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लोकसभा की पहली महिला अध्यक्ष मीरा कुमार
अपने पिता स्वर्गीय जगजीवन राम के अधूरे सपने और संकल्प को पूरा करने के लिए भारतीय विदेश सेवा की नौकरी छोड़कर राजनीति में आईं मीरा कुमार स्वभाव से अत्यंत सौम्य, मृदुभाषी और मिलनसार हैं।राजीतिक पृष्ठभूमि वाली मीरा कुमार को गुस्सा नहीं आता है। गुस्से में भी वह नहीं चीखती हैं। सौम्य हैं। हंसमुख हैं। पढ़ाकू भी हैं। मीरा कुमार अब तक पांच बार सांसद बन चुकी हैं वर्ष 2017 में मीरा कुमार को यूपीए द्वारा अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया गया पर वो रामनाथ कोविंद से हार गयी
प्रारंभिक जीवन
मीरा कुमार का जन्म 31 मार्च, 1945 को बाबू जगजीवन राम और इन्द्राणी देवी के यहाँ सासाराम बिहार में हुआ था मीरा कुमार की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के महारानी गायत्री देवी स्कूल में हुई। मीरा कुमार ने दिल्ली के इन्द्रप्रस्थ और मिरांडा हाउस कॉलेजों से एम ए और एल एल बी तक शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 1973 में वह भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के लिए चुनी गईं। कुछ वर्षो तक स्पेन, ब्रिटेन और मॉरीशस में उच्चायुक्त रहीं लेकिन उन्हें अफसरशाही रास नहीं आई और उन्होंने राजनीति में कदम बढ़ाने का फैसला किया। मीरा कुमार अंग्रेजी, स्पेनिश, हिंदी, संस्कृत, भोजपुरी भाषाओ में निपुण है। मीरा कुमार वर्ष 1968 में बिहार की पहली महिला कैबिनेट मंत्री सुमित्रा देवी के बड़े पुत्र मंजुल कुमार से परिणय सूत्र में बंधी।मीरा कुमार के एक पुत्र (अंशुल) एवं दो पुत्रियाँ (स्वाति और देवांगना) हैं।
राजनीतिक सफर –
मीरा कुमार ने अपना राजनीतिक सफर की शुरुआत उत्तर प्रदेश से किया। भारतीय राजनीति को लंबे समय तक प्रभावित करने वाले बाबू जगजीवन राम के घर में पली-बढ़ी मीरा कुमार कांग्रेस के टिकट पर पहली बार 1985 में उत्तर प्रदेश के बिजनौर लोकसभा क्षेत्र से उप चुनाव लड़ी और तब उन्होंने मायावती और रामविलास पासवान को पराजित कर राजनीति में धमाकेदार शुरुआत की ।हालांकि इसके बाद हुए चुनाव में वह बिजनौर से पराजित हुई। इसके बाद उन्होंने अपना क्षेत्र बदला और 11 वीं तथा 12 वीं लोकसभा के चुनाव में वह दिल्ली के करोलबाग संसदीय क्षेत्र से विजयी होकर फिर संसद पहुंचीं।
कांग्रेस कमेटी का महासचिव पद भी संभाला
मीरा कुमार पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के प्रयास से 1990 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव बनीं। 1996 में वे दूसरी बार सांसद बनीं और तीसरी पारी उन्होंने 1998 में शुरु की। 2004 में बिहार के सासाराम से लोक सभा सीट जीती। उस समय इन्हें पहली बार केन्द्र में मंत्री पद भी प्राप्त हुआ और सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया।
राजग की हवा में भी सासाराम सीट को बरकरार रखा
15 वीं लोकसभा चुनाव में बिहार में जहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की हवा बह रही थी, उसमें भी मीरा कुमार ने सासाराम सीट को बरकरार रखा तथा अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी मुनिलाल को 45 हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया। फलस्वरूप केन्द्र में उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा देते हुए जल संसाधन मंत्रालय सौंपा गया था।
पहली महिला स्पीकर
संसद के स्पीकर पद पर पहुंचने वाली वे पहली महिला हैं। वह भी दलित। इक्कीसवीं सदी में दुनिया के 187 मौजूदा लोकतांत्रिक देशों में से केवल 32 देशों में ही महिलाएं इस पद तक पहुंचने में सफल हो पाई हैं । आस्ट्रिया दुनिया का पहला देश है, जहां किसी महिला को संसद का स्पीकर चुना गया। द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले आस्ट्रियाई संसद बंदुेस्रात में पहली बार महिला स्पीकर पद पर आसीन हुई थी।
प्रिय पुस्तक अभिज्ञान शांकुतलम्
मीरा कुमार कहती है कि मैं हमेशा कुछ न कुछ पढ़ती रहती हूं और मेरी प्रिय पुस्तक महाकवि कालिदास की अभिज्ञान शांकुतलम् है। पहली बार इस सदन की सदस्य बनने पर मैं पीछे की बेंच पर बैठा करती थी। जब मैं स्कूल की छात्रा थी, तब कई बार दर्शक दीर्घा से मैंने लोकसभा की कार्यवाही को देखा । उस समय स्वतंत्रता संग्राम के पुरोधा इस सदन में बैठकर देश के लोगों के हित में फैसले लेते थे। खासकर दलितों, वंचितों और कमजोर तथा हाशिए पर खड़े लोगों के लिए वह बड़ी मशक्कत करते थे।
कला और साहित्य से विशेष लगाव
भारतीय इतिहास में विशेष रुचि रखने वाली मीरा कुमार को कला और साहित्य से भी विशेष लगाव है।उन्हें देश-विदेश की ऐतिहासिक इमारतों का भ्रमण करने का भी शौक है। विदेश सेवा में कार्यरत होने के कारण बड़े पैमाने पर उन्होंने विदेश यात्राएं की हैं। हस्तशिल्प प्रेमी होने के अलावा मीरा कुमार एक अच्छी कवियित्री भी हैं. वह अपना खाली समय किताबें पढ़ने और शास्त्रीय संगीत सुनने में व्यतीत करती हैं। उनकी लिखी कई कविताएं प्रकाशित भी हुई हैं।