देश के पहले राष्ट्रपति की परपोती है ‘रॉकस्टार और तनु वेड्स मनु’ की ये एक्ट्रेस

Amit Kumar Sachin

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श्रेया नारायण (SHREYA NARAYAN)

BOLLYWOOD ACTRESS

फिल्म एक्ट्रेस के साथ साथ एक लेखिका एवं समाज सेविका भी

जैसा कि हम सभी जानते है की भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र थे. डॉ राजेंद्र प्रसाद बिहार के रहने वाले थे.कई सारी बातें लोगों को उनके बारे में पता है. लेकिन ये बातें शायद ही लोगों को मालूम होगा कि उनके परिवार की एक बेटी बॉलीवुड एक्ट्रेस हैं. जी हाँ, हम बात कर रहे है बॉलीवुड एक्ट्रेस श्रेया की. जिन्होंने ‘साहेब बीवी और गैंगस्टर’ जैसी फिल्मों में किरदार निभाया है. श्रेया का जन्म मुजफ्फरपुर में हुआ. श्रेया को तिग्मांशु धुलिया की फिल्म ‘साहेब बीवी और गैंगस्टर’ में महुआ के रोल से पहचान मिली थी. श्रेया फिल्म एक्ट्रेस के साथ साथ एक लेखिका एवं समाज सेविका भी हैं.

कई फिल्मो में किया है काम

श्रेया ने अपना करियर सोनी टीवी पर आने वाले शो ‘पावडर’ से शुरूआत की. इसके साथ साथ श्रेया ने कई बॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया है हैसे एक दस्तक, नॉक आउट, रॉकस्टार, राजनीति सुपर नानी, तनु वेड्स मनु.


साहेब बीवी और गैंगस्टर से मिली पहचान

लेकिन उन्हें फिल्मी जगत में सफलता 2011 में आयी तिगमांशु धूलिया की फिल्म साहेब बीवी और गैंगस्टर फिल्मों से मिली. हाल ही में आयी फिल्म ‘सुपर नानी’ में उन्होंने दिमागी तौर पर बीमार लड़की का किरदार निभाया था. इसी के साथ श्रेया ने कोसी नदी बाढ़ के समय प्रकाश झा के साथ बिहार बाढ़ राहत मिशन में भी काम किया था. श्रेया की मां कैंसर से पीड़ित थीं, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई थी. एसे में श्रेया ने थिएटर के सहारे ही अपने जीवन को एक नई दिशा दी और फिल्मी जगत में उन्होंने अपना करियर शुरू किया. श्रेया का कहती है कि जब तक आप फिल्म इंडस्‍ट्री में कुछ बन नहीं जाते, तब तक आपका शोषण होता रहता है.

बॉलीबुड की है बोल्ड एक्ट्रेस

श्रेया नारायण बॉलीबुड की एक बोल्ड एक्ट्रेस मानी जाती हैं. श्रेया का कहना है कि कलाकार अलग-अलग तरह के किरदार निभाते हैं तो आपको ऐसा तरीका मिल जाता है, जिससे आप अपनी शख़्सियत को किसी फ़िल्मी किरदार में ढालकर उसे फ़िल्म ख़त्म होने के बाद छोड़ सकते हैं.

थियेटर करने से मिलती है ख़ुशी

बचपन को याद करते हुए वे आगे कहती हैं कि जब मैं अपनी मां से मिलने अस्पताल जाती थी तो मैं एक ज़िम्मेदार बेटी होती थी और जब मैं उन्हें छोड़कर शूटिंग पर जाती थी तो मैं बस वह किरदार बन जाती थी, जिसे मैं निभा रही होती थी। ऐसा करने से आप अपनी भावनाओं पर पूरी तरह नियंत्रण रख पाते हैं.

श्रेया ने एक इंटरव्यू में कहा था कि थिएटर ने उन्हें उनकी पहचान और खुशी दिलाई, क्योंकि वह बचपन में एक नाखुश बच्चे की जिंदगी जी रही थीं.

साभार –Daily bihar News ,shreyanarayan

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