दोस्तों आज हम एक ऐसे कलाकार के बारे में बताने वाले है जिन्होंने रील लाइफ में विलेन के रूप में अपना नाम कमाया लेकिन रियल लाइफ में वो गरीबो के मसीहा के रूप में जाने जाते है . जीतनी प्रसिद्धि उन्होंने फोल्मो में अपने अभिनय से नहीं कमाया उससे ज्यादा नाम उन्होंने कोरोना महामारी के समय गरीब मजदूरों की सेवा करके कमाया . जी हाँ मै बात कर रहा हु सोनू सूद के बारे में . जिन्होंने मुंबई के साथ-साथ विभिन्न राज्यों में फंसे हुए लोगों को ट्रेन से और एरोप्लेन से जो भी सुविधा हो पाई घर पहुंचाने का भरपूर कोशिश किया .
सोनू सूद का जन्म पंजाब के मोगा में हुआ था। उनके पिता शक्ति सागर की मोगा में ही साड़ी की दुकान थी जिसका नाम बॉम्बे क्लॉथ हाउस था। वही उनकी मां सरोज सूद एक टीचर थी। सोनू अपने माता पिता दोनों के ही बेहद करीब हैं । फिलहाल अभी दोनों ही इस दुनिया में नहीं है।
सोनू सूद पढ़ाई में काफी अच्छे थे इसलिए उनके माता-पिता उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे। उन्होंने सोनू सूद का एडमिशन नागपुर के यशवंत चौहान कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में कराया था। वे चाहते थे कि उनका बेटा साड़ी की दुकान नहीं चलाये बल्कि एक अच्छी नौकरी करें। लेकिन सोनू सूद शुरू से ही एक्टर बनना चाहते थे। उनकी माता प्रोफ़ेसर थी उनकी इच्छा थी कि बेटे को पढ़ाना है और बड़ा बनाना है।
उन्होंने अपनी माता से एक दिन बोला कि
मैं एक्टर बनना चाहता हूं । मुझे एक साल दीजिए । अगर मैं बन गया तो ठीक है नहीं तो फिर पिताजी की साड़ी की दुकान संभाल लूंगा और उनका बिजनेस पढ़ाऊंगा
उन्होंने मुंबई में कई सालों तक स्ट्रगल किया । इस दौरान वह मुंबई में किराए के मकान में रहते थे। वही काफी स्ट्रगल करने के बाद उन्हें कालिसघर नामक एक तमिल फिल्म में काम मिला लेकिन सोनू को शुरू में कोई खास पहचान नहीं मिली ।एक दिन उन्हें फोन आया कि उन्हें साउथ के एक फ़िल्म के लिए सेलेक्ट कर लिया गया है तो ऑडिशन के लिए आ जाए। सोनू सूद जब ऑडिशन के लिए पहुचे तो उनके साथ एक अजीबोग़रीब घटना हुई। प्रोड्यूसर ने बुलाया उन्होंने उनकी बॉडी देखी और बोला टीशर्ट उतार कर तुम बॉडी दिखा सकते हो । पहले तो सोनू सूद को अजीब लग फिर उन्होंने टी-शर्ट उतार कर अपनी बॉडी दिखाई तो प्रोड्यूसर उनके बॉडी से काफी इंप्रेस हुए और उन्हें उन्होंने उसे उनको फिल्में साइन कर लिया । बॉडी की बदौलत ही उन्हें साउथ इंडियन फ़िल्म कलिसघर के लिए सेलेक्ट कर लिया गया।
साल 2001 में शहीद-ए-आजम फिल्म से उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा जिसे लोगों ने काफी पसंद किया। सोनू सूद ने अपने फिल्मी करियर में युवा से लेकर शूटआउट वडाला और दबंग से लेकर सिंबा के जरिए शोहरत कमाई। वैसे तो उन्होंने कई भाषाओं के फिल्मों में काम किया है पर विलेन के रोल में उन्हें काफी पसंद किया जाता है। दबंग फिल्म में छेदी सिंह के रोल में उन्हें काफी पसंद किया गया। उन्होंने बहुत सारे फिल्मों में विलेन का रोल करके अपनी एक अलग पहचान बनाई है । उन्होंने जैकी चैन के साथ कुंग फू योगा में भी काम किया है। सोनू सूद को अपने फिल्मों के लिए कई अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। उन्हें दबंग के लिए बेस्ट विलन का आइफा अवॉर्ड मिल चुका है । इसके अलावा उन्हें फिल्म अनु अरुंधति के लिए नंदी अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। इतना ही नहीं उन्हें अरुंधति के लिए बेस्ट सर्पोटिंग एक्टर फिल्मफेयर अवार्ड भी मिल चुका है।
