अपने ओसरवां कोशिल्या रानी

Amit Kumar Sachin

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अपने ओसरवां कोशिल्या रानी

अपने ओसरवां कोशिल्या रानी राम के उलारेली राम के दुलारेली हो
आरे उलटी उलटी राम के देखेली देखत नीक लागेला

भीखिया मांगत दुई ब्राह्मण रानी से अरज करें
रानी कवन कवन तप कईलू त राम गोदी बिहसेले

माघ ही मॉस नहईलीं अगिनी नाही तपली हो
ए ब्राह्मन जेठ नाही बेनिया दोलावली त राम गोद बिहसेलें हो

कातिक मॉस नहईलीं तुलसी दियना बरीलें हो
ए ब्राह्मन कातिक में आवलाँ के दान कईलीं त राम गोदी बिहसेलें हो

भूखल रहलीं एकादशी त द्वादशी के पारण करीं
ए ब्राह्मण भूखले में विप्र के जेववलीन त राम गोद बिहसेलें हो

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