CLARESSA SHIELDS BIOGRAPHY IN HINDI

Amit Kumar Sachin

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   क्लेरिसा शील्ड  

(अमेरिकी महिला बॉक्सर)

 

तब मैं महज पांच साल की थी। 

मां के दोस्त ने मेरे साथ बलात्कार किया।

 मैंने मां से शिकायत की, पर उन्होंने मेरा यकीन नहीं किया।

मेरे अंदर बहुत गुस्सा था, और दुख भी।

 लेकिन बॉक्सिंग के रिंग में जाकर मेरा सारा दर्द और गुस्सा खत्म हो गया।

 
बचपन में कभी उन्हें अपने परिवार का प्यार नहीं मिला। दो साल की थीं, जब पापा को एक अपराध के मामले में सात साल की सजा हो गई। मां के जीवन में अचानक कड़वाहट आ गई। वह शराब की आदी हो गईं। अगले तीन साल मुश्किल से बीते। घर में तंगी थी। परिवार में उनके अलावा तीन और भाई-बहन थे। किसी को भरपेट खाना नहीं मिल पाता था। कई बार क्लेरिसा बिना कुछ खाए ही सो जाती थीं।क्लेरिसा अब पांच साल की हो चुकी थीं। इस बीच मां की एक युवक से दोस्ती हो गई। वह अक्सर उनके घर आया करता था। क्लेरिसा को उस युवक से बहुत डर लगता था।

एक दिन मां काम से बाहर गई हुई थीं। क्लेरिसा घर पर अकेली थीं। मां का दोस्त अचानक घर पर आ गया। उसे देखकर क्लेरिसा सहम गईं। घर से बाहर भागने की कोशिश की, पर सफल नहीं हुईं। फिर एक दिन दिल दहलाने वाली घटना हुई। युवक ने उनके साथ बलात्कार किया। वह चीखती रहीं, पर कोई नहीं आया मदद को। वह खूब रोईं।

सोचा, मां लौटकर आएंगी, तो उनसे शिकायत करूंगी। वह इस आदमी को जरूर सबक सिखाएंगी।शाम को मां घर लौटीं, तो नन्ही क्लेरिसा दौड़कर उनके गले से लिपट गईं। खूब रोईं और उन्हें उनके दोस्त की हरकत के बारे में बताया। पर यह क्या? मां ने उन्हें ङिाड़क दिया। उन्हें अपनी बेटी की बात पर यकीन नहीं हुआ। मां ने कहा, तुम झूठ बोल रही हो। वह ऐसा नहीं कर सकता। यह सुनकर उनका दर्द और बढ़ गया। फिर उन्होंने मां से जिद की कि मुङो दादी के पास छोड़ दो। दादी उनसे बहुत प्यार करती थीं। वह दादी के घर चली गईं।

पास के स्कूल में पढ़ने लगीं। पर यहां भी मुश्किलों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। अश्वेत होने की वजह से स्कूल में उनका मजाक उड़ाया जाता। क्लेरिसा कहती हैं, मैं काली थी और पतली भी। श्वेत बच्चों को मेरी शक्ल पसंद नहीं थी। वे मुङो चिढ़ाते थे। खूब रोना आता था मुङो।क्लेरिसा बहुत दुखी थीं। मन में गुस्सा था। कई बार सोचतीं, यह सब मेरे साथ क्यों हो रहा है? मां के प्रति भी उनके अंदर नाराजगी थी। अब स्कूल के बच्चों से भी चिढ़ होने लगी थी।

फिर उन्होंने इस दुख से निपटने का तरीका खोज लिया। अब जब भी उन्हें किसी पर गुस्सा आता, वह अपनी डायरी में दिल की बातें लिख देतीं। क्लेरिसा बताती हैं, मैंने डायरी से दोस्ती कर ली थी। अगर मैं किसी को कोसना चाहती या किसी पर गुस्सा करना चाहती, तो वह सब अपनी डायरी में बयां कर देती। ऐसा करने से मेरा मन हल्का हो जाता।

बात वर्ष 2004 की है। अब वह नौ साल की हो चुकी थीं। पापा सात साल की सजा पूरी करके घर लौट आए। पापा ने बताया कि उन्हें बॉक्सिंग का शौक था, पर हालात कुछ ऐसे थे कि वह कभी प्रोफेशनल बॉक्सर नहीं बन पाए। पापा उन्हें अपने संग बॉक्सिंग क्लब ले गए। वहां उन्होंने बॉक्सरों को मुक्केबाजी करते देखा। उन्हें अच्छा लगा। पापा ने उन्हें महान बॉक्सर मोहम्मद अली के बारे में बताया।यह सब सुनकर क्लेरिसा के मन में आया कि क्यों न मैं भी बॉक्सर बन जाऊं। पापा से कहा कि मैं बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेना चाहती हूं। वह भड़क गए। उन्होंने कहा कि यह लड़कियों का खेल नहीं है।

क्लेरिसा बताती हैं, पापा ने कहा कि मैं तुम्हारे चेहरे पर चोट के निशान नहीं देखना चाहता। बॉक्सिंग में बड़े खतरे हैं, तुम इससे दूर रहो। बात टल गई। इस मामले में दादी ने उनका साथ दिया। आखिरकार एक साल बाद बात बन गई। बॉक्सिंग एकेडमी में उनका दाखिला हो गया। इस दौरान उन्होंने खान-पान के अलावा फिटनेस पर खूब मेहनत की। ट्रेनिंग के दौरान उनके सामने सबसे बड़ी दिक्कत थी रहने की। कभी चाची के घर रहने गईं, तो कभी किसी सहेली के घर पर ठिकाना खोजा। पर हिम्मत नहीं हारी। इस बीच उन्होंने कई खिताब अपने नाम किए।

पूरे अमेरिका में उनकी चर्चा होने लगी। बॉक्सिंग रिंग मे मुक्केबाजी करते समय उन्हें बड़ा मजा आता। क्लेरिसा कहती हैं, बॉक्सिंग करते समय मेरे अंदर का सारा गुस्सा और पुराना दर्द बाहर आ जाता था। मेरे गुस्से ने ही मुङो सफल बॉक्सर बनाया। उन्हें सबसे बड़ी कामयाबी मिली वर्ष 2012 में। तब वह 17 साल की थीं। लंदन ओलंपिक में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता।

इतनी कम उम्र में बॉक्सिंग में ओलंपिक का गोल्ड मेडल जीतने वाली वह पहली अमेरिकी महिला बॉक्सर बनीं। मेडल जीतकर जब क्लेरिसा घर पहुंचीं, तो उनका शानदार स्वागत हुआ। उनके शहर फ्लिंट में बाकायदा परेड निकाली गई। पूरे अमेरिका में उनकी चर्चा होने लगी।समय के साथ उनके अंदर की कड़वाहट कम हो गई। बॉक्सिंग से होने वाली कमाई से वह परिवार की मदद करने लगीं। मां और छोटे भाई-बहनों को उन्होंने सहारा दिया। क्लेरिसा कहती हैं, मैंने बचपन में बहुत दुख देखे। मैंने टूटे परिवार का दर्द सहा है। अब मैं चाहती हूं कि मेरा परिवार खुश रहे। वर्तमान में क्लेरिसा रियो ओलंपिक में शिरकत कर रही हैं। उन्हें पूरा यकीन है कि इस बार भी वह अपने देश के लिए मेडल जरूर जीतेंगी।

साभार- हिंदुस्तान  अख़बार
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