EK GUDIYA KI KIMAT

Amit Kumar Sachin

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गुडिया की कीमत ( प्रेरणादायक  कहानी )

 

एक 6 वर्ष का लडका अपनी 4 वर्ष की छोटी बहन के साथ बाजार से जा रहा था।
अचानक से उसे लगा कि, उसकी बहन पीछे रह गयी है।

वह रुका, पीछे मुड़कर देखा तो जाना कि, उसकी बहन एक खिलौने के दुकान के सामने खडी कोई चीज निहार रही है।

लडका पीछे आता है और बहन से पूछता है, “कुछ चाहिये तुम्हें?”

 लडकी एक गुड़िया की तरफ उंगली उठाकर दिखाती है।

बच्चा उसका हाथ पकडता है, एक जिम्मेदार बडे भाई की तरह अपनी बहन को वह गुड़िया देता है। बहन बहुत खुश हो गयी ।

दुकानदार यह सब देख रहा था, बच्चे का व्यवहार देखकर आश्चर्यचकित भी हुआ ….

अब वह बच्चा बहन के साथ काउंटर पर आया और दुकानदार से पूछा, “कितनी कीमत है इस गुड़िया की ?”

दुकानदार एक शांत और गहरा व्यक्ति था, उसने जीवन के कई उतार देखे थे, उन्होने बड़े प्यार और अपनत्व से बच्चे से पूछा,
“बताओ बेटे, आप क्या दे सकते हो ??”

बच्चा अपनी जेब से वो सारी सीपें बाहर निकालकर दुकानदार को देता है जो उसने थोड़ी देर पहले बहन के साथ समुंदर किनारे से चुन चुन कर बीनी थी !!!

दुकानदार वो सब लेकर यूँ गिनता है जैसे कोई पैसे गिन रहा हो।

सीपें गिनकर वो बच्चे की तरफ देखने लगा तो बच्चा बोला,”सर कुछ कम हैं क्या ??”

दुकानदार :-” नहीं – नहीं, ये तो इस गुड़िया की कीमत से भी ज्यादा है, ज्यादा मैं वापस देता हूँ ” यह कहकर उसने 4 सीपें रख ली और बाकी की बच्चे को वापिस दे दी।

बच्चा बड़ी खुशी से वो सीपें जेब मे रखकर बहन को साथ लेकर चला गया।

यह सब उस दुकान का कामगार देख रहा था, उसने आश्चर्य से मालिक से पूछा, ” मालिक ! इतनी महंगी गुड़िया आपने केवल 4 सीपों के बदले मे दे दी ?”

दुकानदार एक स्मित संतुष्टि वाला हास्य करते हुये बोला,

“हमारे लिये ये केवल सीप है पर उस 6 साल के बच्चे के लिये अतिशय मूल्यवान है और अब इस उम्र में वो नहीं जानता, कि पैसे क्या होते हैं ?

पर जब वह बडा होगा ना…

और जब उसे याद आयेगा कि उसने सीपों के बदले बहन को गुड़िया खरीदकर दी थी, तब उसे मेरी याद जरुर आयेगी, और फिर वह सोचेगा कि,,,,,,
“यह विश्व अच्छे मनुष्यों से भी भरा हुआ है।”*

यही बात उसके अंदर सकारात्मक दृष्टिकोण बढानेे में मदद करेगी और वो भी एक अच्छा इंन्सान बनने के लिये प्रेरित होगा

Source- Whatsapp

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तो देखा दोस्तों ये दुनिया अच्छे लोगो से भरी पड़ी है बस जरुरत है की हम अपनी सोच को सकारत्म रखे है और कोई ऐसा काम न करे जिससे लोग दुसरो पर भरोसा करना छोड़ दे | अगर इस दुकानदार की तरह सोचने वाले आधे लोग भी हो जायेंगे न तो या धरती सवर्ग बन जाएगी
Thanks for reading

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