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वारिस अहलूवालिया
(अमेरिकी डिजाइनर, अभिनेता)
अमेरिका में 9/11 के हमले के बाद सिख होने की वजह से अपमान सहना पड़ा।
लेकिन मैं डरा नहीं।
हर किसी को अपने धर्म के हिसाब से जीने की आजादी होनी चाहिए।
इसके लिए लोगों को जागरूक करना होगा।
सभ्य समाज में नस्ली भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं होती।
वारिश का जन पंजाब के अमृतसर में हुआ था लेकिन उनका पालन पोषण अमेरिका में हुआ । पिता पंजाब की गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे और मां एक निजी स्कूल चलाती थीं। वारिस पांच साल के थे, जब मम्मी-पापा उन्हें लेकर अमेरिका घूमने निकले। 1979 में वे अमेरिका के ब्रुकलिन शहर पहुंचे। दिलचस्प बात यह थी कि उनकी मां ने मास्टर्स की पढ़ाई अमेरिका में ही की थी, इसलिए उन्हें वहां का माहौल बहुत अच्छा लगा। दोनों ने वहीं बसने का इरादा कर लिया।
परदेस में रहने के बावजूद परिवार ने सिख परंपराओं का पूरी तरह निर्वाह किया। वारिस को स्कूल जाने से पहले रोज घर में अरदास, यानी प्रार्थना करनी होती थी।
वारिस बताते हैं- स्कूल में मैं अकेला सिख बच्च था। मेरे बाल व पगड़ी देखकर अमेरिकी बच्चों को अजीब लगता था। मगर इसे लेकर कभी कोई दिक्कत नहीं आई। मेरी सबसे बनती थी। एक दिन स्कूल टीचर ने मां से कहा कि आपका बेटा बहुत बढ़िया वक्ता है। इसे तो वकील होना चाहिए। इस खूबी को निखारने के लिए वारिस को लीडरशिप ट्रेनिंग में भेजा गया। उन्होंने सिख यूथ कैंपों में भी हिस्सा लिया। वह सार्वजनिक मंचों से नस्ली भेदभाव व सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय जाहिर करने लगे।स्कूली पढ़ाई के बाद वारिस न्यूयॉर्क के लिबरल आर्ट कॉलेज गए। वहां तमाम अफ्रीकी और एशियाई देशों के छात्र पढ़ते थे।
वारिस बताते हैं- कॉलेज में मैं अकेला छात्र था, जो पटका पहनता था। हम संग घूमते-फिरते थे। मैंने हमेशा अपने धार्मिक संस्कारों का पालन किया, साथ ही दूसरे धर्मो का भी सम्मान किया। दो साल तक न्यूयॉर्क में पढ़ाई के बाद वह इंग्लैंड की मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी चले गए। ब्रिटेन उन्हें काफी अच्छा लगा, पर इसी बीच पिता के निधन की एक बुरी खबर आई। वह न्यूयॉर्क लौट आए। तय किया कि अब मां के पास ही रहूंगा। वारिस ने नौकरी के लिए कई जगह इंटरव्यू दिए। म्यूजिक पत्रिका निकालने की कोशिश की, एक इंटरनेट कंपनी खोली। मगर कहीं कामयाबी नहीं मिली।
वह न्यूयॉर्क छोड़कर लॉस एंजेलिस आ गए। वहां एक दिलचस्प वाकया हुआ। एक दिन वह वहां के सबसे मशहूर बुटीक पहुंचे थे। वहां हॉलीवुड के बड़े-बड़े सितारे आया करते थे। तभी स्टोर में मौजूद एक अधिकारी ने उनके हाथ में हीरे की खूबसूरत अंगूठी को देख पूछा, यह अंगूठी कहां से खरीदी? क्या आप हमें इसी डिजाइन की कुछ अंगूठियां बनवाकर दे सकते हैं? वारिस ने झट से हां कर दी। वह एक ज्वैलरी डिजाइनर से मिले व उसी डिजाइन की अंगूठियां स्टोर को पहुंचा दीं।कुछ दिनों के बाद वे अंगूठियां कुछ मशहूर हॉलीवुड सितारों की उंगलियों में नजर आईं। फैशन मैग्जीन में उन अंगूठियों की चर्चा होने लगी। जेवरात डिजाइन की बारीकियों को समझने के लिए उन्होंने ट्रेनिंग ली। जल्द ही उन्होंने हाउस ऑफ वारिस स्टोर खोल लिया। प्राचीन व मॉर्डन डिजाइन का संगम उनके जेवरात की खूबी थी। फैशन पत्रिकाओं में उनका ब्रांड छा गया।
जिंदगी पटरी पर दौड़ रही थी कि अचानक एक बड़ा झटका लगा। सितंबर, 2001 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमलों के बाद नफरत फैलने लगी। उसकी चपेट में सिख समुदाय भी आ गया। वारिस भी गुस्से का शिकार बने। हमलावरों ने उन्हें ओसामा बिन लादेन कहकर अमेरिका छोड़कर जाने को कहा।
वारिस कहते हैं- जब मैं स्कूल में पढ़ता था, तो कई बच्चे मेरी पगड़ी को देखकर कहते थे- देखो, वह गांधी जा रहा है। मगर जब लोगों ने मुङो लादेन कहा, तो मेरा दिल रो पड़ा। डरने की बजाय वारिस लोगों को जागरूक करने में जुट गए।एक दिन वह हॉलीवुड डायरेक्टर वेन्स एंडरसन के संग डिनर कर रहे थे। उन्होंने वारिस से पूछा, तुम मेरी फिल्म में काम करोगे? वारिस ने कहा- हां, क्यों नहीं! 2004 में उन्हें द लाइफ एक्वेटिक विद स्टीव जिसौ फिल्म में रोल मिल गया।
यह नए सफर का आगाज था। एक तरफ उनका ज्वैलरी ब्रांड मशहूर हो रहा था, तो दूसरी तरफ हॉलीवुड में अदाकारी से पहचान मिलने लगी थी। कुछ दिनों के बाद ही उन्हें हॉलीवुड फिल्म निर्देशक स्पाइक ली की फिल्म इनसाइड मैन में एक महत्वपूर्ण रोल मिल गया। कई फैशन कंपनियों के लिए उन्होंने मॉडलिंग भी की।
वर्ष 2013 में फैशन ब्रांड गैप के पोस्टर पर उनकी तस्वीर छपी, तो हंगामा मच गया। तस्वीर में वह पगड़ी पहने नजर आए। पोस्टर पर नस्ली टिप्पणी हुई। मगर वह डटे रहे। फैशन हो या फिल्म का मंच, वारिस बड़े शान से अपनी दाढ़ी और पगड़ी के संग नजर आए। 2010 में उन्हें वेनिटी फेयर में सर्वश्रेष्ठ पहनावे का अवॉर्ड मिला। वोग ने उन्हें दस प्रभावशाली लोगों में शुमार किया।19 अक्तूबर, 2016 को न्यूयॉर्क के मेयर ने धार्मिक सहिष्णुता के क्षेत्र में योगदान के लिए वारिस अहलूवालिया दिवस मनाने का एलान किया।
मगर इस साल फरवरी में एक बार फिर उन्हें अपमानित किया गया। मैक्सिको से न्यूयॉर्क आते वक्त उनसे पगड़ी उतारकर तलाशी देने को कहा गया। वारिस कहते हैं- मैं सिख हूं, मैं पगड़ी पहनता हूं। इस बात पर मुङो गर्व है। नस्ली टिप्पणियों के बावजूद मैंने अपने पहनावे में कोई बदलाव नहीं किया और न ही करूंगा।