पढ़िए मौत सामने होते हुए भी बदमाशो के चंगुल से छूटने वाली वीरता पुरस्कार से सम्मानित लक्ष्मी की कहानी

Amit Kumar Sachin

दोस्तों आज हम एक ऐसी साहसिक लड़की के बारे में बताने जा रहे है जिसे टीवी नामक बीमारी होते हुए भी तिन बदमाशो के सामने घुटने नहीं टेके | उसके सामने मौत या बलात्कार का खौफ होते हुए भी वो बदमाशो के चंगुल से न सिर्फ भाग पाने में कामयाब हुयी बल्कि उनलोगों को सलाखों के पीछे भी पहुचाया | जानिए छत्तीसगढ़ के रायपुर की रहने वाली लक्ष्मी की कहानी ………

दो साल पहले की बात है। छत्तीसगढ़ के रायपुर की रहने वाली लक्ष्मी पढ़-लिखकर पुलिस अफसर बनना चाहती थीं, पर बीमारी ने उनके हौसले पस्त कर दिए। सबने सोचा सामान्य सी खांसी है ,घरेलु उपचार से ठीक हो जाएगी | पर  कई हफ्ते बीत गए पर रानी की खांसी ठीक नहीं हुयी । उन्हें भूख भी कम लगती थी और  वजन भी कम हो गया था । तब परिवार वालो को उनकी तबियत को लेकर चिंता हुयी ।

15 साल की उम्र में हुआ टीवी

वे उसे लेकर डॉक्टर के पास गए। डॉक्टर ने बलगम जांच कराने की सलाह दी। रिपोर्ट आई, तो मां घबरा गईं। डॉक्टर ने बताया, आपकी बेटी को टीबी है। पर उन्होंने समझाया कि यह लाइलाज बीमारी नहीं है। इसका इलाज संभव है, थोडा वक्त लगेगा  पर लक्ष्मी बिल्कुल ठीक हो जाएगी। मजदूरी कर घर चलाने वाले माता-पिता बेटी के इलाज के लिए हर कष्ट सहने को तैयार थे। उनका इलाज शुरू हुआ। तबियत में सुधार होने लगा, पर कमजोरी बहुत थी।

एक खौफनाक हादसे ने जिंदगी बदल दी 

लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था | तभी  लक्ष्मी की  जिंदगी में एक खौफनाक वाकया हुआ। एक ऐसी घटना, जिसने उनकी जिंदगी को बदल दीया । बात है  2 अगस्त 2016 की । लक्ष्मी घर का कुछ सामान लेने पास के गणेश नगर बाजार गईं। रास्ते में एक दोस्त मिल गया। लक्ष्मी  सड़क किनारे खड़े होकर उससे बात करने लगीं। अचानक तीन युवक वहां आए। तीनों ने उन्हें घेर लिया और बदसलूकी करने लगे। वे उस इलाके के छंटे हुए बदमाश थे।

रानी का किया अपहरण 

विरोध करने पर और उग्र हो गए। तीनों ने उनके दोस्त को पीटकर भगा दिया और लक्ष्मी को जबरन अपनी बाइक पर बैठा लिया। वह चिल्लाती रहीं, पर उसकी  मदद करने कोई  नहीं आया। लक्ष्मी रो-रोकर मदद की गुहार करती रही | उनसे छोड़ने की गुहार  करती रहीं कि घरवाले मेरा इंतजार कर रहे होंगे मुझे छोड़ दो । इस पर बदमाशों ने कहा, चिंता मत करो, हम तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देंगे। लेकिन रास्ते में उन्होंने बाइक की रफ्तार बढ़ा दी। जब तीनों सूने इलाके की ओर बढ़ने लगे, तो लक्ष्मी को यकीन हो गया कि उनका अपहरण हो गया है। अब वह समझ चुकी थीं कि डरने या चिल्लाने से कुछ नहीं होगा। वह बचाव के रास्ते सोचने लगीं। इस बीच उनके घर खबर पहुंच चुकी थी कि आपकी बेटी को बदमाश उठा ले गए हैं।

