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डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के जीवन से सम्बंधित 15 प्रेरक प्रसंग
डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम ने भारत की हर उस तरह से सेवा की है
जिससे हर देशवासी का सर गर्व से ऊँचा हो सके,
एवं भारत के राष्ट्रपति के पद पर रह कर जिस अराजनैतिक तरीके से
अपने पद की गरिमा को निभाया है,
उसकी सराहना पूरी दुनिया करती है.
भारत के अंतरिक्ष और रक्षा कार्यक्रमों में डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम
के अनुकरणीय योगदान को उजागर करने के लिए कोई भी विशेषण पर्याप्त नहीं हैं।
इनकी विनम्रता और उदारता ने हर भारतीय का दिल जीत लिया है।
डॉ. ए.पी.जे. अबदूल कलाम का नाम सुनते ही हमारे मन में एक ऐसे व्यक्ति का चित्र उभरता है, जिसकी आंखों में नए भारत की तस्वीर बसती थी। तमिलनाडु स्थित एक छोटे से तीर्थ गांव रामेश्वरम् में नौका-मालिकों के अल्प-शिक्षित परिवार में जन्मे कलाम, जिन्होंने भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान और मिसाइल विकास कार्यक्रम की नींव रखी थी वे हमारे समय के अत्यंत महत्वपूर्ण वैज्ञानिक के रूप में उभरे थे। ‘भारत रत्न’ कलाम ने रक्षा वैज्ञानिक के रूप में अद्भुत ख्याति अर्जित की। उनका मानना था कि कठिनाइयों एवं संकटों के माध्यम से ईश्वर हमें आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता हैं। राष्ट्र की युवा शक्ति और बच्चों को प्रेरित कर वे भारत को एक महान राष्ट्र बनाने का स्वप्न सँजोए हुए देशकार्य में निरंतर लगे रहते थे। वे कहते थे- ‘युवाओं का उचित मार्गदर्शन करना जरूरी है, ताकि उनके जीवन को उपयुक्त दिशा मिल सके और उनकी सृजनात्मकता भी खिल सके।‘
डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम ने भारत की हर उस तरह से सेवा की है जिससे हर देशवासी का सर गर्व से ऊँचा हो सके, एवं भारत के राष्ट्रपति के पद पर रह कर जिस अराजनैतिक तरीके से अपने पद की गरिमा को निभाया है, उसकी सराहना पूरी दुनिया करती है. भारत के अंतरिक्ष और रक्षा कार्यक्रमों में डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम के अनुकरणीय योगदान को उजागर करने के लिए कोई भी विशेषण पर्याप्त नहीं हैं। इनकी विनम्रता और उदारता ने हर भारतीय का दिल जीत लिया है। आम लोगों के राष्ट्रपति के रूप में जाने जाने वाले डॉ कलाम के बारे में इन दुर्लभ कहानियों से आपके मन में उनके प्रति सम्मान कई गुना बढ़ जाना निश्चित है.
उनका संपूर्ण जीवन ही दूसरों के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं। उनके जीवन से जुड़ी हर घटना से हम कुछ सीख सकते है। इसी बात को ध्यान में रखकर यहाँ उनके जीवन से जुड़े कुछ प्रसंग दिये जा रहे हैं, जो आपको प्रेरणा तो देगें ही साथ ही यह प्रसंग आपको डॉ. कलाम के जीवन के और नजदिक भी ले जाएंगे।
Abdul Kalam – Motivational Story #1
तीव्र इच्छा शक्ति
दीपावली त्योहार का दिन था, एक छोटा मुस्लिम बालक भी हिन्दुओं का यह उल्लासपूर्ण पर्व मनाना चाहता था, लेकिन वह बहुत गरीब था, और चूँकि अखबार बेचकर वो बेचारा अपनी पढ़ाई का खर्च जुटाता था और दो पैसे की मदद अपने गरीब बाप की भी किया करता था, अतः उसके पास पर्याप्त पैसों की कमी थी। संयोगवश उस दिन उसने अखबार बेचकर अन्य दिनों की अपेक्षा पाँच पैसे ज्यादा कमाये। तब वह पटाखे वाले के पास जाता है और उससे एक रॉकेट की माँग करता है, परन्तु वह विक्रेता रॉकेट देने से मना कर देता है यह कहते हुए कि पाँच पैसे में रॉकेट नहीं आता है। बालक निराश हो जाता है और दुकानदार से कहता है, ‘अच्छा मुझे पाँच पैसे के खराब पटाखे ही दे दो?’
‘खराब मतलब? वे किस काम आयेंगे?’
