17 साल की उम्र में स्टॉक ट्रेडिंग सीखी, आज मैं हर दिन करता हूँ 10,000 करोड़ का कारोबार

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“ड्राइविंग के समय अपने दिमाग से निर्णय लेने की आवश्यकता होती है दिल से नहीं। यदि आप घबरा गए तो आपकी मुलाकात हो जाएगी रोड एक्सीडेंट से ” यह कहना है ज़ेरोधा के फाउंडर और सीईओ का, जिन्होंने ट्रेडिंग मार्केट की तुलना सड़क ड्राइविंग से की है। एक किशोर ने स्टॉक में ट्रेडिंग करना शुरू किया और जब वे बड़े हुए तब स्वयं की अपनी एक सफल कंपनी खोल ली। दमखम के बल पर एक मजबूत व्यक्ति ने, जिसे एक समय कोई नहीं जानता था, न केवल अपने रास्ते के तमाम रुकावटों को लांघा बल्कि आज भारत के शीर्ष उद्योगपति की सूची में भी शुमार हो गए।
नितिन की कहानी तब से शुरू होती है जब वे 17 साल के थे। अपने पिता के फण्ड का प्रबंध करते हुए इन्होंने अपना समय पेशेवर ट्रेडर के साथ देना शुरू किया था। परन्तु ट्रेडिंग के लिए पैसे नहीं होने के कारण नितिन ने तीन सालों तक एक कॉल सेंटर में नौकरी कर ली।
ज्यादातर भारतीयों युवाओं की तरह ही नितिन ने भी इंजीनियरिंग में दाखिला लिया परन्तु उसके बाद उन्होंने वह रास्ता चुना जो अधिकतर ग्रेजुएट्स नहीं कर पाते हैं — इंटरप्रेन्योरशिप का। उस समय वे एक तरफ कॉलेज में अपने आप को ढाल रहे थे, साथ ही साथ ट्रेडिंग कर रहे थे और रात में कॉल सेंटर में नौकरी भी। तीन साल नौकरी करने के बाद उन्होंने नौकरी खुशी-खुशी इसलिए छोड़ दी क्योंकि उनके एक ग्राहक ने उन्हें अपना पैसा मैनेज करने का काम सौंपा।
जल्द ही उन्हें ढेर सारे लोगों ने अप्रोच किया और जब रिलायंस मनी लांच हुआ तब वे एक सफल सब-ब्रोकर बन गए। वे इस सिस्टम को ज्यादा पसंद नहीं कर पा रहे थे और इस नौकरी में उन्हें कुछ कमी लग रही थी। तब जाकर उन्होंने ज़ेरोधा की नींव रखी। उनकी यह यात्रा संघर्षों से भरी थी पर उनका अपने ऊपर भरोसा कभी भी कम नहीं हुआ और वे आगे बढ़ते चले गए।
“एक ट्रेडर की हैसियत से मैंने हमेशा यह महसूस किया कि रिलायंस मनी के वर्किंग में कुछ तो कमी है। एक ट्रेडर को कुछ और अतिरिक्त सुविधाओं की ज़रुरत थी जो वर्तमान ट्रेडिंग प्लेटफार्म में सुलभ नहीं थी, इसलिए मैंने ज़ेरोधा शुरू करने का निश्चय किया।” — नितिन
ज़ेरोधा के रूप में 2010 में भारत को अपना पहला ऐसा ट्रेडिंग फर्म मिला जो मौजूदा ब्रोकरेज की कीमत को कम करने के लिए प्रतिबद्ध था और प्रति खरीद-बिक्री पर फ्लैट दर से फीस की सुविधा प्रदान करता हो। ज़ेरोधा की कोर टीम में नितिन के भाई निखिल, और रिलायंस मनी के कुछ साथी भी शामिल हो गए। निखिल ने प्रोप-ट्रेडिंग डेस्क, रिस्क मैनेजमेंट और ट्रेडिंग से संबंधित सब कुछ संभाला। उनके साथी वेणु और हनन ने कस्टमर सर्विस संभाला। आज ज़ेरोधा की टीम में 600 कर्मचारी हैं।
साल 2009 को याद करते हुए नितिन कहते हैं कि बाजार भारी उतार-चढ़ाव के दौरान पागल सी हो जाती है और कोई ट्रेंड फॉलो नहीं करती जिसे किसी तर्क से समझा जा सके। उस समय जब बाजार चुनाव के बाद अपर सर्किट पर बंद हुआ था। वह साल हमारे लिए खुद को परिभाषित करने वाला रहा थाl  
नितिन कहते हैं कि ट्रेडिंग समय में बहुत बार केवल पैसे पर ही ध्यान केंद्रित रहता था पर निष्कर्ष कुछ नहीं निकलता था। जब उन्होंने 2007-2008 में अपनी रणनीति बदल दी और डील पर ज्यादा ध्यान देने लगे तब उन्हें सफलता मिली। अब तो उनके छोटे भाई ने भी उनके बिज़नेस को ज्वाइन कर लिया है क्योंकि ट्रेडिंग उनके जीन में है।
ऑनलाइन ब्रोकरेज कंपनी ज़ेरोधा ने अपने वेब आधारित हिंदी भाषा के ट्रेडिंग पोर्टल “काइट” का आगाज किया है। कंपनी ने सभी इक्विटी निवेश पर जीरो ब्रोकरेज का भी एलान किया है, साथ ही इसमें कोई अपफ्रंट फीस, कोई न्यूनतम वॉल्यूम, कोई विशेष नियम और शर्त स्ट्रिंग भी शामिल नहीं होंगे। निवेश की आसान संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कंपनी ने अपना म्युचुअल फण्ड बिज़नेस शुरू करने की भी घोषणा की है।
“मेरे चाचा हमेशा कहते थे कि लक्ष्मी माता कमल में बैठी रहती हैं और कमल तैरता रहता है। तुम उसका पीछा नहीं कर सकते। तुम्हें उसे अपने पास आने तक का इंतजार करना चाहिए।”
एक सफल बिज़नेसमैन बनने के लिए आपको हमेशा अच्छा होमवर्क करना होगा, स्मार्ट इन्वेस्टमेंट करने की काबिलियत और धैर्य की तो बेहद आवश्यकता है। और नितिन के सफलता की यही सबसे बड़ी वजह है। ज़ेरोधा के आज 2,50,000 यूज़र्स हैं और इसमें 600 कर्मचारी काम करते हैं l

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