साल 1996 में सोनाली के साथ शादी की। सोनू और उनकी वाइफ कॉलेज में एक साथ पढ़ते थे । सोनालि का बॉलीवुड से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। इसलिए वह लाइमलाइट से दूर रहना पसंद करती है । इनके दो बेटे भी हैं जिनका नाम अयान सूद और ईशान सूद है। सोनू सूद बीते कुछ दिनों में जब करोना की महामारी आई तो बहुत सारे मजदूर अपने घर नहीं जा पा रहे थे। इस समय सोनू सूद एक मसीहा के रूप में उभरे और उन्होंने कई हजार मजदूरों को खुद के पैसे से घर भिजवाया । उन्होंने गरीबी और प्रवासी मजदूरों को खाने से लेकर घर पहुंचाने तक हर संभव मदद की।
सोनू ने अपने पिता शक्ति सूद के नाम पर एक स्कीम लॉन्च की। जिसके तहत वह हर रोज 45000 लोगों को खाना खिला रहे है। इसके अलावा उन्होंने स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए मुंबई के जुहू में स्थित अपना शक्ति सागर होटल भी खोल दिया। जिससे सभी स्वास्थ्य कर्मी वहां आकर ठहर सके यही नहीं उन्होंने मुंबई के साथ-साथ विभिन्न राज्यों में फंसे हुए लोगों को ट्रेन से और एरोप्लेन से जो भी सुविधा हो पाई घर पहुंचाने का भरपूर कोशिश किया। वह 1 ट्वीट और मैसेज पर उनके घर पहुंचा रहे हैं।
उनके बॉडी से सलमान खान तक प्रभावित है दबंग में काम करते हुए सलमान खान ने बोला था कि उन्हें सोनू सूद की बॉडी देखकर इंफोर्मलिटी कंपलेक्स होता है
संघर्ष के दिनों को याद करते हुए सोनू सूद कहते हैं कि –
मुझे याद है पहला ऐड मैंने जूतों का किया था । मुझे बोला गया कि ₹3000 एक दिन का मिलेगा। 3 दिन का काम है तो मैंने सोचा अच्छा है 9 से ₹10000 रुपये मिल जाएंगे पूरा महीना आराम से गुजर जाएगा। दो-तीन साल किसी तरह सरवाइव करता रहा।
सोनू सूद अपनी मम्मी को स्कूटर से कॉलेज छोड़ने जाया करते थे और लेकर भी आया करते थे । फिर उसी कॉलेज में उन्होंने पढ़ाई भी की और उनकी मम्मी उनकी टीचर भी थी । उन्होंने सोनू की सोच को काफी इंस्पायर किया। स्ट्रगल के दिनों में उनकी मम्मी उन्हें लेटर लिखा करती थी और उन्हें इंस्पायरर किया करती थी । ताकि वे थक कर हारे नहीं और वे अपने सपना पूरा कर सके।
सोनू सूद बताते हैं कि मैं मम्मी से बोलता था कि जब अपनी बात रोजाना हो ही जाती है तो आप लेटर क्यों लिखती हो। तो उनकी मम्मी बोलती थी कि अभी तो तुमसे बात हो जाया करती है। जब मैं नहीं रहूंगी तो यह लेटर इसका रिकॉर्ड रहेगा। 1992 से लेकर 2007 तक सोनू सूद ने अपने मम्मी का 15 साल के चिट्ठियों को संभाल के रखा है। आज भी मैं पढ़ता हूं तो लगता है जैसे मैं उनसे बात कर रहा हूं।
एक्टिंग से ज्यादा सोनू सूद की तारीफ उनके सोशल वर्क को लेकर हो रही है। पूरा सोशल मीडिया उनका फैन हो गया है क्योंकि जो कोई भी उनसे मदद की गुहार लगा रहा है उसको उसका वह मदद खुले दिल से कर रहे हैं।