Sonu nigam

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हरियाणा के फरीदाबाद शहर में जन्मे सोनू निगम ने होश संभाला, तो चारों तरफ संगीत का माहौल था। पापा स्टेज सिंगर थे। वह शादियों और पार्टियों में गाया करते थे। सोनू उन्हें सुनकर बड़े हुए। तब वह चार साल के थे। पापा एक कार्यक्रम में गा रहे थे। इस बीच मम्मी के संग स्टेज के पीछे मौजूद सोनू रोने लगे। सबने पूछा क्या चाहिए, तो वह बोले, मैं भी स्टेज पर गाऊंगा। मम्मी ने बहुत समझाया, पर वह नहीं माने। फिर वहां मौजूद कुछ लोगों ने कहा, बच्चा जिद कर रहा है, तो उसे गाने दो। सोनू स्टेज पर गए और बड़े आत्मविश्वास के साथ मोहम्मद रफी का गाना: क्या हुआ तेरा वादा गाने लगे। पापा हैरान थे कि बेटा कब गाना सीख गया?
इसके बाद तो वह रोजाना रियाज के वक्त पापा के संग गाने बैठ जाते। गाने के अलावा सोनू पढ़ाई में भी बहुत तेज थे। जब भी कोई पूछता कि बडे़ होकर क्या बनोगे, तो वह जवाब देते, आईएएस अफसर बनूंगा। स्कूल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वह सक्रिय रहते। इस बीच कुछ फिल्मों  में बतौर चाइल्ड ऐक्टर काम करने का मौका मिला, पर मजा नहीं आया। सोनू कहते हैं, फिल्मों  में पूरा फोकस हीरो-हीरोइन पर होता था। बाल कलाकारों को ज्यादा तवज्जो नहीं मिलती थी। इसलिए अभिनय से मोहभंग हो गया।
दसवीं कक्षा तक पूरा ध्यान पढ़ाई पर रहा। फिर लगा कि गायन में करियर बनाना चाहिए। इस दौरान उन्होंने दिल्ली में कई संगीत प्रतियोगिताएं जीतीं। मोहम्मद रफी के अलावा उन्हें अनूप जलोटा के भजन गाने में बड़ा मजा आता था। वह जलोटा के अंदाज में ऐसे गाते थे कि लोग उन्हें जूनियर जलोटा कहने लगे। सोनू बताते हैं, दिल्ली में एक गजल प्रतियोगिता थी। अन्नू मलिक और गुलाम अली जी कार्यक्रम के जज थे। अन्नू जी को मेरी आवाज इतनी पसंद आई कि उन्होंने पापा से कहा कि जब बेटा थोड़ा और बड़ा हो जाए, तो इसे मुंबई लेकर आना। यह सुनकर पापा बहुत खुश हुए।
पढ़ाई के साथ गाने के कार्यक्रम चलते रहे, पर पापा को लगा कि दिल्ली में करियर नहीं बनेगा। उन्हें डर था कि कहीं बेटा भी उनकी तरह लोकल स्टेज सिंगर बनकर न रह जाए। 1991 में 12वीं पास करने के बाद सोनू पापा के संग मुंबई आ गए। उस समय वह 18 साल के थे। वह पॉप म्यूजिक का जमाना नहीं था। गायक बनने का मतलब था कि फिल्मों में काम मिले और बिना जान-पहचान के यह आसान न था। मुंबई में एक लंबे संघर्ष की शुरुआत हुई। वह पिता के संग एक छोटे-से घर में रहते थे। सुबह जल्दी उठते, डेरी से दूध लाते, चाय-नाश्ता बनाते, बर्तन धोते और घर में झाड़ू-पोंछा करने के बाद निकल पड़ते काम की तलाश में। पूरे दिन म्यूजिक डायरेक्टरों के दफ्तरों के चक्कर लगाते। कई लोग मिलने से मना कर देते और जो राजी होते, वे घंटों इंतजार कराते। सोनू बताते हैं, मैं सात से आठ घंटे तक इंतजार करता। फिर मिलने के बाद वे कहते, आवाज अच्छी है, पर अभी तुम्हारे लिए काम नहीं है। कुछ कह देते कि तुम बहुत छोटे हो। जाओ, और सीखो। कुछ को मेरी शक्ल खलती थी। वे कहते, हीरो का काम खोजो।  
इस बीच उन्होंने शास्त्रीय गायक उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान से शिक्षा से ली। समय के साथ उनकी आवाज में निखार आ रहा था, पर काम नहीं मिल रहा था। संघर्ष लंबा चला। सोनू निराश होने लगे, तो पापा ने समझाया कि तुम किसी सेलिब्रिटी के बेटे नहीं हो। तुम्हें संघर्ष करना होगा। सोनू बताते हैं, एक बार मुझे एक गाने की रिकॉर्डिंग के लिए सुदीप स्टूडियो में बुलाया गया। मैंने दो गाने रिकॉर्ड कराए। पर मुझे मौका नहीं दिया गया। स्टूडियो के बाहर आने के बाद मैं खूब रोया। ऐसा लगा कि सब खत्म हो गया है।  
बात अक्तूबर 1992 की है। सोनू गुलशन कुमार के स्टूडियो में एक राजस्थानी गाना रिकॉर्ड कर रहे थे। गुलशन जी ने उनकी आवाज सुनी, पूछा कि कौन है? उन्हें बताया गया कि एक नया लड़का है। उन्होंने सोनू को बुलवाया। सोनू को देखकर बोले, अरे तुम तो बहुत छोटे हो। पर बहुत खूब गाते हो। मैं तुम्हें मौका दूंगा। इस मुलाकात के बाद सोनू का जीवन बदल गया।
वर्ष 1995 में उन्हें जी टीवी के मशहूर कार्यक्रम सारेगामा में एंकरिंग करने का मौका मिला। सारेगामा ने खूब शोहरत दिलाई, पर मंजिल अभी दूर थी। फिर उन्होंने महसूस किया कि दूसरे गायकों के अंदाज में गाने से कुछ हासिल नहीं होगा। उन्हें खुद अपनी गायकी का अंदाज पेश करना होगा। इसके बाद उन्हें बेवफा सनम फिल्म में अच्छा  सिला दिया तूने मेरे प्यार का गाने का मौका मिला। पहला ब्रेक था यह। पर पहली बड़ी सफलता मिली फिल्म बॉर्डर के गाने से। संदेशे आते हैं गाना बहुत लोकप्रिय हुआ। इसके बाद नदीम-श्रवण के निर्देशन में उन्होंने परदेश फिल्म का गाना: ये दिल दीवाना गाया। इस गाने ने उन्हें म्यूजिक इंडस्ट्री में एक नई पहचान दिलवाई। हिंदी के अलावा उन्होंने कन्नड़, बांग्ला, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगू, अंग्रेजी, भोजपुरी, उर्दू और नेपाली भाषा में भी गाने गाए। बेहतरीन गायन के लिए उन्हें फिल्म फेयर और ग्लोबल इंडिया म्यूजिक अवॉर्ड समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।  
प्रस्तुति: मीना त्रिवेदी

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