NICE SAYING (PAGE- 3)

Amit Kumar Sachin


             अच्छी बातें  (NICE THOUGHT)

                                                        

                                     PAGE ————–3

“हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते …..
वक़्त की शाख़ से लम्हें नहीं तोड़ा करते”
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सबब तलाश करो…..अपने हार जाने का,
किसी की जीत पर रोने से कुछ नहीं होगा..
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लेकर के मेरा नाम मुझे कोसता तो है,
नफरत ही सही, पर वह मुझे सोचता तो है…
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खुद को खुद की खबर न लगे 
कोई अच्छा भी इस कदर न लगे….
आपको देखा है उस नजर से
जिस नजर से आपको नजर न लगे ..
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यूँ तो सिखाने को ज़िन्दगी बहुत कुछ सिखाती है…!!
मगर ,,
झूठी हंसी हँसने का हुनर तो बस मोहब्बत ही सिखाती है…!!
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मैँ कैसा हूँ’ ये कोई नहीँ जानता
मै कैसा नहीँ हूँ’
ये तो शहर का हर शख्स बता सकता है…
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जेबका वजन बढाते हुए
अगर दिलपे वजन बढे….
तो समझ लेना
कि सौदा घाटेका ही है..!
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दुनियाँ की हर चीज ठोकर लगने से टूट जाया करती है दोस्तो…
एक ” कामयाबी ही है जो ठोकर खा के ही मिलती है …!!”
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फटी जेब सी ज़िन्दगी, सिक्को से दिन…
लो आज फिर ..इक गिर कर गुम हो गया..!!
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निग़ाहों में अभी तक दूसरा कोई चेहरा ही नहीं आया.. !!
भरोसा ही कुछ ऐसा था,तेरे लौट आने का…!!
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ख़ुशी तकदीरो में होनी चाहिए,
तस्वीरो में तो हर कोई खुश नज़र आता है…
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नाम छोटा है मगर दील बडा रखता हुँ….¡¡¡
पैसो से इतना अमीर नही….¡¡¡
मगर अपने यारो के गम खरीदने की औकात रखता हु…
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“जो तालाबों पर चौकीदारी करते हैँ.
वो समन्दरों पर राज नहीं कर सकते”..
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जब हो थोड़ी फुरसत, तो अपने मन की बात हमसे कह लेना…….
बहुत खामोश रिश्ते…. 
कभी जिंदा नहीं रहते…….
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दुनिया में रहने के लिये दो ही जगह अच्छी हे,
किसीके ‘दिल’ में या किसीके ‘दुआ’ में.
दिल तो हमारे नसिब नही, 
बस दुवा में याद रखना….
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जुबाँ न भी बोले तो,
मुश्किल नहीं…
फिक्र तब होती है जब…
खामोशी भी बोलना छोड़ दें…।।
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क्यों गरीब समझते हैं हमें ये जहां वाले,
हजारों दर्द की दौलत से मालामाल हैं हम…
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हम रखते है ताल्लुक तो निभाते है जिंदगी भर,
हम से बदले नहीं जाते रिश्ते, लिबासो की तरह.
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अभी मुठ्ठी नहीं खोली है मैंने आसमां सुन ले..
तेरा बस वक़्त आया है मेरा तो दौर आएगा…!!
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मुफ्त मे अहसान न लेना यारों ,,,
दिल अभी ओर भी सस्ते होंगे बाज़ार में …..
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अब समझ लेते हैं, मीठे लफ़्ज़ की कड़वाहटें ,
हो गया है ज़िन्दगी का तजुर्बा थोड़ा बहुत…
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कितने झूठे हो गये है हम,
बच्चपन में अपनों से भी रोज रुठते थे, 
आज दुश्मनों से भी मुस्करा के मिलते है!!
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जो फ़किरी मिजाज रखते हे वो ठोकरो मे भी ताज रखते हे ,
जीनको कल की फ़िकर नही वो मुठ्ठी मे भी आज रखते है ॥
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*छोटे थे तो सब नाम से बुलाते थे
बड़े हुए तो बस काम से बुलाते है!
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ये खामोश मिजाजी तुम्हें जीने नहीं देगी ,,,
इस दुनिया में जीना है तो कोहराम मचा दो।।
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मुझे इतना नीचे भी मत गिराना हे ईश्वर!
कि मैं पुकारूँ और तू सुन ना पाये;
और इतना ऊँचा भी मत उठाना 
कि तू पुकारे और मैं सुन ना पाऊं।
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वो अच्छा है तो अच्छा है,वो बुरा है तो भी अच्छा है,,
दोस्ती के मिजाज़ में, यारों के ऐब नहीं देखे जाते!!
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मुझे लिख कर कही महफूज़ कर लो दोस्तो ..
आपकी यादाश्त से निकलता जा रहा हूँ में !!
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आसमा में मत ढूढ अपने सपनों को,
सपनों के लिए तो जमी जरूरी है.
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सब कुछ मिल जाये तो जीने का क्या मजा,
जीने के लिए एक कमी भी जरूरी है…
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मैं सब जगह हूँ…||
पसंद करने वालों के “दिल” में,
और नापसंद करने वालों के “दिमाग” में…
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जंगल मे जब शेर चैन की निन्द सोता है,
तो कुतो को गलतफहमी हो जाती है
के इस जंगल मे अपना राज है
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ऐ खुदा काश तेरा भी एक खुदा होता तो
तुझे भी ये अहसास होता कि,
दुआ कुबुल ना होने पे कितनी तकलीफ होती है…
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वो दोस्त मेरी नजर में
बहुत माएने रखते है,
वक़्त आने पर सामने
जो मेरे आइने रखते है…
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समंदर के बीच पहुँच कर फ़रेब किया तुमने,
तुम कहते तो सही किनारे पर ही डूब जाते हम…
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दर्द तो अकेले ही सहते हैं सभी.
भीड़ तो बस फ़र्ज़ अदा करती है….
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साला किस्मत भी ऐसी है की जिस दिन मेरा सिक्का चलेगा न,
ठीक उसी दिन सरकार सिक्कों पे रोक लगा देगी।
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‘सब्र’ एक ऐसी ‘सवारी’ है जो अपने ‘सवार’ को कभी गिरने नहीं देती;
ना किसी के ‘क़दमों’ में और ना किसी के नज़रों ‘में’।
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बचपना अब भी वही है हममें ….
बस ज़रूरतें बड़ी हो गयीं हैं ….
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झुक के जो आप से मिलता होगा,
उस का क़द आप से ऊँचा होगा…
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नही हो सकता कद
तेरा ऊँचा किसी भी माँ से….
ए खुदा…..!! 
तू जिसे आदमी बनाता है,
वो उसे इन्सान बनाती है….!!
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“उम्र भर चलते रहे …मगर कंधो पे आये कब्र तक,
बस कुछ कदम के वास्ते गैरों का अहसान हो गया……!!
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इंसान बिकता है …
कितना महँगा या सस्ता ये
उसकी मजबूरी तय करती है…!
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चलो आज फिर थोड़ा मुस्कुराया जाएँ,
बिना माचिस के कुछ लोगो को जलाया जाएँ…
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अजब दस्तूर है ज़माने का,
, लोग यहाँ पूरी इमानदारी से अपना ईमान बेचते हैं,,
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कितना भी चमके,
पीठ पीछे हर आईना काला ही होता है..!!
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कर सको तो किसी को खुश करो
दुःख देते तो हजारों को देखा है….
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नहीं चाहिए वो जो मेरी किस्मत में नहीं ,
भीख मांग कर जीना मेरी फितरत में नहीं..!!
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खेल ताश का हो या ज़िन्दगी का
अपना इक्का तभी दिखाना चाहिए
जब सामने वाला बादशाह निकाले..
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जिंदगी बस इतना अगर दे दे तो काफी है… के सर
से चादर न हटे , और पांव भी चादर में रहे…!!!
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जीतने वाला ही नहीं,
बल्कि ‘कहाँ हारना है’
ये जानने वाला भी सिकंदर होता है..
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चीजों की कीमत मिलने से पहले होती है,
और इंसानों की कीमत खोने के बाद…!
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लोग रोज नसें काटते हैं ….
प्यार साबित करने के लिये,
पर कोई, सूई भी नही चुभने देता….
“रक्तदान” करने के लिये…..
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सिखा दिया दुनिया ने मुझे ,
अपनो पर भी शक करना ।
मेरी फितरत में तो गैरों पर भी भरोसा करना था ! …
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खरीदने निकला था थोड़ी ख़ुशी,
ज्यादा खुश तो वो मिले जिनकी जैबें खाली थी !!
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बेशक पलट के देख वो बीता कल है…
पर बढ़ना तो उधर ही है जहाँ आने वाला कल है..
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आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है,
भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है.
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आंखे कितनी भी छोटी क्यु ना हो,
ताकत तो उसमे सारे आसमान देखने
कि होती हॆ..!
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गुजर जायेगा ये दौर भी,जरा सा इत्मिनान तो रख ।
जब खुशिया ही नहीं ठहरी, तो गम की क्या बिसात ।।
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खामोशी भी बहुत कुछ कहती है…
पर कान नही दिल लगाकर सुनना पड़ता है…!
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Thanks for reading

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