दोस्तों आज हम एक ऐसे अश्वेत लड़की की प्रेरणादायक कहानी सुनाने जा रहे है जिसने ये साबित करके दिखाया की अगर आपमें इच्छाशक्ति है तो अश्वेत होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है . अश्वेत पिता की संतान होने के कारण कई बार इन्हे नस्लभेदी टिप्पणी भी झेलनी पड़ी . हम बात कर रहे है जापान की नाओमी ओसका के बारे में जिसने युएस ओपन में अपनी आदर्श सेरेना विलियम्स को हराकर ग्रैंडस्लैम जितने वाली जापान की पहली महिला खिलाडी बन गयी .
NAOMI OSAKA BIOGRAPHY IN HINDI (नाओमी ओसका जीवन परिचय )
नाओमी ओसका को बचपन से ही अपनी पहचान को लेकर भेदभाव का सामना करना पड़ा . नाओमी ओसका के पिता कैरेबियाई देश हैती के थे और मां जापान की। अश्वेत पिता की संतान होने के कारण उन्हें बचपन से ही कष्ट उठाने पड़े और अपनी पहचान छुपाकर रखनी पड़ी । नाना-नानी उनके पिता को पसंद नहीं करते थे। जिसके कारण परिवारिक रिश्तों में तनाव का असर उन पर भी पड़ा।
माता पिता की दिलचस्प प्रेम कहानी
नाओमी के माता-पिता की प्रेम कहानी काफी दिलचस्प है। उनके पिताका नाम लियोनार्ड सान है जिसका जन्म करेबियाई देश हैती में हुआ। उच्च शिक्षा के लिए वह अमेरिका गए। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से उन्होंने मास्टर्स की डिग्री हासिल की। इसके बाद वह पढ़ाई के सिलसिले में ही कुछ समय के लिए जापान में रहे। वहीं पर उनकी मुलाकात तमाकी ओसाका नाम की जापानी लड़की से हुई। पहली ही मुलाकात में उनमें अच्छी दोस्ती हो गई।
अश्वेत लड़के से शादी मंजूर नहीं
जल्द ही उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई। वे एक-दूसरे से बेइंतिहा प्यार करने लगे। वे एक-दूजे से शादी कर जिंदगी गुजारना चाहते थे। हालांकि तमाकी जानती थीं कि उनके घरवालों इस रिश्ते को कभी मंजूर नहीं करेंगे। जब उनके पिता को पता चला कि बेटी एक अश्वेत लड़के से प्यार करती है, तो वह भड़क गए। उनके समाज में ऐसे रिश्ते के लिए कोई जगह नहीं थी। तमाकी की मां भी परेशान हो गईं। उन्हें लगा कि अगर लोगों को पता चला कि इनकी बेटी ने अश्वेत लड़के से शादी की है, तो बहुत बदनामी होगी। उनलोगों की शादी के बाद वह इतनी नाराज हुईं कि बेटी से रिश्ता ही तोड़ लिया। दस साल तक उन्होंने बेटी-दामाद से बात नहीं की।
छुपानी पड़ी अपनी पहचान
तमाकी ओसाका को अश्वेत पति के साथ जापान में रहना आसान नहीं था । एक तरफ माता-पिता नाराज थे तो दूसरी तरफ समाज में नस्ली भेदभाव का दंश। इसलिए उन्होंने अपनी पहली बेटी का नाम मारी ओसाका रखा। दरअसल, वह जानती थीं कि जापान में हैती का उपनाम स्वीकार नहीं होगा। मारी के बाद नाओमी का जन्म हुआ। मां ने अपनी दोनों बेटियों को अपना ओसाका उपनाम दिया, ताकि आगे उन्हें अपनी पहचान को लेकर कोई संकट न झेलना पड़े।
नाओमी के पिता को था टेनिस से लगाव
