हिंदी साहित्य
पिछड़ा आदमी – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
पिछड़ा आदमी हिंदी कविता – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जब सब बोलते थे वह चुप रहता था, जब सब चलते ...
देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता हिंदी कविता – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना यदि तुम्हारे घर के एक कमरे ...
पाँव बढ़ाना चलते जाना – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
पाँव बढ़ाना चलते जाना – हिंदी कविता सर्वेश्वरदयाल सक्सेना हँसा ज़ोर से जब, तब दुनिया बोली इसका पेट भरा ...
व्यंग्य मत बोलो – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
व्यंग्य मत बोलो – हिंदी कविता सर्वेश्वर दयाल सक्सेना व्यंग्य मत बोलो। काटता है जूता तो क्या हुआ पैर ...
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो! द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी हाथ में ध्वजा रहे बाल दल सजा रहे ...
वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है
वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है अदम गोंडवी वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों ...
वह कहता था, वह सुनती थी – शरद कोकास
वह कहता था, वह सुनती थी शरद कोकास वह कहता था, वह सुनती थी, जारी था एक खेल कहने-सुनने ...
हम सब सुमन एक उपवन के – द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
हम सब सुमन एक उपवन के – हिंदी कविता द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी हम सब सुमन एक उपवन के एक ...
पुनः नया निर्माण करो- द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
पुनः नया निर्माण करो – हिंदी कविता द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी उठो धरा के अमर सपूतो पुनः नया निर्माण करो। ...
मूलमंत्र कविता – द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
मूलमंत्र – कविता द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी केवल मन के चाहे से ही मनचाही होती नहीं किसी की। बिना चले कब ...