वो बस स्टॉप वाली लड़की

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रोज की तरह उस दिन भी बस स्टाप पर काफी भीड था! बस का इंतजार करते करते लगभग सभी यात्री परेशान हो उठे थे!
ऑजिक्या अपने कानो मे हेडफोन लगाये मोहम्मद रफी की आवाज का कायल हुए जा रहा था,जल्दी तो उसे भी था कॉलेज से वापस घर जाने के लिए लेकिन इंतजार करना तब बुरा नही लगता जब कोई साथ में हो और इस वक्त ऑजिक्या को पास साथी के रुप मे मोहम्मद रफी के गानो का कलेक्शन था!

कुछ देर बाद बस आ गयी,ऑजिक्या बीच के खिडकी वाली सीट पकडे फिर से गानो के दुनिया मे खो गया!.
बस तकीरबन दस मिनट ही चला होगा कि किसी बस स्टाप पर जा कर रुक गयी! ऑजिक्या ने एक नजर बस स्टाप के नाम पर डाला फिर यात्रीयो से खचाखच भरे बस मे अपने लिए जगह ढुढंते अभी-अभी चढी लडकी पर पडी!
काले घुघराले बाल,गालो पर एक तिल,चेहरे पर थोडी सी शिकन की निशान जो सीट ना मिलने पर आ गयी थी,माथे पर हल्का सा रिसता पसीना,होठो पर हल्का गुलाबी लिपस्टीक ये सारी खुबीयो को मिला दे तो कोई भी कह सकता था कि वो वाकई मे बेहद खुबसुरत है!

ऑजिक्या ने उस खुबसुरत लडकी से अपनी तुलना करना कोई मजाक सा लगा,लेकिन एक चीज दोनो मे एक जैसी थी! दोनो ने ही अपने कानो मे हेडफोन लगाया हूआ था!
इसे संयोग कहे या ऑजिक्या की किस्मत लडकी भीड को चिरती हुई,ऑजिक्या के बगल वाली सीट के पास आ कर खडी हो गयी!
सफर लंबा था,ऑजिक्या के मन मे ना-जाने क्यु लडकी के लिए सहयोग की भावना उमडने लगा!
वजह भी था,भीड की वजह से उसे अचानक लगे ब्रेक की वजह से अपने शरीर पर दो-चार हाथो का धक्का भी लग रहा था जिससे वो थोडा चिढी हुई सी लग रही थी!

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ऑजिक्या ने जब ये देखा तो उस लडकी को अपने सीट पर बैठने का इशारा किया और बिना उसके जवाब के इंतजार के अपने सीट से उठ गया! लडकी ने पहले ऑजिक्या को एक नजर देखा फिर खाली हुई सीट पर जा कर जम गई!
ऑजिक्या को उम्मीद था कि इस इंसानियत के बदले वो लडकी “thanks” तो जरुर कहेगी लेकिन सीट मिलने के बाद लडकी ने “thanks”. तो छोडिये ऑजिक्या की तरफ एक बार नजर तक नही उठाया!
इंसानी अहम के कारण ऑजिक्या को थोडा तो बुरा लगा लेकिन अच्छा भी लगा उस लडकी के लिए जो कुछ देर पहले धक्के खा रही थी जो उसकी वजह से आराम से बैठे हेडफोन पर गाने का लुफ्त उठा रही थी!
तकीरबन एक घंटे बाद दोनो आखरी स्टाप पर उतरकर अपने-अपने मंजिल की तरफ बढ गये!
उस दिन के बाद तो ये रोज का सिलसिला शुरु हो गया!रोज ऑजिक्या अपना सीट उस खुबसुरत लडकी के लिए छोडता और वो आराम से हेडफोन पर गाने सुनती आखरी स्टाप पर ऊतर जाती वो भी शुक्रिया के एक शब्द बोले बिना!
उस रोज मौंसम बदला हुआ था,शहर में बारीश ने दस्तक दे दिया था! आम दिनो की तरह बस मे थोडी भीड कम थी,ऑजिक्या की बगल वाली सीट खाली थी!
कुछ देर बाद स्टाप आते ही लडकी बस मे चढते हुए ऑजिक्या के बगल वाली सीट पर बैठ गयी!
ऑजिक्या ने एक नजर उस लडकी को देखा,जो बारीश मे भीगी हुई,बाहर देख रही थी! आज एक खास बात ये हुआ कि लडकी के कानो मे हेडफोन नही लगा हुआ था!
ये देख कर ऑजिक्या ने अपने हेडफोन का एक सिरा उस लडकी की तरफ बढा दिया!
लडकी ने पहले ऑजिक्या को देखा फिर हेडफोन लेने के लिए हाथ आगे बढा दिया!
” अजनबी कौन हो तुम,जबसे तुम्हे देखा है”
बजे जा रहा था! लडकी थोडा मुस्कुराई!
गाना खत्म होने के बाद ऑजिक्या ने अपना हाथ लडकी की तरफ बढाते हुए बोला:
“Hiii,i,m ajinkya”
लडकी एक नजर अपने कॉजल लगे ऑखो से ऑजिक्या की तरफ देखी और हाथ आगे बढाते हुई बोली:
“मै वर्तिका”
ऑजिक्या ने अपने playlist पर एक नजर घुमाया और एक गाने को देखकर मुस्कुराया और उसके आगे play वाला बटन दबा दिया!
“कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम है कहना”
बज रहा था!
गाने की बोल सुनकर वर्तिका हल्के से मुस्कुरा उठी!
अगले दिन बस मे दोनो हेडफोन लगाये ये गाना सुन रहे थे:
“लेकर पहला पहला प्यार,भर के ऑखो मे खुमार जादुनगरी से आया कोई जादुगर”
बस इतनी सी है कहानी !! 🙂

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