खौफ के बावजूद हिम्मत नहीं हारी  

उन बदमाशो ने रानी को एक खंडहर में ले गए। चारों तरफ सन्नाटा था। अंधेरा हो चुका था। खौफ के मारे लक्ष्मी का दिल कांप रहा था। लेकिन रानी ने  हिम्मत नहीं हारी। सोचा विरोध करने से कुछ नहीं होगा।यहाँ मेरी सहायता करने वाला कोई नहीं आने वाला मुझे खुद ही कुछ उपाय करना होगा | चूंकि तीनों बदमाश उसी इलाके से थे, इसलिए लक्ष्मी उनसे दोस्ताना अंदाज में बातें करने लगीं। उनका बर्ताव ऐसा था, मानों उन्हें उस खंडहर में लड़कों के संग वक्त बिताने में कोई आपत्ति नहीं है। इस वजह से बदमाश कुछ देर के लिए भ्रमित हो गए। मन मे था, पर लक्ष्मी ने इसे जाहिर नहीं होने दिया। उनका व्यवहार सामान्य था, मगर दिमाग में लगातार यही चल रहा था किस तरह वहां से भागा जाए। इस बीच उनकी नजर बदमाशों की बाइक पर पड़ी। उन्होंने देखा कि बाइक पर चाभी लगी हुई है। लक्ष्मी ने झट से चाभी निकालकर दूर फेंक दी। उनमें से एक युवक ने शराब पी रखी थी। उसके इरादे ठीक नहीं थे। जैसे ही उसने लक्ष्मी की ओर बढ़ने की कोशिश, वह उसे धक्का देकर भागने लगीं। नशे की वजह से वह लड़का उठ नहीं पाया, बाकी दो बदमाशों ने उनका पीछा किया, पर वह उन्हें पीछे छोड़ते हुए खंडहर से भागने में कामयाब रहीं। लक्ष्मी कहती हैं- उन दिनों मैं बीमार थी। कमजोरी महसूस हो रही थी। पर मैं भागती रही। वहां रुकने का मतलब था मौत या बलात्कार!

बीमारी के बावजूद रानी उनके चंगुल से भाग निकली 

जब बदमाश उन्हें पैदल दौड़कर पकड़ नहीं पाए, तो अपनी बाइक की ओर लपके। लेकिन उसकी चाभी तो पहले ही लक्ष्मी ने कहीं  फेंक दी थी। खंडहर से बाहर आने के बाद सड़क तक पहुंचने में कुछ समय लगा। रास्ते में राहगीरों ने एक बदहवास लड़की को भागते हुए देखा, पर किसी ने मदद नहीं की। तभी सड़क पार सामने पुलिस स्टेशन दिखा। वह भागकर वहां पहुंचीं और पूरी कहानी सुनाई। पुलिस वाले 16 साल की लड़की का हौसला देखकर दंग थे। लक्ष्मी ने उनसे कहा- सर, वे लड़के वहीं होंगे। मैंने उनके बाइक की चाभी निकाल ली थी। बिना बाइक के वे दूर नहीं भाग पाएंगे। ये सुनते ही पुलिस वाले उन्हें साथ लेकर चल पड़े खंडहर की ओर। तीनों लड़कों को पकड़ लिया गया।

लक्ष्मी कहती हैं-

वे तीन अपराधी थे। पता नहीं, कहां से मेरे पास इतनी हिम्मत आ गई? मुझे खुद नहीं पता कि मैंने किस तरह उनका मुकाबला किया? 

मिला वीरता पुरस्कार 

अगले दिन अखबारों में लक्ष्मी के साहस की कहानी छपी। पूरे शक्तिपुर में उनकी तारीफ होने लगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने उन्हें वीरता के लिए सम्मानित किया। लक्ष्मी कहती हैं- लड़कियों को बहादुर बनना चाहिए, तभी वे अपनी रक्षा कर पाएंगी। मैं पुलिस अफसर बनना चाहती हूं, ताकि गुंडों को सबक सिखा सकूं। केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस के मौके पर लक्ष्मी यादव समेत देश के 18 बच्चों को वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया। इसी के कारण उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ र्कोंवद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का मौका मिला।

लक्ष्मी कहती हैं- कभी नहीं सोचा था कि मुझे दिल्ली में सम्मानित किया जाएगा। मैं देश की बेटियों से कहना चाहती हूं, चाहे जितनी मुश्किल आए, डरना मत। 

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