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Know Snack and Ladders Game History
आपलोगों ने कभी न कभी लूडो में सांप-सीढ़ी का खेल जरुर खेला होगा . यह सिर्फ एक खेल ही नहीं है बल्कि बहुत से लोगो की यादे इस खेल से जुडी होती है . स्कूल में पढ़ाई के दौरान, गर्मियों की छुट्टी में जब सारे कजिन एक साथ मिलते तो, सांप-सीढ़ी का खेल सबसे आम और ख़ास भी होता. पहले लोगो के पास मोबाइल नहीं होता था तो खली समय में लोग कोई न कोई खेल खेला करते थे . उनमे से सबसे लोकप्रिय खेल लूडो था जिसमे सांप सीधी के खेल का रोमांच ही अलग था . इस खेल का खुमार लोगों के ऊपर कुछ इस कदर है कि डिजिटल युग में भी यह अपनी पहचान बनाए हुए है. अक्सर लोग इसे अपने फ़ोन में ही खेलते हुए दिख जाते हैं.
तो आइये, जानते हैं सांप-सीढ़ी खेल का रोचक इतिहास की कैसे यह खेल भारत से उत्पन्न होकर विश्व तक पहुंचा –
ज्ञान चौपड़ और मोक्षपट जैसे अनेक नामों से भी मशहूर
सांप-सीढ़ी खेल की उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी. उस समय यह मोक्षपट या मोक्षपटामु नाम से जाना जाता था. इसके अलावा, कई जगहों पर इसे ‘लीला’ नाम से भी जाना जाता था. ‘लीला’ नाम होने के पीछे की कारण था की मनुष्य का धरती पर तब तक जन्म लेते रहना, जब तक वह अपने बुरे कर्मों को छोड़ नहीं देता. जैसा की सांप-सीढ़ी वाले खेल में होती है .
पुराने समय में यह ‘ज्ञान चौपड़’ नाम से भी जाना जाता था. इसका अर्थ है ‘ज्ञान का खेल’. हिंदू अध्यात्म के अनुसार ज्ञान चौपड़ मोक्ष का रास्ता दिखाता था और यह बार-बार जन्म लेने की प्रक्रिया से मुक्ति दिलाता था.
विश्व के प्राचीन खेलों में से एक
इसकी उत्पत्ति कब और किसने की इसके बारे में तो कोई ठोस प्रमाण नहीं है . लेकिन, माना जाता है कि यह दूसरी सदी BC से ही खेला जा रहा है. जो इस बात का संकेत है कि यह विश्व के सबसे प्राचीन खेलों में शामिल है. जबकि कुछ इतिहासकारों का मानना है की सांप-सीढ़ी का आविष्कार 13वीं शताब्दी में संत ज्ञानदेव ने किया था. इस खेल को आविष्कार करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य बच्चों को नैतिक मूल्य सिखाना था.
अच्छाई और बुराई का संदेश देता है ‘ये’ खेल
अगर इस खेल के प्रारूप की बात करें तो, इसमें चौखाने(वर्ग ) मौजूद होते हैं. इसके कई रूपांतर भी बने हैं. सभी रूपान्तरों में अलग-अलग चौखाने होते थे.प्रत्येक चौखाना ‘गुण’ या ‘अवगुण’ को दर्शाता हैं. उदाहरण के लिए , जिस चौखाने में सीढ़ी होती वह ‘गुण’ को दर्शाता है जो आपको आगे बढाता है. जबकि जिस चौखाने में सांप का फन होता है वह बुराइयों को दर्शाता है. जिसकी वजह से आप हमेशा नीचे हो जाते हैं.
भारत में यह बच्चो के शिक्षा का एक हिस्सा था , क्योंकि इसमें वह अच्छे और बुरे कर्मो के बिच फर्क करना सिखते है . सांप-सीढ़ी में मौजूद सीढ़ियां अच्छे गुणों जैसे दया, विश्वास और विनम्रता को दर्शाती हैं. वहीं दूसरी ओर सांप बुरी किस्मत, गुस्सा और हत्या आदि को दर्शाता है.
