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18 साल पहले कारगिल के जंग में बिहार के 22 सपूत शहीद हुए थे। उनकी शहादत को याद रखने के लिए पटना के गांधी मैदान के पास स्थित चौक का नाम कारगिल चौक रखा गया। इस चौक पर शहीदों के नाम पत्थर पर खुदे हैं। कारगिल की जंग को बोफोर्स तोप के लिए भी जाना जाता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में खरीदी गई इस तोप की खरीदी में दलाली की बात सामने आई थी। इसके बाद भारत में करीब डेढ़ दशक तक इस घौटाले की गूंज रही। पहली बार युद्ध में उपयोग में उतारी गई बोफोर्स तोप कारगिल में सबसे ज्यादा कारगर साबित हुई थी।  

 

 

 

– पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर रखा था। वे पहाड़ की चोटियों पर बने बंकरों में छिपे थे और भारतीय सैनिकों पर भारी पर रहे थे। 

– भारतीय जवान चोटी पर कब्जा करने के लिए चढ़ाई करते तो ऊपर बैठे दुश्मन उन्हें आसानी से निशाना बना लेते थे। ऐसी स्थिति में बोफोर्स तोप सेना के बड़े काम आई थी।

– बोफोर्स ने पहाड़ की चोटियों पर बने बंकरों को उड़ा दिया था। तोप की बमबारी की ओट में भारतीय सैनिक दुश्मन की चौकियों के करीब जा पाए थे। 

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