गूगल डूडल में आज जाने कौन थीं? अनसूया साराभाई

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दोस्तों आज हम बताने जा रहे है एक ऐसी प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता के बारे में जिसने मजदूरो की हक़ की लड़ाई के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया । उधोगपति परिवार से होते हुए भी जिसने  मजदूरो का संगठन बनाया । जिसकी यद् में आज यानि 11 नवम्बर को गूगल ने भी उनका डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी । जी हम बात कर रहे है अहमदाबाद की सामाजिक कार्यकर्ता अनसूया साराभाई के बारे में जिन्हें लोग प्यार से मोटाबेन कहकर बुलाते थे जिसका गुजराती में मतलब ‘बड़ी बहन’ होता है।

शुरुआती जीवन और शिक्षा 

अनसूया साराभाई का जन्म 11 नवंबर, 1885 को अहमदाबाद में साराभाई परिवार में हुआ। उनकी माता का नाम गोदावरीबा और उनके पिता का नाम  साराभाई  था जो उद्योगपति थे । नौ साल की उम्र में ही उनके माता पिता का निधन हो गया जिसके फलस्वरूप उनको अपने भाई अम्बालाल साराभाई के पास जाना पड़ा और छोटी बहन को एक चाचा के पास भेजना पड़ा । 13 साल की उम्र में ही उनका बाल  विवाह कर दिया गया जो असफल रहा । अपने भाई की मदद से 1912 इस्वी में अनुसूया  मेडिकल की डिग्री लेने के लिए इंग्लैंड चली गईं लेकिन बाद में लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में चली गईं।

राजनीतिक सफ़र 

भारत वापस आने के उन्होंने देखा की मजदूरो की हालत बेहद ख़राब है । 36 घंटे की शिफ्ट भी तक उनसे कम लिया जा रहा है जिसके कारन वो थककर कर हो जाते है । इसके बाद उन्होंने  महिलाओ और समाज के गरीब वर्ग की भलाई के लिए आवाज उठाने का फैसला  किया

 मजदूरों  की मांगो का किया समर्थन 

अनसूया ने 1914 में अहमदाबाद में हड़ताल के दौरान टेक्स्टाइल मजदूरों को संगठित करने में मदद की। वह  1918 में महीने भर चले हड़ताल में भी शामिल थीं। बुनकर अपनी मजदूरी में 50 फीसदी की बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे जबकि मिल मालिक 20 फीसदी ही बढ़ोतरी के पक्ष में थे । जिससे असंतुष्ट होकर बुनकरों ने हड़ताल करनी शुरू कर दी । इस हड़ताल को गांधीजी और साराभाई का भी समर्थन मिला । अंततः मजदूरो को 35 फीसदी बढ़ोतरी मिली ।

मजदुर महाजन संघ की स्थापना 

इसके बाद अनुसूया साराभाई  ने 1920  में मजदुर महाजन संघ की (Ahmedabad Textile Labour Association) स्थापना की जो भारत के टेक्स्टाइल मजदूरों का सबसे बड़ा पुराना यूनियन है। मिल मालिक की बेटी होते हुए भी अनसूया ने मजदूरो के हक़ की लडाई लड़ी और हमेशा मजदूरो के साथ खडी रही । इन्होने अन्य मिल मालिकों के साथ अपने  भाई तक  का विरोध किया जो  एक  मिल  मालिक थे।

लोग प्यार से कहते थे मोटाबेन

अनसूया को लोग प्यार से मोटाबेन कहकर बुलाते थे जिसका गुजराती में मतलब ‘बड़ी बहन’ होता है। अनसूया का निधन 1972 में हुआ।

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