माधुरी दीक्षित बचपन में डॉक्टर बनना चाहती थीं। उनकी मां को डांस में गहरी दिलचस्पी थी, लेकिन रूढ़िवादी मराठी परिवार ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी। परिवार को लगता था कि डांस करना अच्छे घरों की लड़कियों का काम नहीं है। लिहाजा, ख्वाहिश मन में दबी रह गई। पर जब वह खुद मां बनीं, तो तय किया कि बेटी को डांस सिखाऊंगी। तीन साल की उम्र से उन्होंने माधुरी को डांस सिखाना शुरू कर दिया। बेटी को स्टेज पर डांस करते देखना उन्हें बहुत सुकून देता था। डांस के अलावा, माधुरी स्कूल में होने वाले नाटकों में भी भाग लेती थीं। सब उनकी अदाकारी और डांस के दीवाने थे। उन दिनों वह कक्षा बारहवीं में पढ़ रही थीं। उनकी सहेली के एक रिश्तेदार बॉलीवुड में निर्देशक थे। उन्हें अपनी फिल्म अबोध के लिए एक नई लड़की की तलाश थी। ऐसी लड़की, जो अभिनय के साथ बढ़िया डांस भी कर सके। सहेली ने माधुरी का नाम सुझाया और वह चुन ली गईं। परिवार को पता चला, तो हंगामा हो गया।
मराठी ब्राह्मण परिवार की लड़की फिल्म में काम करेगी, तो लोग क्या कहेंगे? मां को तो कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन सवाल था कि नानी को कौन मनाएगा? माधुरी कहती हैं, नानी ने कहा कि बच्ची में टैलेंट है, करने दो काम, मगर बस एक फिल्म में। इसके बाद वह पढ़ाई करेगी। शूटिंग शुरू हुई। लाइट, कैमरा, ऐक्शन वाली दुनिया उन्हें खूब रास आई। खुद को रुपहले परदे पर देखना सपने से कम नहीं था। अबोध बॉक्स ऑफिस पर पिट गई, पर माधुरी का काम सबको पसंद आया। इस बीच, वह मुंबई यूनिवर्सिटी से माइक्रोबायोलॉजी से बीएससी करने लगीं। पहला साल पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी, क्योंकि अब उन्हें बॉलीवुड की चकाचौंध भाने लगी थी।
इस बीच, उन्होंने आवारा बाप, स्वाती और उत्तर दक्षिण जैसी कई फिल्में कीं। ये सभी फिल्में फ्लॉप रहीं। यह संघर्ष का दौर था। अब वह वापस जाने को राजी नहीं थीं। खुद को साबित करने की जिद लिए वह अदाकारी को निखारने में जुटी रहीं। साल 1988 में उनकी तेजाब फिल्म आई और वह सुपर स्टार बन गईं। फिल्म का गाना एक, दो, तीन.. बेहद हिट रहा। फिल्म फेयर में उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए नामित किया गया। कामयाबी का सिलसिला शुरू हो गया। राम लखन, परिंदा, त्रिदेव, किशन-कन्हैया जैसी फिल्मों में उन्होंने अपने अभिनय का जादू बिखेरा। हम आपके हैं कौन, दिल तो पागल है और पुकार जैसी फिल्मों के बाद तो वह छा गईं।
शानदार अभिनय के लिए उन्हें तीन बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का अवॉर्ड मिला। वह माधुरी का दौर था। फैन्स उनके जोशीले ठुमकों और उनकी मनमोहक मुस्कान पर फिदा थे। फिल्म में उनका होना फिल्म के हिट होने की गारंटी था। वह बॉलीवुड की धक-धक गर्ल बन चुकी थीं। तभी खबर आई कि उन्होंने भारतीय मूल के अमेरिकी डॉक्टर श्रीराम नेने से शादी कर ली है और अमेरिका में बसने जा रही हैं। अक्तूबर 1999 में वह अमेरिका चली गईं। माधुरी कहती हैं, ‘शादी का फैसला अचानक नहीं था। मैं हमेशा से एक आम लड़की की तरह जीना चाहती थी। मेरा सपना था कि परिवार हो, बच्चे हों। डॉक्टर नेने से मिलने के बाद लगा कि वह अच्छे पति साबित होंगे। इसलिए उनसे शादी की।’
