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Amrita Pritam biography hindi | अमृता प्रीतम का जीवन परिचय
अमृता प्रीतम पंजाब की प्रसिद्ध लेखिकाओं में से एक है। उन्होंने अपने जीवन काल में करीब 100 पुस्तकें लिखी। जिनमें से अधिकांश तक खूब प्रसिद्ध हुई। बहुत से लोग अमृता प्रीतम को पंजाब की सर्वप्रथम लेखिका मानते हैं। उनकी कृतियों को दुनिया भर में पढ़ा जाता है और उनकी रचनाओं का अनुवाद विश्व के 34 भाषाओं में हुआ है। अमृता प्रीतम के द्वारा लिखी गई कहानियों पर कई कई टीवी सीरियल बने है यहां तक कि उनके एक उपन्यास पर फिल्म भी बनी है, जिसका नाम पिंजर है। यह फिल्म 2003 में आई थी।
तो चलिए आज के इस पोस्ट में मैं आपको अमृता प्रीतम की बायोग्राफी(Amrita Pritam Biography hindi)बताऊंगा। मैं इस पोस्ट के जरिए अमृता प्रीतम का प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, साहित्य करियर जैसे सभी विषयों पर विस्तार से बताऊंगा तो चलिए शुरू करते हैं।
अमृता प्रीतम का जन्म, माता पिता और शिक्षा | Amrita Pritam’s Birth, Parents and Education
अमृता प्रीतम का जन्म 31 अगस्त 1919 में पंजाब के गुजरंवाला में हुआ था। भारत और पाकिस्तान के बटवारे के बाद यह स्थान पाकिस्तान में जा चुका है ।उनके पिता का नाम नंदसाधु और माता का नाम राज था। उनकी मां का देहांत बचपन में ही हो गया था। वे अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। अमृता प्रीतम का पालन पोषण इनकी नानी ने ही किया था।
अमृता प्रीतम की शिक्षा (Amrita Pritam Education)
अमृता प्रीतम की शुरुआती शिक्षा लाहौर में हुई जो वर्तमान मे पाकिस्तान में आता है। उन्हें बचपन से ही कविता कहानी निबंध लिखने का शौक था। उनकी पहला संकलन 1935 में जब वह 16 वर्ष की तब प्रकाशित हुआ था। आने वाले कुछ वर्षों में अमृता प्रीतम की 50 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी थी और उनकी कई पुस्तको का विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी हुआ .
अमृता प्रीतम का साहित्य करियर | Amrita Pritam Literature career
जैसा कि मैंने पहले बताया कि अमृता प्रीतम की प्रथम संकलन 1935 में हुआ था। तभी से उनका साहित्य करियर शुरु हो चुका था। उन्होंने 1947 में बंटवारे का भी दुख देखा था और उन्होंने अपने दुख और गुस्से को कविता और उपन्यास के जरिए प्रस्तुत किया।
अमृता प्रीतम को 1956 में पंजाबी साहित्यकारों में महिलाओं की आवाज बताकर सम्मानित किया। उसी साल उन्होंने साहित्य अकैडमी अवॉर्ड जीता और इतिहास में पहली बार किसी महिला ने इस अवार्ड को हासिल किया था। यह अवार्ड उन्हें “सुनेहदे” कविता के लिए मिला था।
1980 से 1990 तक अमृता प्रीतम पंजाब की अलग-अलग घटनाओं पर अलग अलग कहानीकारों की कहानियों को लेकर उसका संपादन करके एक पुस्तक लिखी जिसका नाम “एक उदास किताब” रखा।
अमृता प्रीतम ने अपने जीवन काल में 100 से अधिक पुस्तकें, 18 एंडथोलॉजी, 28 नोवेल और 5 लघु कथा लिखी थी। उन्होंने ढेर सारी कविताओं की भी लिखि है। उनकी कृतियों का अनुवाद कई भाषाओं में हुआ है जैसे हिंदी उर्दू,गुजराती, अंग्रेजी, मलयालम,कन्नड़, बंगला,सिंधी,मराठी आदि । चलिए उनके द्वारा की गई सभी रचनाओं की लिस्ट में आपको दे देता हूं।