इस खेल का सार यह कि अच्छे कर्म करने के बाद ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है . जबकि बुरे कर्म करने वाले लोगों मोक्ष तक नहीं पहुच पाते है.उनके जीवन के राह में सांप रूपी कोई बुराई उन्हें ऊपर बढ़ने नहीं देती है और एक बार फिर उन्हें जीवन की शुरुआत करनी पड़ती है.
भारत के बाहर भी है प्रचलन में
भारत से शुरू हुआ यह खेल विश्व में भी काफी प्रसिद्ध है . यह खेल अक्सर कपड़ो और कागजो पर बना होता था . 18वीं शताब्दी के बाद यह बोर्ड पर बनने लगा. आज भी भारत में पला-सेना काल के समय के सांप-सीढ़ी का बौद्धिक रूपांतर मौजूद है.
आपको बता दें, कई स्कॉलर इस खेल की उत्पत्ति को प्राचीन जैन मंडलों से भी जोड़ते हैं. लेकिन, हर धर्म में इस खेल का लगभग वही अर्थ और प्रारूप ही देखने को मिलता है.
19वीं शताब्दी के दौरान, भारत में उपनिवेशकाल के समय यह खेल इंग्लैंड में जा पहुंचा था. अंग्रेज अपने साथ यह खेल अपने देश में भी लेकर गए. उन्होंने अपने हिसाब से इसमें थोड़े फेरबदल कर दिए. सांप और सीढ़ी का खेल अंग्रेजी में और ‘स्नेक एंड लैडरर्स’ के नाम से मशहूर हो गया . अंग्रेजों ने अब इसके पीछे के नैतिक और धार्मिक रूप से जुड़े हुए विचार को हटा दिया था. अब इस खेल में सांप और सीढ़ियों की संख्या भी बराबर हो चुकी थी. जितने सांप उतनी ही सीढियां.
इंग्लैंड के बाद यह खेल अब संयुक्त राज्य अमेरिका में भी जा पहुंचा. साल 1943 में यह अमेरिका में प्रचलन में आया. अमेरिका को इस सांप-सीढ़ी के खेल से मिल्टन ब्रेडले ने परिचय करवाया. वहां इस खेल का नाम ‘शूट (chute) एंड लैडरर्स’रखा गया .
किस्मत का है ये खेल
इस खेल की ख़ास बात यह है कि इसमें आप अपना दिमाग नहीं चला सकते हैं. यह पूर्ण रूप से किस्मत का भी खेल है.आपकी गोटी 98 नंबर तक पहुँच चुकी है. बस दो अंको की और जरूरत है और आप खेल जीत सकते हैं.लेकिन, अक्सर 99 की संख्या पर मौजूद खेल का सबसे बड़ा सांप आपको डस लेता है. और आपको खेल की शुरुआत एक बार फिर से करनी पड़ती है. यह खेल है ही कुछ ऐसा! इस खेल में आपकी किस्मत काफी हद तक आपकी जीत को निर्धारित करती है.यह खेल एक प्रकार से पुनर्जीवन की प्रक्रिया को दिखाता है. इस खेल में मौजूद 100 नंबर की संख्या ‘मोक्ष’ को दर्शाता है. इस खेल का उद्देश्य होता सांप- सीढ़ियों को पार करते हुए 100 नंबर की संख्या तक पहुंचना.
आज भी उतना ही लोकप्रिय
सांप-सीढ़ी का यह खेल इतना मजेदार होता है की बचपन में जिसने भी यह खेल खेला होगा ,वो शायद ही इसे भुला होगा . इस खेल की सादगी और आसान रूल्स इसे हर किसी को खेलने के लिए मजबूर कर देती है. यही वजह है कि आज भी आपको आसानी से इसे लोग खेलते हुए दिख ही जाते हैं. भले ही आज बोर्ड हर जगह ले जाना संभव नहीं है लेकिन यह खेल अब स्मार्टफोन पर भी उपलब्ध है . और इसमे एक मजेदार बात और है की आपके दोस्त रिश्तेदार कितने भी दूर हो आप इन्टरनेट से कनेक्ट होकर एकसाथ ये गेम खेल सकते है .