विदेश तक घूम आते हैं । अगर आप एक अच्छे फोटोग्राफर है और आपकी खींची फोटो लोगों को काफी पसंद आती है तो आप उसको इंस्टाग्राम में डालकर फोटो सेल करके पैसे आसानी से कमा सकते हैं। उसके लिए आपको अपने फोटो के साथ वाटर मार्क लगा कर फोटो अपलोड करना है जिसको आपकी वह फोटो पसंद आएगी वह आपको पैसे देकर आपसे फोटो जरूर कर खरीदेगा।अगर आपकी खींची फोटो काफी पसंद की जाती है तो आप Event Photography करके भी अच्छे खासे पैसे कमा सकते हैं।

इंस्टाग्राम Account Sell करके

अगर आपके अकाउंट में काफी ज्यादा Follower है तथा आपके द्वारा की गई पोस्ट पर लोगो का Engagement भी ज्यादा रहता है तो आप अपना इंस्टाग्राम अकाउंट सेल करके काफी पैसे कमा सकते हैं। बहुत सारे कंपनियां होती है जो नया इंस्टाग्राम अकाउंट बनाकर और उस पर Follower बढ़ाकर टाइम वेस्ट नहीं करना चाहती। बल्कि वह किसी और का इंस्टाग्राम अकाउंट जिसमें फॉलोअर की संख्या काफी होती है वह खरीद करें अपने कंपनी का प्रचार करना चाहती है। ऐसे कंपनी को आप अपना अकाउंट सेल कर काफी मोटी रकम कमा सकते हैं।

वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

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veer tum badhe chalo

वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

 

हाथ में ध्वजा रहे बाल दल सजा रहे
ध्वज कभी झुके नहीं दल कभी रुके नहीं
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर डरो नहीं तुम निडर डटो वहीं
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

प्रात हो कि रात हो संग हो न साथ हो
सूर्य से बढ़े चलो चन्द्र से बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

एक ध्वज लिये हुए एक प्रण किये हुए
मातृ भूमि के लिये पितृ भूमि के लिये
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

अन्न भूमि में भरा वारि भूमि में भरा
यत्न कर निकाल लो रत्न भर निकाल लो
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

~ वीर तुम बढ़े चलो / द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी