mangal talab

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मंगल तालाब का इतिहास बहुत पुराना है| पहले पटना में जगह जगह कई तालाब हुआ करते थे और कई बाग बगीचे थे| उनमे से ज्यादातर का अस्तित्व आज समाप्त हो चुका है लेकिन किस्मत से मंगल तालाब आज भी मौजूद है| इसका पुराना नाम मानसरोवर था और इस तालाब के चारो ओर कई मंदिर थे| बदकिस्मती से सारे मंदिर ध्वस्त कर दिए गए और तालाब को भर दिया गया| बाद में मुग़ल सेना के एक सिपाही शेख मिट्ठू ने जब इस जगह की खुदाई करवाई तो उसे ज़मीन के भीतर कई कीमती पत्थर मिले|
अंग्रेजो के शासन काल में सन १८७६ में तब के जिलाधिकारी मिस्टर मंगिल्स ने यहाँ तालाब खुदवाया और तब से इसका नाम मंगल तालाब पड़ा| गाँधी जी के देहांत के बाद इस तालाब का नाम गाँधी सरोवर कर दिया गया|
पटना सिटी का मंगल तालाबः जहाँ लगी रहती है रौनक
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स्थानीय निवासियों के लिए यह मंगल तालाब वरदान हैं। सूर्योदय होने से पहले ही यहां चहल-पहल शुरू हो
जाती है। योग और व्यायाम के लिए यहां लोगों की भीड़ सुबह से शाम तक लगी रहती है। दिन भर के शोर- शराबे से दूर इस तालाब के पास लोग ताजी हवा लेने पहुंचते हैं।
मंगल तालाब की बात करें तो इसका इतिहास काफी स्वर्णिम हैं। मंगल तालाब का आकार काजू की तरह है। तालाब के आसपास और इसका परिसर कई दशक पुराने इतिहास को अपने आप में समेटे हुए है। इस तालाब के पूरब में बिहार हितैषी पुस्तकालय, पश्चिम में उर्दू लाइब्रेरी एवं सूफी स्थल, उत्तर में नवनिर्मित मुक्ताकाश मंच व कैफेटेरिया और दक्षिण में ऐतिहासिक सिटी स्कूल है। मंगल तालाब का इतिहास ही इसे प्रसिद्ध बनाता है। मंगल तालाब के बीचोंबीच लगा फव्वारा काफी आकर्षक हैं पर काफी दिनों से आकर्षण का केंद्र यह फव्वारा खराब पड़ा है। इस तालाब से सटा है मनोज कमलिया स्टेडियम जहां बच्चे क्रिकेट खेलते नजर आते हैं। मंगल तालाब में बना कैफेटेरिया यहां आने वाले लोगों के लिए चाय-कॉफी के अलावा नाश्ते की भी सुविधा देता है। मंगल तालाब में वातानुकुलित सभागार है जिसमें पांच सौ फीट की व्यवस्था हैं। इसके अलावा यहां जिम की भी सुविधा है। ठंड के दिनों में भी सेहत के प्रति जागरूक बच्चे, युवा, बुजुर्ग और महिलाएं यहां टहलते-दौड़ते दिख जाते हैं। इसका पुराना नाम मानसरोवर था और इस तालाब के चारों ओर कई मंदिर थे| बदकिस्मती से सारे मंदिर ध्वस्त कर दिए गए और तालाब को भर दिया गया| बाद में मुग़ल सेना के एक सिपाही शेख मिट्ठू ने जब इस जगह की खुदाई करवाई तो उसे ज़मीन के भीतर कई कीमती पत्थर मिले| अंग्रेजो के शासन काल में सन् 1876 ई० में तब के जिलाधिकारी मिस्टर मंगिल्स ने यहाँ तालाब खुदवाया और तब से इसका नाम मंगल तालाब पड़ा| गाँधी जी के देहांत के बाद इस तालाब का नाम गाँधी सरोवर कर दिया गया|

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