NICE SAYING (PAGE-7 )

Amit Kumar Sachin

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अच्छी बातें  (NICE THOUGHT)

PAGE -7

तलाश सिर्फ सुकून कि होती हैं ..
नाम रिश्ते का चाहे जो भी हो ..!!

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यहाँ मज़बूत से मज़बूत लोहा टूट जाता है..
कई झूठे इकट्ठे हों तो सच्चा टूट जाता है..
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हमारे दोस्तों में कोई दुश्मन हो भी सकता है..
ये अँग्रेज़ी दवाएँ है, रिएक्शन हो भी सकता है..
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लोग रोने के लिये कंधा नही देते
मरने तक इंतजार करते है…
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रोता वही है जिसने महसूस किया हो सच्चे रिश्ते को..
वरना मतलब के रिश्तें रखने वाले को तो कोई भी नही रूला सकता..
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खामोशियां ही बेहतर है
शब्दों से लोग रूठते बहुत है।
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दिल की बातें तो आखों से होती हैं,
अल्फाजों से तो अक्सर झगड़ा होता है..
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कलम में जोर जितना है जुदाई की बदौलत है…
मिलने के बाद लिखने वाले लिखना छोड़ देते है…
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अजीब दस्तूर है ज़माने का,
अच्छी यादें पेनड्राइव में और बुरी यादें दिल में रखते है!!!!
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न पूरी तरह से क़ाबिल, न पूरी तरह से पूरा है,
हर एक शख्स कहीं न कही से अधूरा है…!!
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फासलों का एहसास तब हुआ..
जब मैंने कहा हम ठीक हैं…
और उन्होंने मान लिया.!!
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कभी साथ है तो कभी खिलाफ है…
वक्त का भी आदमी जैसा हाल है!
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ऐ मुसीबत मेरे पास सोच समजकर आना,,
मेरी माँ की दुवा कही तेरे लिए मुसीबत ना बन जाए…
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अगर बनना है तो उस तालाब की तरह बनो..!
जहाँ शेर भी पानी पिता है और बकरी भी…
“मगर सर झुका के….! ”
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हर धड़कते पत्थर को, लोग दिल समझते हैं
उम्र बीत जाती है, दिल को दिल बनाने में…
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शायरी वही जिसे पढ़ कर दिल को यूँ लगे कि,
अरे हाँ यही बात तो मैं कहना चाहता था !!
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ऐ मौसम तू चाहे कितना भी बदल जा पर तुझे
इंसानो की तरह बदलने का हुनर आज भी नहीं आता ..
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दोस्तों की गालियों में ही उनका प्यार छुपा होता है…
वरना प्यार से बात तो अनजान भी करते हैं…
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होने वाले “खुद” ही “अपने” हो जाते हैं,
किसी को “कह कर” “अपना” बनाया नहीं जाता..
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झुठे हैं वो जो कहते हैं हम सब मिट्टी से बने हैं
मैं कई अपनों से वाकीफ हूं जो पत्थर के बने हैं!
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हसरतेँ पुरी ना हो तो ना सहीँ,
ख्वाब देखना तो कोई गुनाह नही ।
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जब कभी टूट कर बिखरो तो बताना हमको,
हम तुम्हें रेत के जर्रों से भी चुन सकते हैं…!!!
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जिंदगी में बेशक हर मौके का जरुर फायदा उठाओ,
मगर किसी के हालात और मजबूरी का नहीं !!
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मुस्कुराहट एक कमाल की “पहेली” है,,,,,
जितना बताती है, उससे कहीं ज्यादा छुपाती हैं..!!
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तुझे तराश तराश कर हीरा बना दिया मैंने . .
अब मुझसे ही तेरी कीमत अदा नहीं होती ..
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इतनी चाहत तो लाखो रुपये पाने की भी नही होती..
जितनी बच्चों को देखकर बचपन में जाने की होती हैं..।।
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उम्र भर तैयार है,,,हम मुस्कुराने काे..
बस शर्त ये है कि,,,तुम साथ मुस्कराना….!!
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शोहरत……बेशक चुपचाप गुजर जाये…
कमबख्त….. बदनामी बड़ा शोर करती है..
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इंकार जैसी लज़्जत…
इक़रार में कहां…
ना.. ना.. में छुपी हो जब मोहब्बत…
फिर  हाँ.. हाँ..  मे  वो बात कहाँ….
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काश दर्द के भी पैर होते।
थक के रुक तो जाते कंही।
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सही वक़्त पर पिए गए “कड़वे घूंट”
अक़्सर ज़िन्दगी “मीठी” कर दिया करते है।
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निकाल कर जिस्म से…अपनी जान दे देता है..
बडा ही मजबूत है…वो पिता…जो कन्यादान देता है…
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कागज़ के नोटों से आखिर किस किस को खरीदोगे,
किस्मत परखने के लिए यहाँ आज भी,
सिक्का हीं उछाला जाता है
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मुझे उसकी ये मासुम अदा बहुत भाती है……
नाराज मुझ से होती है और गुस्सा सबको दिखाती है…..
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सर पर जो हाथ फेरे तो हिम्मत मिल जाये,
माँ एक बार मुस्कुरा दे तो जन्नत मिल जाये !
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जब अल्फ़ाज़ पन्नों पे शोर करने लगें…
समझ लेना सन्नाटे बढ़ गये हैं दिल मे !
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हम तो फूलों की तरह अपनी आदत से बेबस हैं
तोड़ने वाले को भी खुशबू की सजा देते है …
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“मतलब” का वजन बहुत ज्यादा होता है,
तभी तो “मतलब” निकलते ही रिश्ते हल्के हो जाते है.
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Thanks for reading

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