इंसान के शरीर में खून की कमी हो जाने से कमजोरी आ जाती है और कई मामलों में खून कम होने से मौत भी हो सकती है. वैसे हम लोगों को पता होना चाहिए कि हमारा बल्ड ग्रुप क्या है ?
Blood Group क्यों है जरूरी ?
ब्लड ग्रुप, साभार : Consumer Health Digest
अगर कभी किसी इंसान को ब्लड की जरूरत होती है तो उसके ग्रुप का Blood मैच करते ही उसे खून चढ़ाया जाता है. ब्लड में 4 ग्रुप होते हैं A, B, AB, O इनमें से दो इंटीजन होते हैं और दो एंटीबॉडी. इंसान के ब्लड में अंतर एंटीजन और एंटीबॉडी की वजह से ही होता है. ब्लड ग्रुप इंसान को अपने माता-पिता से आनुवांशिक तरह से मिलता है.
ब्लड ग्रुप होते हैं, कैसे पता चला ?
कार्ल लैंडस्टीनर, साभार : itsdiscovery
अमेरिका में एक रोग विज्ञानी थे, जिनका नाम कार्ल लैंडस्टीनर था. पढ़ाई के दौरान उन्होंने Observe किया कि कई व्यक्ति सिर्फ इसलिए मर रहे हैं क्योंकि उन्हें ब्लड की जरूरत हुई जो उन्हें नहीं मिल पाती थी. उन्होंने जब एक व्यक्ति के खून को दूसरे व्यक्ति के शरीर में चढ़ाया तो Blood के थक्के जमने लगे और इस वजह से खून बहना बंद होने लगा. ऐसी स्थिति में व्यक्ति को पीलिया जैसी बीमारी और कई लोगों की मौत भी हुई. इसके बाद उन्होंने ब्लड पर रिसर्च करने का काम शुरु किया.
कैसे हुआ अविष्कार ?
कार्ल लैंडस्टीनर, साभार : scientific world
कार्ल लैंडस्टीनर ने Blood Group और उसके प्रकार के बारे में बताया कि खून देने वाले व्यक्ति का ब्लड पाने वाले व्यक्ति के लिए मैच नहीं कर रहा है. इसका पता हेमागल्युटिनेशन के कारण होने वाली क्रॉस मैचिंग से चला. जो की खून देने वाले के खून की कोशिकाओं और खून पाने वाले के सेरम या प्लाजमा के मिलान कराने पर किया गया.
साल 1901 में लैंडस्टीनर ने यह पता लगाया की ऐसा रक्त के रक्त सीरम के सम्पर्क में आने के कारण ही होता है. इसके बाद हर व्यक्ति का ब्लड अलग-अलग होता गया और इसी वजह से खून देने वाले व्यक्ति और खून पाने वाले व्यक्ति की कोशिकाओं में अंतर आने लगा.
..और भी हुए रिसर्च :
मानव शरीर, साभार : healthlive
रिसर्च को आगे बढ़ाते हुए लैंडस्टीनर ने सैंकड़ों लोगों के ब्लड का सैंपल लिए और एक साल के अध्ययन के बाद वो इस परिणाम पर पहुंचे की ब्लड के तीन ग्रुप का होते हैं. जिनको इन्होने नाम दिया ए, बी और सी. इसके बाद सी Blood Group को ओ नाम दिया. लैंडस्टीनर की इस खोज को उनके दो साथियों ने आगे बढ़ाया और चौथे ब्लड ग्रुप का भी पता लगा लिया जिसे ‘एबी’ ग्रुप का नाम दिया गया.
4 साल बाद लोगों ने अपनाया :
ब्लड ग्रुप, साभार : fotosearch
न्यूयॉर्क के सेनाई हॉस्पिटल में लैंडश्टीनर ने अविष्कार के 4 साल बाद सबसे पहला आधुनिक ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया था. इसके बाद Blood Group के सिद्धांत को पूरी दुनिया ने माना और अपनाया जो आज तक चलता आ रहा है.