हरदी के भोजपुरी लोकगीत

Amit Kumar Sachin

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1 – सोने के कटोरवा में कांच हरदिया

सोने के कटोरवा में कांच हरदिया,

सोने के कटोरवा में कांच हरदिया।

हजमा मड़उआ धइले ठाढ़ ए।।

हरदी चढावेले बेटी के बाबा,

हरदी चढावेले बेटी के बाबा।

जै जै बोली सभ लोग ए।।

सोने के कटोरवा में कांच हरदिया,

सोने के कटोरवा में कांच हरदिया।

हजमा मड़उआ धइले ठाढ़ ए।।

हरदी चढावेले बेटी के चाचा,

हरदी चढावेले बेटी के चाचा।

जै जै बोली सभ लोग ए।।

सोने के कटोरवा में कांच हरदिया,

सोने के कटोरवा में कांच हरदिया।

हजमा मड़उआ धइले ठाढ़ ए।।

हरदी चढावेले बेटी के भईया,

हरदी चढावेले बेटी के भईया।

जै जै करी सभ लोग

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2 – अम्मा लहे लहे

सोने के कटोरवा में पिसल हरदीया, अम्मा लहे लहे
हरदी चढ़ावे  चटकार अम्मा लहे लहे।
सोने के कटोरवा में पिसल हरदीया, अम्मा लहे लहे
हरदी चढ़ावे  चटकार अम्मा लहे लहे
आज शुभ दिनवा के, सोनवा लुटावे अम्मा लहे लहे।
बचवा के चूमे ली लिलार अम्मा लहे लहे 
हरदी चढ़ावे  चटकार अम्मा लहे लहे।
ह़रदी चढ़ावे  भौजी, मटकी जे मारे भौजी,
आज शुभ दिनवा के, सोनवा लुटावे भौजी,
देवर से लेवे ली लहार भौजी लहे लहे।
हरदी चढ़ावे  चटकार भौजी लहे लहे।
ह़रदी चढ़ावे बहिनी, मुस्की जे मारे बहिनी,
आज शुभ दिनवा के, सोनवा लुटावे बहिनी,
चमकेला सोरहो सिंगार बहिनी लहे लहे।
हरदी चढ़ावे  चटकार बहिनी लहे लहे।
सोने के कटोरवा में पिसल, हरदीया  अम्मा लहे लहे
हरदी चढ़ावे  चटकार अम्मा लहे लहे।
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3 – गाडल रुपया निकाल हो

गाडल रुपया निकाल हो कवन पापा,
निकाल हो कवन पापा,
तब अइह हरदी लगावे सिया राम जी हो। 
आपन चोरिका निकाल हो कवन भैया
निकाल हो कवन भैया,
तब अइह हरदी लगावे सिया राम जी हो। 
गाडल रुपया निकाल हो कवन चाचा
निकाल हो कवन चाचा,
तब अइह हरदी लगावे सिया राम जी हो। 
पुछेलन कवन पापा कवन अम्मा से बात जी,
कइसे कइसे चढी हमरा बाबू के हरदीया जी,
सिरवा रुमाल धरी हथवा में पलो जी
वैसे वैसे चढी हमरा बाबू के हरदीया जी।  
पुछेलन कवन चाचा कवन चाची से बात जी,
कइसे कइसे चढी हमरा बाबू के हरदीया जी,
सिरवा रुमाल धरी हथवा में पलो जी
वैसे वैसे चढी हमरा बाबू के हरदीया जी।

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