अमृता प्रीतम के मुख्य उपन्यास (Novels of Amrita Pritam) |
कच्ची सड़क |
यात्री |
धरती सागर ते सीपियाँ |
दूसरी मंज़िल |
कोरे कागज़ |
देव |
पिंजर |
दिल्ली की गलियाँ |
हरदत्त का जिंदगीनामा |
जिलावतन |
अग दा बूटा |
डॉक्टर |
तेहरवाँ सूरज |
अमृता प्रीतम के लघु कथाएँ (Short Stories by Amrita Pritam) |
कहानियाँ जो कहानियाँ नही |
कहानियों के आँगन में |
स्टेंच ऑफ़ केरोसिन |
अमृता प्रीतम के काव्य (Poetry by Amrita Pritam) |
मुहब्बतनामा |
तीसरी औरत |
काला गुलाब |
इक शहर दी मौत |
हीरे दी कनी |
किरमिची लकीरें |
कड़ी धुप्प दा सफ़र |
लातियाँ दी छोकरी |
अज्ज दे काफ़िर |
केड़ी ज़िंदगी केड़ा साहित्य |
अमृता प्रीतम को दिए गए पुरस्कार | Awards given to Amrita Pritam
- 1956 में साहित्य अकादमी पुरस्कार अमृता प्रीतम ने जीता । यह पुरस्कार इतिहास में पहली बार किसी महिला को दिया गया।
- 1969 में अमृता प्रीतम को पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
- 1982 में अमृता प्रीतम को भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया।
- 1988 में पंजाब सरकार द्वारा अमृता प्रीतम को बल्गारिया वैरोव पुरस्कार दिया गया।
- सन 2000 में अमृता प्रीतम को शताब्दी सम्मान दिया गया।
- 2004 में अमृता प्रीतम को पद्म वीभूषण से सम्मानित किया गया।
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अमृता प्रीतम का निजी जीवन | Amrita Pritam personal life
अमृता कौर का विवाह 16 वर्ष की उम्र में प्रीतम सिंह से हुआ । उसके बाद अमृता कौर ने अपना नाम बदल कर अमृता प्रीतम कर लिया । वे दोनों 25 वर्षों तक साथ रहने के बाद 1960 में अलग हो गए। अमृता प्रीतम ने अपनी आत्मकथा “रसीदी टिकट” में लिखा है कि वह साहिल लुधियानवी के प्रति आकर्षित हुई थीं।
हालांकि, कुछ समय बाद अमृता प्रीतम की मुलाकात उस समय के प्रसिद्ध लेखक और कलाकार इमरोज से हुई । अमृता प्रीतम ने अपने जीवन के आखिरी 40 साल इमरोज के साथ ही बिताये। इस बात का खुलासा उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक अमृता “अमृता इमरोज : ए लव स्टोरी” से चलता है।
प्यार करना फिर उसका इजहार करना और उसके बाद समाज में उस प्यार के लिए इज्जत पाना जहां आज भी कई लोगों के लिए मुश्किल भरा सफर है वहीं अमृता प्रीतम ने इन सभी बेड़ियों को तोड़ते हुए अपना अलग ही रास्ता बनाया और उस वक्त लिव इन में रहने का फैसला किया जब ऐसा सोचना भी महिलाओं के लिए असंभव था। अमृता प्रीतम आजाद ख्याल रखने वाली महिलाओं की एक रोल मॉडल थी।
अमृता प्रीतम की मौत | Death of Amrita Pritam
26 दिसंबर 2005 के दिन अमृता प्रीतम इस दुनिया को अलविदा कह दिया। वह काफी लंबे समय से बीमार रहती थी और उनकी मौत नींद में ही हो गई। मैं मानता हूं कि कलाकार कभी मरते नहीं बल्की वो अमर हो जाते है।
उम्मीद है कि आपको अमृता प्रीतम की बायोग्राफी(Amrita Pritam biography) काफी पसंद आई होगी। मैंने आपको अमृता प्रीतम के जीवन के विषय में हर एक पहलुओं को विस्तार से बताया। आपका अमृता प्रीतम के बारे में क्या कहना है हमें कमेंट करके बताइए।