चौदह साल का लड़का बना इंग्लैंड के यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर

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YASHA YESLE ( याशा एस्ले )

चौदह साल की उम्र में जब बच्चे किशोरावस्था में कदम रखते है तो उस समय बहुत सारी बाते उन्हें मालूम नहीं होती है . इस उम्रे में मस्ती मजाक खेल कूद में ज्यादा मजा आता है लेकिन यदि हम आपसे कहे की तेरह साल की उम्र में कोई लड़का प्रोफेसर बन कर लोगो को पढ़ा रहा है तो क्या आप यकीन करेंगे नहीं न लेकिन ये सच है

 ह्यूमन कैलकुलेटर के  नाम से है प्रसिद्ध 

इरानी मूल के इस बच्चे का नाम है याशा एस्ले जिन्हें ह्यूमन कैलकुलेटर कहा जाता है । गणित के अविश्वसनीय ज्ञान से लैस वह इंग्लैंड की लीसेस्टर यूनिवर्सिटी में छात्रों को पढ़ा रहे हैं, साथ ही अपनी डिग्री की पढ़ाई भी पूरी कर रहे हैं। दुनिया के सबसे नन्हे प्रोफेसर याशा एस्ले ने साबित कर दिया कि किसी भी काम को करने के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती है।

बचपन से ही गणित में है रूचि 

याशा के पिता मूसा एस्ले बताते हैं कि याशा को शुरू से ही गणित में रुचि थी। वे उन्हे रोज गाड़ी में यूनिवर्सिटी छोड़ने जाते हैं। वह अपना डिग्री कोर्स खत्म करने के करीब है और जल्द ही अपनी पीएचडी शुरू करने वाला है।

यूनिवर्सिटी  पैनल भी  गणित के ज्ञान को देखकर था  हैरान 

याशा एस्ले का यहाँ तक का सफ़र आसान नहीं रहा । याशा का अनोखा गणित ज्ञान देखकर उनके पिता ने यूनिवर्सिटी से संपर्क किया था। उस वक्त इसकी उम्र सिर्फ तेरह साल थी।उसके बाद इसे यूनिवर्सिटी में बुलाया गया। याशा बताते हैं कि पहली मुलाकात के वक्त यूनिवर्सिटी के पैनल ने उनकी कम उम्र को देखते हुए कई तरह के सवाल किए थे, लेकिन मैंने उन्हे लाजवाब कर दिया । यूनिवर्सिटी का पैनल भी इसके गणित के ज्ञान को देखकर हैरान हो उठा।

मानव संसाधन विकास विभाग से लेनी पड़ी विशेष अनुमति 

उन्हें अतिथि शिक्षक के रूप में नियुक्त कर लिया गया। अतिथि शिक्षक पद पर नियुक्ति से पहले उन्हें मानव संसाधन विकास विभाग से विशेष अनुमति लेनी पड़ी। यूनिवर्सिटी ने जब यह अनुमति लेस्टर परिषद के सामने रखी तो परीषद के अधिकारीयों को भी यकीन नहीं हुआ। जब वे याशा से मिले तो वे भी आश्चर्यचकित रह गए । अब किसी 14 साल के बच्चे को यूनिवर्सिटी जाते देखना और वहां जाकर अपने से बड़े बच्चों की क्लास लेना उन्हें बड़ा सुखद लगता है।

याशा का कहना है कि उन्हें नौकरी करने से भी अधिक खुशी वहां के छात्रों को पढ़ाने में मिलती है। याशा कहते हैं कि मैं दूसरे छात्रों की मदद करना चाहता हूं और उनके ज्ञान को बढ़ाने में मदद कर सकता हूं

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