मारी और नाओमी के जन्म के बाद उनके पिता को अमेरिका में नौकरी मिल गई। तब नाओमी तीन साल की थीं। यह साल 2000 की बात है। उन दिनों टेनिस की दुनिया में विलियम सिस्टर्स (सेरेना विलियम और उनकी बहन वीनस विलियम) का जादू छाया हुआ था। नाओमी के पापा को टेनिस बहुत पसंद था। वह अक्सर अपनी बेटियों के साथ टेनिस मैच देखने जाया करते। विलियम सिस्टर्स से तो वह इतने प्रभावित थे कि उन्होंने तय किया कि अपनी बेटियों को टेनिस खिलाड़ी बनाएंगे। बेटियों को टेनिस सिखाने के लिए वह न्यूयॉर्क छोड़ फलोरिडा आकर रहने लगे।
दोनों लडकियों ने शुरू किया टेनिस खेलना
पहले बड़ी बहन मारी की ट्र्रेंनग शुरू हुई, फिर नाओमी ने खेलना शुरू किया। दोनों ने फ्लोरिडा टेनिस एसबीटी एकेडमी से ट्र्रेंनग ली। जल्द ही वे लोकल मैचों में हिस्सा लेने लगीं। बेटियों को डबल्स खेलते देख पापा बहुत खुश होते थे।

नाओमी बताती हैं-
मैं अक्सर अपनी बड़ी बहन से हार जाती थी। 15 साल की उम्र तक मैं मारी से हारती रही। इसके बाद मैं जीतने लगी।
होने लगी इस अश्वेत जापानी लड़की की चर्चा
साल 2014 में 16 साल की उम्र में नाओमी ने यूएस चैंपियन समांथा स्टोसुर को हराया। वह उनकी पहली बड़ी जीत थी। फिर तो वह सुर्खियों में छा गईं। हर तरफ इस अश्वेत जापानी लड़की की चर्चा होने लगी। एक बार फिर वह अपनी पहचान को लेकर असहज महसूस करने लगीं। कोई उन्हें जापानी-अमेरिकी कहता, तो कोई हैतियन-जापानी। नाओमी जानती थीं कि उनके नाना-नानी जापान में हैं, और वे उनसे कोई रिश्ता नहीं रखना चाहते। वह उनकी नाराजगी की वजह समझती थीं।
नाओमी बताती हैं-
अश्वेत होने की वजह से लोग मेरे बारे में भ्रमित हो जाते हैं। उन्हें लगता कि अगर यह लड़की जापानी है, तो अश्वेत क्यों है?
पहला ग्रैंड स्लेम खिताब जीत पुरे जापान में खलबली मचा दी
अपनी पहचान के संकट को नजरअंदाज कर वह आगे बढ़ती रहीं। 2016 में नाओमी ‘टोरे पैन पैसिफिक ओपन’ के फाइनल में पहुंचीं। इसके बाद तो उनका नाम वर्ल्ड- 50 रैंकिंग में शामिल हो गया। मार्च 2018 में उन्होंने इंडियन वेल्स टूर्नामेंट में शानदार जीत हासिल की। इस टूर्नामेंट में उन्होंने विश्व की पूर्व नंबर वन खिलाड़ी मारिया शारापोवा को हराया। अब उनका एक ही सपना था, एक बार सेरेना के साथ खेलना। इस सप्ताह यह सपना भी पूरा हुआ। इस बार यूएस ओपन में सेरेना उनके सामने थीं। यह बहुत रोमांचक मैच था। सबको उम्मीद थी कि सेरेना ही ग्रैंड स्लेम जीतेंगी, पर बेहद कड़े मुकाबले में नाओमी ने उन्हें हराकर नया रिकॉर्ड बनाया। वह ग्रैंड स्लेम खिताब जीतने वाली पहली जापानी महिला खिलाड़ी बन गईं।
जापानी प्रधानमंत्री ने भी दी बधाई
इस जीत पर पूरा जापान झूम उठा। जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने ट्वीट किया, जापान को यह जीत दिलाने के लिए शुक्रिया। आपकी जीत से पूरे जापान को एक नई उर्जा और प्रेरणा मिली है। इस जीत ने नाना-नानी की नाराजगी भी दूर कर दी।
इस मौके पर नाओमी के भावुक नाना टेसुओ ओसाका ने कहा,
मैंने और मेरी पत्नी ने टीवी पर अपनी नातिन का पूरा मैच देखा। उसकी जीत देखकर हम बहुत रोए। अब एक ही ख्वाहिश है, मेरी बच्ची 2020 में टोक्यो में होने वाले ओलंपिक में जीत हासिल करे।