घर घर फिरेले नउनिया

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घर घर फिरेले नउनिया -सोहर 

 

सन्दर्भ – पुत्र जन्म 

 

 

घर घर फिरेले नउनिया त अबरू वरिनिया  नु ए

ए रानी आजू मोरा राम जनामिहे भरतजी के तिलक ए  |

ओवरीनी झगडेले धगडिनिया , दुअरिया पर नउनी ए 

ए रानी हम लेवो राम ओढनिया तबही नोह टुंगवि ए ||

 

अर्थ – कोई स्त्री कहती है की मेरे घर घर  में नउनी ( नाई की स्त्री ) और वारी ( कहार ) की स्त्री घूम रही है . वे कहती  है की ए रानी आज मेरे इस घर में राम जैसा पुत्र पैदा होगा और भारत ( दुसरे पुत्र ) का तिलक होगा  .

धाय (दाई ) घर में अपना पुरस्कार लेने क्र लिए झगडा कर रही है और दरवाजे पर नाई की स्त्री बैठी है वह कहती है की ए रानी मै पुत्र जन्म के पुरस्कार स्वरुप ओढ़ने के लिए चादर लुंगी , तभी तुम्हारे नख को काटूंगी

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