‘मैं उनसे रॉकेट बना लूँगा?’
इसके बाद वह पाँच पैसे में ढेर सारे खराब पटाखों का कूड़ा उठा लाया और एक नहीं कई रॉकेट बनाये और उस दिन उसके गाँव में मुस्लिम मोहल्ले में गगन की दूरी नापने वाले दीवाली के रॉकेट केवल उस बालक के आँगन से ही छोड़े गये थे। वह बालक ही आगे चलकर मिसाइल-मैन के नाम से प्रसिद्ध हुआ। और बाद में वह बालक भारत का राष्ट्रपति भी बना। उस बालक का नाम ए. पी. जे. अब्दुल कलामथा।
यदि मन में कुछ करने की तीव्र इच्छा हो तो आप अपनी बुद्धिमत्ता का प्रयोग कर के प्रतिकूल परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल बना सकते हैं।
Abdul Kalam – Motivational Story #2
जब कलाम ने बच्चों को घुमाने की जिम्मेदारी स्वयं ली
Abdul Kalam – Motivational Story #3
साथी वैज्ञानिकों की फिक्र
Abdul Kalam – Motivational Story #4
सहानुभूतिशील तथा सरल व्यक्तित्व
Abdul Kalam – Motivational Story #5
बेहतरीन नेतृत्वकर्ता
एक बार ए पी जे अब्दुल कलाम जी का interview लिया जा रहा था. उनसे एक सवाल पूछा गया और उस सवाल के जवाब को ही हम यहाँ बता रहे हैं –
सवाल: क्या आप हमें अपने व्यक्तिगत जीवन से कोई उदहरण दे सकते हैं कि हमें हार को किस तरह स्वीकार करना चाहिए? एक अच्छा Leader हार को किस तरह फेस करता हैं ?
ए पी जे अब्दुल कलाम जी: मैं आपको अपने जीवन का ही एक अनुभव सुनाता हूँ. 1973 में मुझे भारत के satellite launch program, जिसे SLV-3 भी कहा जाता हैं, का head बनाया गया। हमारा Goal था की 1980 तक किसी भी तरह से हमारी Satellite ‘रोहिणी’ को अंतरिक्ष में भेज दिया जाए. जिसके लिए मुझे बहुत बड़ा बजट दिया गया और Human resource भी Available कराया गया, पर मुझे इस बात से भी अवगत कराया गया था की निश्चित समयतक हमें ये Goal पूरा करना ही है।
हजारों लोगों ने बहुत मेहनत की। 1979 तक- शायद अगस्त का महीना था- हमें लगा की अब हम पूरी तरह से तैयार हैं। Launch के दिन प्रोजेक्ट Director होने के नाते. मैं कंट्रोल रूम में Launch बटन दबाने के लिए गया। Launch से 4 मिनट पहले Computer उन चीजों की List को जांचने लगा जो जरुरी थी. ताकि कोई कमी न रह जाए. और फिर कुछ देर बाद Computer ने Launch रोक दिया l वो बता रहा था की कुछ चीज़े आवश्यकता अनुसार सही स्थिति पर नहीं हैं l
उसी दिन, Indian Space Research Organisation (I.S.R.O.) के चेयरमैन प्रोफेसर सतीश धवन ने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई । प्रोफेसर धवन, जो की संस्था के प्रमुख थे. उन्होंने Mission की असफ़लता की सारी ज़िम्मेदारी खुद ले लीं और कहा कि हमें कुछ और Technological उपायों की जरुरत थी। पूरी देश दुनिया की Media वहां मौजूद थी़ । उन्होंने कहा की अगले साल तक ये कार्य संपन्न हो ही जायेगा।
अगले साल जुलाई 1980 में हमने दोबारा कोशिश की । इस बार हम सफल हुए । पूरा देश गर्व महसूस कर रहा था। इस बार भी एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई गयी। प्रोफेसर धवन ने मुझे Side में बुलाया और कहा – ” इस बार तुम प्रेस कांफ्रेंस Conduct करो”
उस दिन मैंने एक बहुत ही जरुरी बात सीखी -जब असफ़लता आती हैं तो एक LEADER उसकी पूरी जिम्मेदारी लेता हैं और जब सफ़लता मिलती है तो वो उसे अपने साथियों के साथ बाँट देता हैं।
Abdul Kalam – Inspirational Story #6
एक रात की बात है, माँ ने सब्जी रोटी बनायीं और पिताजी को परोस दिया। मैंने देखा रोटी बिलकुल जली हुई थी!
