sarveshwar dayal saxena

पिछड़ा आदमी – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

पिछड़ा आदमी हिंदी कविता - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना   जब सब बोलते थे वह चुप रहता था, जब सब चलते…

4 years ago

देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता हिंदी कविता - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना   यदि तुम्हारे घर के एक कमरे…

4 years ago

पाँव बढ़ाना चलते जाना – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

पाँव बढ़ाना चलते जाना - हिंदी कविता  सर्वेश्वरदयाल सक्सेना   हँसा ज़ोर से जब, तब दुनिया बोली इसका पेट भरा…

4 years ago

व्यंग्य मत बोलो – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

व्यंग्य मत बोलो - हिंदी कविता  सर्वेश्वर दयाल सक्सेना   व्यंग्य मत बोलो। काटता है जूता तो क्या हुआ पैर…

4 years ago