थेरेसा मे (THERESA MAY )
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री
मेरे पापा चर्च में पादरी थे। उन्होंने मुझे हमेशा लोगों की सेवा करना सिखाया। मैं एक साधारण परिवार से हूं, इसलिए आम लोगों की दिक्कतें समझती हूं। मैं महिला हूं या मुझे गंभीर डायबिटीज है, इससे मेरे काम पर कोई असर नहीं होगा।
ब्रिटेन के इस्टबार्न इलाके में जन्मी थेरेसा के पिता चर्च में पादरी थे। मां घर संभालती थीं। घर में पूजा-पाठ का माहौल था। वह कैथोलिक स्कूल में पढ़ीं। दिन की शुरुआत प्रार्थना से होती थी। पापा से खूब बनती थी उनकी। अक्सर उनके संग चर्च जातीं और छुट्टी के दिन नृत्य-नाटिकाओं में अभिनय करतीं। गांव वाले नन्ही थेरेसा की भाव-भंगिमा पर मोहित हो जाते। थेरेसा को बचपन से सजना-संवरना पसंद था। पापा की सीमित कमाई थी। परिवार का खर्च आसानी से चल जाता था, पर फिजूलखर्ची के लिए कोई जगह नहीं थी।
बेटी अब दसवीं में पढ़ने लगी थी। उसे जेब खर्च की जरूरत थी। इसलिए पढ़ाई के साथ बेकरी में पार्टटाइम काम करने लगीं। पापा का सपना था, बेटी किसी बड़ी यूनिवर्सिटी में पढ़े। थेरेसा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी पहुंचीं। यहां उनकी पहचान एक बेबाक और निडर छात्र की बनी। यूनिवर्सिटी में उनका तीसरा साल था। वह भूगोल से स्नातककर रही थीं। 1976 की बात है। एक डिस्को पार्टी में उनकी मुलाकात फिलिप से हुई। कहते हैं कि इस युवक से उनका परिचय बेनजीर भुट्टो ने करवाया था। वही बेनजीर, जो बाद में पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं।
थेरेसा और फिलिप में गहरी दोस्ती हो गई। घरवालों को भी फिलिप पसंद आ गए। 1980 में दोनों की शादी हो गई। कॉलेज की पढ़ाई के बाद पहली नौकरी बैंक ऑफ इंग्लैंड में मिली। यहां छह साल काम किया। सब कुछ अच्छा चल रहा था कि एक हादसा हुआ। यह 1991 की बात है। पापा कार दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए। कुछ दिन अस्पताल में भर्ती रहे, फिर उनकी मौत हो गई। थेरेसा के लिए यह एक बड़ा सदमा था। पापा के जाने के गम से वह उबर पातीं कि इसके पहले ही मां भी चल बसीं। वह बहुत निराश रहने लगीं।
लेकिन इस गंभीर दौर में पति फिलिप ने उनका हौसला टूटने नहीं दिया। बैंक में नौकरी के साथ ही राजनीतिक गतिविधियों में भी हिस्सा लेती रहीं। पति ने उनका उत्साह बढ़ाया। साल 1997 में मेडेनहेड से कंजरवेटिव पार्टी की सांसद बनीं। वर्ष 2002-03 के दौरान कंजरवेटिव पार्टी की चेयरमैन रहीं। थेरेसा कहती हैं, महिला होने की वजह से कभी सरकार या पार्टी के काम करने में दिक्कत नहीं आती। मुङो योग्यता की बदौलत मौके मिले, और मैंने ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारियों को निभाया। सबसे अहम जिम्मेदारी मिली 2010 में, डेविड कैमरन के नेतृत्व में गठबंधन सरकार के बनने के बाद उन्हें गृह सचिव बनाया गया।
2015 के चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी के लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद उन्हें फिर गृह सचिव बनाया गया। बतौर गृह सचिव अपराध घटाने को लेकर वह चर्चा में रहीं। थेरेसा कहती हैं- जब गृह सचिव बनी, तो लोगों ने कहा कि तुम अपराध कम नहीं कर पाओगी। फिर कहा गया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलना बंद करो। मगर मैंने किसी की नहीं सुनी। मेरे कार्यकाल में अपराध कम हुए। इस बीच थेरेसा की सेहत खराब रहने लगी। पता चला कि डायबिटीज है। साल 2012 में तबियत बिगड़ी। डॉक्टर ने कहा, डायबिटीज टाइप 1बी है। दिन में दो बार इंसुलिन इंजेक्शन लगवाने पड़ेंगे। थेरेसा और उनके पति फिलिप ने यह बात किसी से नहीं छिपाई। हालांकि कुछ विरोधियों ने इसका राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की।
कहा गया कि उनकी सेहत ठीक नहीं है। इंसुलिन की बदौलत जीने वाली महिला प्रधानमंत्री जैसा अहम पद कैसे संभालेगी?
पर थेरेसा ने कभी इन चर्चाओं को तवज्जो नहीं दी। दिलचस्प बात यह है कि चुनाव प्रचार के दौरान दमदार भाषणों के अलावा उनके पहनावे को लेकर काफी चर्चा रही। खासकर उनकी स्टाइलिश जूतियों की फोटो अखबारों में व टीवी पर खूब दिखाई गईं। स्टाइलिश कपड़े पहनने के अलावा उन्हें पहाड़ों पर घूमने व नए-नए व्यंजन पकाने का भी खूब शौक है। जब भी मौका मिलता है, वह घर पर नए पकवान बनाती हैं। मौजूदा साल ब्रिटेन के राजनीतिक इतिहास के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा। ब्रिटेन के आवाम ने यूरोपीय संघ से अलग होने का फैसला किया। देश की जनता दो धड़ों में बंट गई।
एक वह, जो यूरोपीय संघ के साथ रहना चाहता था, और दूसरी तरफ वे लोग थे, जो संघ से बाहर होने को बेताब थे। इस सियासी परिस्थिति में थेरेसा कद्दावर नेता बनकर उभरीं। उन्होंने यूरोपीय संघसे अलग होने (ब्रेग्जिट) वाले लोगों का समर्थन किया। जनमत संग्रह हुआ। ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ से अलग होने का फैसला किया। कैमरन को इस्तीफा देना पड़ा। नए प्रधानमंत्री को चुनने की बारी आई, तो सबको एक ही नाम सूझा, थेरेसा मे। इस दौरान थेरेसा ने तीन मुद्दों पर फोकस किया। ब्रेग्जिट के बाद अर्थव्यवस्था को मजबूत करना, देश की एकता-अखंडता बनाए रखना और आम लोगों के हितों को सबसे ऊपर रखना। इस साल 13 जुलाई को उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। शपथ के बाद थेरेसा ने कहा, मेरे पिता ने मुङो सिखाया है कि लोगों की सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म है। वादा है, मैं समाज के हर तबके के लोगों का ख्याल रखूंगी।
साभार -हिंदुस्तान अख़बार
Thanks for reading