0
9

‘घरवापसी’

Thu, 27 Jul 2017 01:06 PM (IST)

 पटना [काजल]। बिहार में छठी बार मुख्यमंत्री पद के रूप में आज सुबह दस बजे नीतीश कुमार ने राजभवन के मंडपम हॉल में शपथ ली। बिहार में बुधवार को शुरू हुए घटनाक्रम का पटाक्षेप हो गया और एनडीए के साथ मिलकर नीतीश कुमार ने फिर एक बार बिहार में सरकार बनाई है और उपमुख्यमंत्री पद एक बार फिर से भाजपा नेता सुशील मोदी को सौंपा है।

कल से ही नीतीश कुमार सोशल मीडिया के टॉप ट्रेंड में छाए हुए हैं तो वहीं आज ट्विटर के टॉप ट्रेंड में नीतीश कुमार ही नजर आ रहे हैं। टॉप ट्रेंड में है Chief Minister of Bihar, दूसरा टॉप ट्रेंड है #NitishKumar, तीसरा टॉप ट्रेंड है #NitishGharWapsi तीन ट्रेंड चल रहे हैं जिसपर लोग जमकर ट्वीट और रिट्वीट कर रहे हैं। 

सोशल मीडिया में जहां एक ओर नीतीश को लोग छठी बार मुख्यमंत्री बनने पर बधाई दे रहे हैं वहीं कुछ लोग उनका विरोध करते हुए तरह-तरह के कॉमेंट्स कर रहे हैं।

बुधवार को अचानक बिहार की राजनीति के बदले घटनाक्रम में नीतीश कुमार ने अपना इस्तीफा दिया और तुरत उसके बाद बीजेपी ने उन्हें समर्थन देे का एलान किया और रात भर चली रस्साकशी के बीच आज सुबह नीतीश ने एनडीए के समर्थित मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में शपथ ली। साथ ही उनके साथ सुशील मोदी ने भी उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

इसे जहां एक ओर बिहार के लिए नई दशा और दिशा के रूप में देखा जा रहा है वहीं बिहार में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। नीतीश की घरवापसी की बात कहें तो यह सही है, एक बार जब नीतीश ने बीजेपी की मदद से बिहार में सरकार बनाई थी तो सरकार अच्छी तरह चली थी, लेकिन कुछ मुद्दों के टकराव के बाद नीतीश ने राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन कर नई सरकार बना ली।

महागठबंधन बन तो गया लेकिन नीतीश को शायद मालूम नहीं था कि वो राजनीतिक रूप से धुर विरोधी रहे जिस लालू यादव से हाथ मिला रहे हैं वो राजद बदला नहीं है और उसकी नीतियां वहीं हैं जो पहले रही थीं जिसका नीतीश ने जमकर विरोध किया था। फिर एक बार उसके साथ मिलकर किसी तरह अपने आपको संयमित करके नीतीश ने बीस महीने सरकार चलाई।

इन बीस महीनों में बिहार के विकास का काम कम और आरोप-प्रत्यारोप वर्चस्व की लड़ाई चलती रही, अपराध चरम पर पहुंच गया, जनता परेशान हो गई। नीतीश ने खुद की बदौलत अपना स्टैंड लेकर कई बड़ी घोषणाएं कीं जिसमें महागठबंधन की पार्टियों ने मन से उनका साथ नहीं दिया। लेकिन कुछ मामलों को लेकर उन्होंने केंद्र सरकार की जमकर तारीफ जो महागठबंधन के नेताओं को नहीं भायी।

राजनीति में स्वार्थ नहीं देश हित जनहित और राज्यहित की सोच वाले नीतीश को अपने खुद के दोस्तों के विरोध का सामना करना पड़ा। विरोध के स्वर फूटने लगे और नीतीश को दबाव का सामना करना पड़ा। नीतीश जो कभी दबाव की राजनीति नहीं करते उन्हें अपने ही लोगों ने अांख दिखाना शुरू कर दिया। 

बिहार में जो विकास की बयार बह रही थी वो राजनीति की बिसात में दब गई और मोहरों ने अपने-अपने घरों में कुचक्र करना शुरू कर दिया। जब पानी सर से ऊपर जाने लगा और नीतीश असहज होने लगे तो उन्होंने राज्य हित में बड़ा फैसला लेते हुए अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंपने का फैसला किया और बिहार के विकास के लिए नीतीश को बीजेपी का साथ मिला। इस तरह एक बार फिर नीतीश की घरवापसी ट्विटर पर ट्रेंड करने लगी।

 

Leave a Reply