बॉब डिलन
( नोबेल पुरस्कार विजेता )
ज्यादातर लोग वे बातें करते हैं, जिन पर उनका यकीन ही नहीं होता। इसलिए वे कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं। दरअसल, वे अपनी सुविधा के अनुसार काम करते हैं। इससे किसी का भला नहीं होगा, न आपका और न समाज का।
अमेरिका के एक साधारण यहूदी परिवार में जन्मे बॉब के बचपन का नाम रॉबर्ट ऐलन जिमरमन था। बाद में उन्होंने अपना नाम बॉब डिलन रख लिया। पिता अबराम और मां बीट्रीस का संगीत से कोई नाता न था। अलबत्ता उनके घर में रेडियो पर गीत जरूर सुने जाते थे। नन्हे बॉब को बचपन से गीत सुनने की लत लग गई। खेल-कूद की दुनिया से दूर वह घंटों रेडियो से चिपके रहते थे। वह 1940 का दौर था। उन दिनों अमेरिकी समाज में अश्वेतों की दशा खराब थी। वे भेदभाव और दुर्भावना के शिकार थे। बॉब का बालमन कभी इसे स्वीकार नहीं कर पाया।
स्कूल के दिनों में उन्होंने दोस्तों के संग मिलकर एक म्यूजिक बैंड बनाया। गीतों के जरिये वह मन की बातें बयान करने लगे। तब बॉब डिलन दसवीं में थे। स्कूल में म्यूजिक टैलेंट शो हुआ। उन्होंने तैयारी की, पर ऑडिशन में रिजेक्ट हो गए। दुख हुआ, पर इससे संगीत के प्रति उनकी दीवानगी कम नहीं हुई। साल 1959 में मिनीसोटा यूनिवर्सिटी में पढ़ने पहुंचे। यहां उनके विचारों को नया आसमान मिला। बड़ी खूबसूरती से उन्होंने अपने विचारों को गीतों में ढाला। शुरुआती दिनों में बॉब कॉलेज के पास एक कॉफी हाउस में गाया करते थे। सुनने वालों के लिए हमेशा यह कौतुहल रहा कि मासूम-सी सूरत वाला यह युवा प्रेम गाने की बजाय विद्रोही विचारों को स्वर क्यों दे रहा है?
1961 में कॉलेज की पढ़ाई के बाद संगीत में करियर बनाने के इरादे से वह न्यूयॉर्क पहुंचे। यहां एक म्यूजिक क्लब में काम मिला। 1961 में पहला म्यूजिक एलबम आया। बॉब बाकी गायकों की तरह दूसरों के लिखे गीत नहीं, बल्कि अपने गीत गाते थे। उनके गीतों में हमेशा एक खास किस्म का अक्खड़पन रहा। इसी अंदाज में वह आम लोगों के दुख-दर्द बयां करने लगे। उनके गीतों में राजनीतिक, सामाजिक, दार्शनिक और साहित्यिक विधा का खूबसूरत मेल दिखा। गीत लिखने के अलावा वह पेंटिंग के भी शौकीन रहे। बॉब के ज्यादातर मशहूर गीत 1960 के दशक में लिखे गए।
यह वह दौर था, जब अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग जूनियर के नेतृत्व में अश्वेत आंदोलन चरम पर था। अश्वेत समुदाय के लोग नागरिक अधिकारों की मांग को लेकर सड़कों पर थे। बॉब के गीतों में इस आक्रोश को आवाज मिली। वह मार्टिन लूथर किंग के विचारों के कायल थे। कहते हैं कि लूथर किंग के ऐतिहासिक भाषण आई हैव अ ड्रीम के दौरान वह उनके साथ मंच पर मौजूद थे। यही वह दौर था, जब श्वेत नागरिक भी वियतनाम में अमेरिकी दखल के खिलाफ उठ खड़े हुए थे। बॉब ने इस जन-असंतोष को अपने गीतों में बड़ी संजीदगी के साथ पेश किया। कुछ लोग उन्हें विद्रोही गीतकार भी कहते हैं। लोक संगीत से लेकर पॉप व रॉक ऐंड रोल गीतों में उन्होंने हालात और समय के मिजाज को व्यक्त किया। उनके गीत ब्लोइंग इन द विंड और द टाइम्स दे आर अ चेंजिंग उस दौर के आंदोलनों के नारे बन गए। जब भी मौका मिला, उन्होंने सामाजिक असमानता के प्रति नाराजगी जाहिर की।
बॉब कहते हैं, समानता सिर्फ लोगों की बातों में दिखती है। हम सबमें बस एक ही समानता है कि हम सबको मरना है। बाकी सब असमान है। अमेरिकी अवाम के लिए वह सिर्फ गायक कभी नहीं रहे। उनका संगीतमय सफर अपने आप में एक आंदोलन रहा। उनकी कविताओं और गीतों में व्यवस्था बदलने की बेचैनी दिखी, तो प्रशासन को चुनौती देने का साहस भी नजर आया। दासता के खिलाफ वह हमेशा मुखर रहे। बॉब कहते हैं, कोई आजाद नहीं है। यहां तक कि परिंदे भी आसमान की जंजीरों में जकड़े हैं। पिछले साठ साल में उन्होंने शोहरत की बुलंदियों को छुआ। वह दुनिया में सबसे अधिक बिकने वाले गीतकारों में शुमार हैं। सबसे बड़ा सम्मान तो यह है कि दुनिया ने उन्हें आम जनता का गीतकार माना।
सबसे ज्यादा शोहरत मिली 1965 में, जब उनके छह मिनट के गीत लाइक अ रोलिंग स्टोन ने लोकप्रियता के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। उनकी कविताओं में ऐसा जादू था, जिसे सुनकर पॉप संगीत पर थिरकने वाले युवा लोक गीतों के दीवाने हो गए। बॉब ने दुनिया का पहला प्रेम-विरोधी गीत इट एंट मी बेब लिखा। इसे पूरी दुनिया ने सराहा। उनके गीत विजन्स ऑफ जोआना को दुनिया का सबसे महान गीत कहा गया। संगीत के इस लंबे सफर में उन्होंने खुद को सुर्खियों से दूर रखने की पूरी कोशिश की। बॉब कहते हैं, सुर्खियां एक तरह से बोझ हैं, इसलिए मैं खुद को इससे दूर रखता हूं।
आसमान छूती बुलंदियों और शोहरत के बीच बॉब ने हमेशा सत्ता से दूरी बनाए रखी। वह कभी सत्ता के दबाव में नहीं आए। वह हमेशा बड़े लोगों के करीब आने से बचते रहे। राष्ट्रपति बराक ओबामा एक किस्सा बताते हैं- एक बार मैं बॉब के शो में गया। वह अपना कार्यक्रम देकर मंच से उतरे, दर्शकों के बीच बैठे, मुझसे हाथ मिलाया और बाहर चले गए। उन्होंने मेरे साथ बैठने या फोटो खिंचवाने की जरूरत नहीं समझी। मुङो उनका यह अंदाज अच्छा लगा। इस साल बॉब को साहित्य के नोबेल के लिए चुना गया है। वह एकमात्र ऐसे शख्स हैं, जिन्हें ऑस्कर, नोबेल और ग्रैमी, तीनों अवॉर्ड से नवाजा गया है।
साभार – हिंदुस्तान अख़बार