कब तलक ख़्वाबों से धोका खाओगी  – कफ़ील आज़र अमरोहवी

Amit Kumar Sachin

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कब तलक ख़्वाबों से धोका खाओगी – कफ़ील आज़र अमरोहवी

 

कब तलक ख़्वाबों से धोका खाओगी
कब तलक स्कूल के बच्चों से दिल बहलाओगी

कब तलक मुन्ना से शादी के करोगी तज़्किरे
ख़्वाहिशों की आग में जलती रहोगी कब तलक

छुट्टियों में कब तलक हर साल दिल्ली जाओगी 
कब तलक शादी के हर पैग़ाम को ठुकराओगी 


चाय में पड़ता रहेगा और कितने दिन नमक
बंद कमरे में पढ़ोगी और कितने दिन ख़ुतूत 


ये उदासी कब तलक
कब तलक नज़्में लिखोगी
रोओगी यूँ रात की ख़ामोशियों में कब तलक 


बाइबल में कब तलक ढूँडोगी ज़ख़्मों का इलाज
मुस्कुराहट में छुपाओगी कहाँ तक अपने ग़म 


कब तलक पूछोगी टेलीफ़ोन पर मेरा मिज़ाज 


फ़ैसला कर लो कि किस रस्ते पे चलना है तुम्हें
मेरी बाँहों में सिमटना है हमेशा के लिए
या हमेशा दर्द के शो’लों में जलना है तुम्हें
कब तलक ख़्वाबों से धोके खाओगी

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