Abdul Kalam – Inspirational Story #7
उस समय डॉ कलाम रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ थे और उनकी टीम ने एक इमारत की परिधि को सुरक्षित करने के विकल्पों पर चर्चा की थी। डॉ कलाम ने कथित तौर पर कहा: “हम ऐसा करते हैं, तो पक्षी दीवार पर बसेरा करने में सक्षम नहीं होंगे।”
Abdul Kalam – Inspirational Story #8
राष्ट्रपति के रूप में, अक्सर डॉ कलाम के कार्यालय को देश भर से युवाओं से बैठक के लिए अनुरोध प्राप्त होते थे। डॉ कलाम राष्ट्रपति भवन में उनके निजी कक्ष में बच्चों को अपना कीमती समय देने के अलावा उनके विचारों को सुनते और बच्चों को फीडबैक भी देते थे. कभी कभी तो वह बच्चों से उनके आइडियाज के बारे में फॉलो-up भी कर लेते थे.
Abdul Kalam – Inspirational Story #9
लगभग 400 छात्रों को सम्बोधित करते हुए डॉ कलाम बिजली जाने पर भीड़ के बीच में चले गए और छात्रों से उन्हें घेर लेने को कहा. फिर बिना किसी माइक्रोफोन के उहोंने 400 छात्रों से बात की और, हमेशा की तरह, एक प्रेरक भाषण दिया जो उन बच्चों को हमेशा याद रहेगा।
Abdul Kalam – Inspirational Story #10
सरकार तत्कालीन एवं सभी पूर्व राष्ट्रपतियों का अच्छी तरह से ख्याल रखती है। ये जानने के बाद, राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान डॉ कलाम ने ग्रामीण आबादी के लिए शहरी सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में काम करने वाले एक कोष को अपनी सारी दौलत और जीवन बचत देने का फैसला किया। ऐसा कहा जाता है की, डॉ कलाम ने डॉ वर्गीज कुरियन, जो की अमूल के संस्थापक हैं, को फोन किया, और कहा: “अब जब मैं भारत का राष्ट्रपति बन गया हूँ, सरकार मेरे जीवन भर मेरा ख्याल रखेगी. ऐसे में मैं अपनी बचत और वेतन के साथ क्या कर सकता हूँ? ”
Abdul Kalam – Inspirational Story #11
एक बार डॉ कलाम आईआईएम अहमदाबाद में एक समारोह में मुख्य अतिथि थे। घटना से पहले, वह साठ छात्रों के एक वर्ग के साथ लंच कर रहे थे। दोपहर के भोजन के अंत में, सभी छात्र पूर्व राष्ट्रपति के साथ एक तस्वीर चाहते थे।
Abdul Kalam – Inspirational Story #12
आईआईटी-वाराणसी के हाल के एक दीक्षांत समारोह में डॉ कलाम मुख्य अतिथि थे। मंच पर पाँच कुर्सियां थीं, जिनमें डॉ कलाम के लिए केंद्र की कुर्सी थी एवं विश्वविद्यालय के शीर्ष अधिकारियों के लिए नामित चार अन्य कुर्सियां थीं। अपनी कुर्सी को दूसरों की तुलना में आकार में बड़ा होने के नाते देखकर डॉ कलाम ने उस पर बैठने से इनकार कर दिया और अपने बजाय वाइस चांसलर को उस पर बैठाने की पेशकश की। कुलपति जाहिर है, ऐसा नहीं कर सके।
Abdul Kalam – Inspirational Story #13
1. एक सड़क का मोची
2. एक बहुत ही छोटे से होटल का स्वामी
Abdul Kalam – Inspirational Story #14
उन्होंने कहा की वे इतनी रात आकर असल में मेहनती लोगों से मिलना चाहते थे. वे एक खुली जीप में बिना किसी सुरक्षा के साथ आये थे और उन्होंने आयोजकों से काफी बातें कीं.
Abdul Kalam – Inspirational Story #15
एक बार क्लास 6th के एक स्टूडेंट ने “Wings Of Fire”किताब पढने के बाद डॉ कलाम का एक स्केच बनाया। परिवार वालों ने encourage किया कि इसे President को भेजो। लड़के ने सोचा इससे क्या होगा, ये तो उन्हें मिलेगा भी नहीं, पर फिर भी बहुत जोर डालने पर उसने स्केच भेज दिया। कुछ दिन बाद उसे डॉ. कलाम का sign किया हुआ Thank You note आया।
Source- Internet,books
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दोस्तों यह पोस्ट कैसी लगी कृपया अपना फीडबैक जरुर दे , धन्यवाद