कुछ लोगो को लगता है कि मासिक धर्म , सेनेटरी पैड को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने से देश में प्रगतिशीलता के बड़े बड़े झंडे गाड़े जा सकते है । सेनेटरी पैड के साथ सेल्फी खिंचवाने से देश में क्रांति आ जायेगी । आधुनिक लड़कियों के हिसाब से वो हर चीज से आजादी चाहती है। उनका यह मानना है कि जब तक लडकिया कम कपडे पहनकर नहीं घूमेंगी वो गुलाम ही मानी जायेगी । जो लडकिया जितनी ही कम कपड़े पहनकर घूमेगी वो उतनी ही आजाद मानी जायेगी ।
कुछ लोगो ने आधुनिकता के नाम पर पाश्चात्य सभ्यता संस्कृति को अपनाना शुरू कर दिया है जहाँ पर बलात्कार एक आम बात है । आधुनिकता का मतलब अपनी सोच में अपने रहन सहन में बदलाव लाना है न की अपने कपड़ो में । कम कपडे पहनने से कोई मॉडर्न नहीं बन जाता ।
महिलाये पुरुषों से किसी मामले में कम नहीं है । लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि परिवार वाले अगर आपको कुछ सलाह सलाह दे रहे है तो वो आपकी आजादी पर खतरा हो गया । इस देश को आगे ले जाना है तो पुरुषों और महिलाओं का एक दूसरे का सम्मान करना होगा । मुझे नही लगता कि हाथ में सेनेटरी पैड लेकर सेल्फी खिंचवाने से कोई सम्मान आएगा ।
सोशल मीडिया पर एक कैम्पेन चला है सेनेटरी पैड को टैक्स फ्री करने के लिए । अच्छा कैम्पेन है लेकिन केवल भावनाओ में बहकर कैम्पेन का हिस्सा नहीं बनना चाहिए बल्कि उसके दूरगामी प्रभाव के बारे में भी सोचना चाहिए । खुद अरुण जेटली के अनुसार अगर सेनेटरी पैड्स को टैक्स फ्री कर दिया गया तो भारतीय बाजारों से इंडियन सेनेटरी पैड्स गायब हो जायेगी और उसकी जगह चायनीज़ पैड्स का कब्ज़ा हो जायेगा ।
यह पोस्ट सारी पैडधारी सेल्फी खिंचवाने वाली महिलाओं को समर्पित
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