भले ही माधुरी सात समंदर पार चली गई हों, पर फैंस के जेहन में वह छाई रहीं। इस बीच, वह दो बेटों की मां बनीं। अक्सर सवाल उठता रहा कि बॉलीवुड की चकाचौंध के बिना उनका जीवन कैसा होगा? माधुरी कहती हैं, ‘मैं कभी स्टारडम लेकर घर नहीं गई। घर में मैं हमेशा बेटी और बहन थी। लिहाजा, शादी के बाद पत्नी और मां बनकर जीना बहुत अच्छा लगा।’ शादी के बाद माधुरी दीक्षित देवदास फिल्म में नजर आईं। उन्हें सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री का खिताब मिला। साल 2008 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया। मशहूर पेंटर एम एफ हुसैन ने साल 2000 में उन पर गजगामिनी फिल्म बनाई थी। हुसैन उनकी खूबसूरती और अदाकारी के कायल थे। साल 2006 में माधुरी स्वदेश लौटीं। साल 2007 में उन्होंने आजा नच ले से कमबैक किया। फिल्म भले ही बॉक्स ऑफिस पर हिट न रही हो, पर उनके अभिनय और डांस की खूब तारीफ हुई। उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए नामित किया गया।
इसके बाद, वह गुलाबी गैंग में रज्जो की भूमिका में दिखीं। सेट पर उन्हें ऐक्शन सीन करता देख किसी ने पूछा, इस उम्र में ऐक्शन? माधुरी ने कहा, ‘जब मेरे उम्र के अभिनेता हीरो बनकर आते हैं, फाइट सीन करते हैं, तब आप ऐसे सवाल क्यों नहीं करते? मुझसे यह सवाल इसलिए, क्योंकि मैं औरत हूं।’ इसके बाद वह फिल्म डेढ़ इश्किया में नजर आईं। ये जवानी है दीवानी फिल्म के आइटम सॉन्ग में तो वह बला की खूबसरत लगीं। माधुरी ऑनलाइन डांस एकेडेमी भी चला रही हैं। कहा जाता है कि शादी के बाद हीरोइनों का करियर खत्म हो जाता है। माधुरी कहती हैं, ‘अभिनेत्रियों के लिए अब अच्छे रोल लिखे जा रहे हैं। पर महिलाओं को खुद को साबित करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। आपके अंदर हुनर है, तो आपको कोई नहीं रोक सकता।’
मराठी ब्राह्मण परिवार की लड़की फिल्म में काम करेगी, तो लोग क्या कहेंगे? मां को तो कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन सवाल था कि नानी को कौन मनाएगा? माधुरी कहती हैं, नानी ने कहा कि बच्ची में टैलेंट है, करने दो काम, मगर बस एक फिल्म में। इसके बाद वह पढ़ाई करेगी। शूटिंग शुरू हुई। लाइट, कैमरा, ऐक्शन वाली दुनिया उन्हें खूब रास आई। खुद को रुपहले परदे पर देखना सपने से कम नहीं था। अबोध बॉक्स ऑफिस पर पिट गई, पर माधुरी का काम सबको पसंद आया। इस बीच, वह मुंबई यूनिवर्सिटी से माइक्रोबायोलॉजी से बीएससी करने लगीं। पहला साल पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी, क्योंकि अब उन्हें बॉलीवुड की चकाचौंध भाने लगी थी।
इस बीच, उन्होंने आवारा बाप, स्वाती और उत्तर दक्षिण जैसी कई फिल्में कीं। ये सभी फिल्में फ्लॉप रहीं। यह संघर्ष का दौर था। अब वह वापस जाने को राजी नहीं थीं। खुद को साबित करने की जिद लिए वह अदाकारी को निखारने में जुटी रहीं। साल 1988 में उनकी तेजाब फिल्म आई और वह सुपर स्टार बन गईं। फिल्म का गाना एक, दो, तीन.. बेहद हिट रहा। फिल्म फेयर में उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए नामित किया गया। कामयाबी का सिलसिला शुरू हो गया। राम लखन, परिंदा, त्रिदेव, किशन-कन्हैया जैसी फिल्मों में उन्होंने अपने अभिनय का जादू बिखेरा। हम आपके हैं कौन, दिल तो पागल है और पुकार जैसी फिल्मों के बाद तो वह छा गईं।
शानदार अभिनय के लिए उन्हें तीन बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का अवॉर्ड मिला। वह माधुरी का दौर था। फैन्स उनके जोशीले ठुमकों और उनकी मनमोहक मुस्कान पर फिदा थे। फिल्म में उनका होना फिल्म के हिट होने की गारंटी था। वह बॉलीवुड की धक-धक गर्ल बन चुकी थीं। तभी खबर आई कि उन्होंने भारतीय मूल के अमेरिकी डॉक्टर श्रीराम नेने से शादी कर ली है और अमेरिका में बसने जा रही हैं। अक्तूबर 1999 में वह अमेरिका चली गईं। माधुरी कहती हैं, ‘शादी का फैसला अचानक नहीं था। मैं हमेशा से एक आम लड़की की तरह जीना चाहती थी। मेरा सपना था कि परिवार हो, बच्चे हों। डॉक्टर नेने से मिलने के बाद लगा कि वह अच्छे पति साबित होंगे। इसलिए उनसे शादी की।’
भले ही माधुरी सात समंदर पार चली गई हों, पर फैंस के जेहन में वह छाई रहीं। इस बीच, वह दो बेटों की मां बनीं। अक्सर सवाल उठता रहा कि बॉलीवुड की चकाचौंध के बिना उनका जीवन कैसा होगा? माधुरी कहती हैं, ‘मैं कभी स्टारडम लेकर घर नहीं गई। घर में मैं हमेशा बेटी और बहन थी। लिहाजा, शादी के बाद पत्नी और मां बनकर जीना बहुत अच्छा लगा।’ शादी के बाद माधुरी दीक्षित देवदास फिल्म में नजर आईं। उन्हें सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री का खिताब मिला। साल 2008 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया। मशहूर पेंटर एम एफ हुसैन ने साल 2000 में उन पर गजगामिनी फिल्म बनाई थी। हुसैन उनकी खूबसूरती और अदाकारी के कायल थे। साल 2006 में माधुरी स्वदेश लौटीं। साल 2007 में उन्होंने आजा नच ले से कमबैक किया। फिल्म भले ही बॉक्स ऑफिस पर हिट न रही हो, पर उनके अभिनय और डांस की खूब तारीफ हुई। उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए नामित किया गया।
इसके बाद, वह गुलाबी गैंग में रज्जो की भूमिका में दिखीं। सेट पर उन्हें ऐक्शन सीन करता देख किसी ने पूछा, इस उम्र में ऐक्शन? माधुरी ने कहा, ‘जब मेरे उम्र के अभिनेता हीरो बनकर आते हैं, फाइट सीन करते हैं, तब आप ऐसे सवाल क्यों नहीं करते? मुझसे यह सवाल इसलिए, क्योंकि मैं औरत हूं।’ इसके बाद वह फिल्म डेढ़ इश्किया में नजर आईं। ये जवानी है दीवानी फिल्म के आइटम सॉन्ग में तो वह बला की खूबसरत लगीं। माधुरी ऑनलाइन डांस एकेडेमी भी चला रही हैं। कहा जाता है कि शादी के बाद हीरोइनों का करियर खत्म हो जाता है। माधुरी कहती हैं, ‘अभिनेत्रियों के लिए अब अच्छे रोल लिखे जा रहे हैं। पर महिलाओं को खुद को साबित करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। आपके अंदर हुनर है, तो आपको कोई नहीं रोक सकता।’